दूसरी ओर कवर्धा हालात का जायजा लेने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह कवर्धा पहुंचे। इस दौरान वह 3 व 5 अक्टूबर को हुए घटनाक्रम में घायलों से मिलने उनके घर पहुंचे। वहीं मीडिया से बात करते हुए कहा कि तीन साल से बहुसंख्यक लोगों को डराने की कोशिश की जा रही है। डॉ. रमन सिंह ने कहा कि जब सरकार के संरक्षण में कोई साजिश होती है तो जनता में इस तरह का आक्रोश पनपता है। पुलिस विभाग आंख मूंदकर कार्रवाई कर रही है। अधिकारी भी देख लें, सरकार जो कह रही है वो कर रहे हैं। सरकार स्थायी नहीं होती है। तीन साल निकल गया, दो साल बचे हैं। इनका भी हिसाब किताब रखा जाएगा।
3 अक्टूबर को वार्ड नंबर 27 के लोहारा नाका चौक इलाके में झंडा लगाने को लेकर विवाद शुरू हुआ था। कुछ युवकों ने अपना झंडा चौराहे पर लगा दिया। इसी बात को लेकर दो गुटों के युवक सड़क पर लाठी-डंडे लेकर उतर आए। एक दूसरे को पीटा। पत्थरबाजी हुई। पुलिस की आंखों के सामने एक युवक को भीड़ पीटती रही। मारपीट में 8 लोग घायल हुए हैं। इनका इलाज कवर्धा के अस्पताल में कराया जा रहा है। इसके बाद सोमवार को शांति समिति की बैठक भी बुलाई गई थी। जिसके बाद 5 अक्टूबर को एक बार फिर हिंसा भड़क गई और दो समुदायों के लोगों के बीच जमकर मारपीट और शहर में उपद्रवियों ने हुड़दंग किया। इस दौरान तोडफ़ोड़ की घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस को लाठी चार्ज भी करना पड़ा साथ ही प्रशासन ने काननू व्यवस्था बिगड़ता देख कवर्धा शहर में कफ्र्यू लगा दिया।