कवर्धा

CG Fraud News: पीजी कॉलेज में 28 लाख रुपए से अधिक का घोटाला, प्राचार्य को किया निलंबित

Fraud News: कवर्धा के पीजी कॉलेज में लाखों रुपए के घोटाले का मामला सामने आया। जनभागीदारी समिति के खाते में लाखों रुपए का फंड होना था जो कि नहीं है। वहीं दो माह से अतिथि व्यायता व अन्य कर्मचारियों का वेतन तक नहीं दिया जा सका।

कवर्धाNov 21, 2024 / 01:01 pm

Shradha Jaiswal

CG Fraud News

CG Fraud News: छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले में आचार्य पंथश्री गधमुनि नाम साहेब शासकीय स्नात्कोत्तर महाविद्यालय कवर्धा में जनभागीदारी मद के लाखों रुपए राशि गबन और लेखाओं का संधारण नहीं किए जाने सहित अन्य गंभीर वित्तीय अनियमितता के चलते प्रभारी प्राचार्य डॉ.बीएस चौहान को निलंबित कर दिया गया। बीते दिनों कवर्धा के पीजी कॉलेज में लाखों रुपए के घोटाले का मामला सामने आया।
CG Fraud News: जनभागीदारी समिति के खाते में लाखों रुपए का फंड होना था जो कि नहीं है। वहीं दो माह से अतिथि व्यायता व अन्य कर्मचारियों का वेतन तक नहीं दिया जा सका। दिवाली भी में इन्हें वेतन नहीं मिला तब कहीं जाकर मालले को खुलासा हुआ। पता चला कि अकाउंटेंट ने राशि जमा ही नहीं किया और फरार हो चुका है।

CG Fraud News: प्राचार्य को किया निलंबित

मुख्य रुप से इसकी जानकारी प्राचार्य को थी, बावजूद उन्होंने अकाउंटेंट पर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की। मामले को लेकर पहले जनभागीदारी अध्यक्ष ने उच्च कार्यालय को पत्र लिखा। दूसरे दिन एबीवीपी ने प्रदर्शन किया। इसके बाद एनएसयूआई ने ज्ञापन सौंपकर उच्च स्तरीय जांच की मांग की। मामला तूल पकड़ने लगा तो उच्च शिक्षा संचालनालय की ओर से प्रभारी प्राचार्य डॉ.बीएस चौहान को निलंबित कर दिया गया।
इसके दो दिन पूर्व ही उच्च आयोग की टीम प्रारंभिक जांच के लिए कवर्धा पहुंची थी। प्रभारी प्राचार्य डॉ.चौहान से मिले और उन्हें अपनी बात रखने के लिए तीन दिन का समय भी दिया। इस बीच मंगवार की शाम को उच्च शिक्षा संचालनालय की ओर से निलंबन का आदेश जारी का दिया।

खाते में केवल ₹90 हजार

कॉलेज के जनभागीदारी समिति के खाते में जनभागीदारी शुल्क का कुल 82 लाख रुपए जमा कराया जाना था, लेकिन इसमें 54 लाख रुपए ही जमा कराया गया, जबकि 28 लाख रुपए से अधिक राशि जमा ही नहीं कराया गया। आज की स्थिति में जनभागीदारी समिति के खाते में केवल 90 हजार रुपए जमा है।
28 लाख रुपए का कोई हिसाब ही नहीं है कि यह रुपए कहां गए। चूंकि वित्तीय कार्य प्राचार्य के हस्ताक्षर के बिना नहीं हो सकते हैं इसलिए इसमें प्राचार्य को ही जिमेदार ठहराया गया। संभावना तो यह भी जताया जा रहा है इस पूरे घोटाले की जानकारी पूर्व जनभागीदारी समिति के पदाधिकारियों को थी। बावजूद उन्होंने इस मामले में किसी प्रकार से कार्रवाई नहीं की।

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