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CG Murder Case: हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला.. पांच आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा बरकरार

CG Murder Case: बिलासपुर हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में पांच आरोपियों की दोषसिद्धि को बरकरार रखते हुए आजीवन कारावास की सजा को उचित ठहराया।

कवर्धाSep 26, 2024 / 08:30 am

Shradha Jaiswal

CG Murder Case: छत्तीसगढ़ बिलासपुर हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में पांच आरोपियों की दोषसिद्धि को बरकरार रखते हुए आजीवन कारावास की सजा को उचित ठहराया। मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बिभु दत्ता गुरु ने कहा कि “संदेह चाहे कितना भी गंभीर हो, पर सबूत की जगह नहीं ले सकता।
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CG Murder Case: पुलिस अधिकारी बनकर सोने की चोरी

CG Murder Case: पहचान परेड परीक्षण और अभियुक्तों से साक्ष्य की बरामदगी अपीलकर्ताओं के अपराध को पुष्ट करती है।” प्रकरण कबीरधाम जिले में 3 फरवरी 2019 की रात को 23 वर्षीय चेतन यादव के अपहरण और हत्या से जुड़ा है। अभियोजन पक्ष अनुसार, चेतन यादव को तीन लोगों ने पुलिस अधिकारी बनकर सोने की चोरी के मामले में पूछताछ के बहाने अगवा किया था। 4 फरवरी 2019 को धोबनी पथरा के पास के जंगलों में उसका जला हुआ और खून से लथपथ शव मिला। उसके सिर पर गंभीर चोटें थीं। हत्या कथित तौर पर एक व्यक्तिगत झगड़े के कारण हुई थी।
CG Murder Case: इसमें शामिल आरोपी हरीश साहू का एक महिला के साथ प्रेम संबंध थे, जिसकी सगाई मृतक चेतन यादव के साथ तय हुई थी। हरीश साहू ने सह-आरोपी जयपाल उर्फ पालू कौशिक, विजय गंधर्व, सियाराम सैय्याम, विकास साहू और पवन निर्मलकर के साथ मिलकर सगाई को रोकने के लिए चेतन यादव की हत्या (Murder) की साजिश रची।

मिलकर रची हत्या की साजिश

प्रकरण की सुनवाई के दौरान यह बात स्पष्ट हुई के आरोपी हरीश साहू ने महिला के साथ अपने प्रेम संबंध के कारण अन्य सह-आरोपियों के साथ साजिश रची थी। मृतक के भाई हीरालाल यादव की गवाही, टेस्ट आइडेंटिफिकेशन परेड (टीआईपी) के दौरान आरोपी की पहचान करने में महत्वपूर्ण थी। बचाव पक्ष के वकील द्वारा टीआईपी को चुनौती देने के प्रयासों के बावजूद, अदालत ने पहचान प्रक्रिया को वैध और उचित पाया।

तथ्य और पर्याप्त सबूतों से अपराध सिद्ध

दोषी व्यक्तियों द्वारा फरवरी 2021 में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, बेमेतरा के फैसले को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में अपील दायर की गई थी। कोर्ट ने तथ्य और साक्ष्यों के आधार पर अपहरण और हत्या के लिए विजय गंधर्व, जयपाल उर्फ पालू कौशिक, हरीश साहू, विकास साहू और सियाराम सैय्याम की आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा।
साथ ही साजिश और सबूतों को नष्ट करने के आरोप में अतिरिक्त सजा सुनाई गई। हालांकि पर्याप्त सबूत न होने से पवन निर्मलकर की दोषसिद्धि को खारिज कर दिया। आरोपी विकास साहू को पुलिस अधिकारी का रूप धारण करने के लिए धारा 170 के तहत भी दोषी ठहराते हुए एक साल की अतिरिक्त सजा दी गई।

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