कौशाम्बी में गंगा किनारे स्थित कड़ा ब्लॉक के कंथुआ गांव निवासी पेशे से शिक्षक रणविजय निषाद को उनकी कोशिशों के चलते लोग अब जल पुरुष के नाम से पुकारने लगे हैं। रणविजय यह काम पिछले पांच सालों से कर रहे हैं। उन्हें महसूस हुआ कि गंगा की जिस अविरल धारा को देखते हुए वह बड़े हुए हैं वह धीरे-धीरे का कम हो रही है। पांच साल पहले अचानक जब गंगा का जलस्तर काफी कम हो गया तो वह बेचैन हो उठे और उन्होंने इसके बारे में और पता किया। गंगा समेत दूसरी सहायक नदियों का लगातार कम होता जलस्तर उनकी चिंता का कारण बन गया।
इसके बाद वह चुप नहीं बैठे और जल संरक्षण की मुहिम छेड़ दी। इसकी पहल उन्होंने अपने गांव से ही की। वो नदियों के गिरते जलस्तर व भूजल दोहन के नुकसान से लोगों को अवगत कराने लगे। गावं वाले उनकी बातों को गौर से सुनने लगे। इसके बाद वह समय निकालकर परिषदीय व निजी स्कूलों में जाकर जल संरक्षण के प्रति जागरूक करने लगे। विभिन्न संगोष्ठियों में भी रणविजय निषाद जल संरक्षण का मुद्दा उठाने लगे। उनके अभियान से अवगत होने के बाद केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने गोवा के पणजी में आयोजित कार्यशाला में उन्हें आमंत्रित किया। वहां रणविजय ने जल संरक्षण पर अपने विचार रखे, जिसे सुनने के बाद लोगों ने उस पर अमल करने की शपथ भी ली।
गोवा की कार्यशाला रणविजय में और जोश भर दिया। लौटने के बाद उन्होंने अपना काम और तेज कर दिया। वह पूरे जिले में घूम-घूमकर लोगों को जल संरक्षण का महत्व बताते हुए उन्हें शपथ दिला रहे हैं। उनका मानना है कि समस्या बड़ी है और इससे लड़ने के लिये सभी को जागरूक होना पड़ेगा। अपने इस असाधारण काम के लिये रणविजय कई जिलों में सम्मानित किये जा चुके हैं। उन्होंने जल संरक्षण को लेकर चार पुस्तकों का भी विमोचन कराया है।
By Shivnandan Sahu