जानकारी के अनुसार हजारों की संख्या में ये मजदूर सागर, खुरई, बीना आदि क्षेत्र में जाकर फसलों की कटाई करने के लिए पहुंचते हैं। दो माह तक यहां पर फसलों की कटाई करके भरण पोषण के लिए राशि जुटाते हैं। 2 महीने के बाद धान की कटाई कर अपने-अपने गांव मजदूर आ जाते हैं। यह सिलसिला गेहूं की कटाई के समय भी होता है।
मैहर जिले के झुकेही निवासी श्रमिक राजेन्द्र कोल ने बताया कि गांव में सरकारी योजना में रोजगार नहीं मिलता। बारिश में अधिकांश काम बंद पड़े है। आसपास काम पर भी जाएं तो 150 से 200 रुपए मिलता है लेकिन कटाई के काम में 350 रुपए प्रतिदिन मिल जाता है। पूरे महीने काम मिलता है, जिससे कुछ पैसा बचत में भी जमा रहता है। पत्नी और बच्चों को साथ लेकर जाते है, जिससे परिवार की चिंता नहीं रहती।
मजदूरों के बीच बड़ी संख्या में किशोरियां भी है, जो सर पर बोझा रखकर स्टेशन में प्रवेश करते नजर आईं। पूछने पर मैहर के बदेरा की शालिनी आदिवासी बताती है कि उसने 10वीं तक पढ़ाई की है लेकिन अब स्कूल नहीं जाती। माता-पिता के साथ खेत पर तो कई बार बाहर इसी तरह मजदूरी करने जाती है। अधिकांश बलिकाएं यहां कक्षा पांच व आठ तक पढ़ी हुई है, ऐसा बताया गया।
कटनी सहित सतना, मैहर, उमरिया, शहडोल व पन्ना से हजारों की संख्या में रोजगार के लिए जा रहे इन मजदूरों का सेंटर प्वाइंट कटनी है। यहां से ही इन्हें बीना रेलखंड के लिए ट्रेन पकडऩी होती है। चारपहिया व बसों से बड़ी संख्या में सीजन में पहुंचे श्रमिकों के कारण कटनी/मुड़वारा स्टेशन का नजारा मेला की तरह बना हुआ है।
गंतव्य तक जाने के लिए मजदूरों को ट्रेनें भी मिला मुश्किल हो रहा है। मुड़वारा स्टेशन में दो से तीन दिनों से कई मजदूर परिवार सहित डेरा डाले हुए हैं। सर्कुलेटिंग एरिया में खाना बना-खा रहे हैं। एक-दो ट्रेन आने पर चढऩे का प्रयास करते हैं, नहीं चढ़ पाते तो फिर डेरा डाल लेते हैं।
बोझा लिए खड़े रहते हैं मजदूर
प्लेटफॅार्म पर जैसे ही ट्रेन आने का अलाउंसमेंट होता है कि सागर-बीना की ओर जाने के लिए कोई ट्रेन आ रही है तो मजदूर डेरे का बोल झेलकर 15 मिनट पहले से ही खड़े हो जाते हैं। सवार होने खूब जद्दोजहद करते हैं, लेकिन सफलता नहीं मिल पा रही।कई ट्रेनों में यात्री ठूंस-ठूंसकर भर जाते है तब ट्रेन को रवाना किया जा रहा है।
पिछले एक सप्ताह से जंक्शन पर मजदूरों की भीड़ होने व उनके प्रतिदिन चलने वाली ट्रेनों में सफर न कर पाने की सूचना जब जबलपुर में रेलवे के अफसरों तक पहुंची तो उन्होंने मजदूर स्पेशल ट्रेन चलाने का निर्णय लिया। शनिवार सुबह कटनी स्टेशन से ट्रेन बीना के लिए निर्धारित करते हुए रवाना की गई तो ट्रेन चलने से पहले ही ओवरलोड हो गई। कटनी से दो किलोमीटर दूर जब ट्रेन मुड़वारा स्टेशन पहुंची तो यात्रियों में ट्रेन में सवार होने भगदड़ मच गई। मौके पर आरपीएफ व जीआरपी के जवानों को तैनात करना पड़ा। किसी तरह ट्रेन को रवाना किया गया। स्पेशल ट्रेन के चलने के बाद भी हजारों की संख्या में अभी भी मजदूर सफर के लिए कटनी/मुड़वारा स्टेशन पर मौजूद हैं।
मजदूरों ने बयां की पीड़ा
गांव में काम नहीं मिल रहा, मनरेगा में काम करो तो समय से मजदूर नहीं मिलती। परिवार पालने के लिए बाहर मजदूरी करने जाने की मजबूरी है। स्थानीय स्तर पर काम मिले, इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा।
रामबकस आदिवासी, अमरपुर, उमरिया
भूखे पेट पढ़ाई नहीं होती। सरकार से जितना अनाज मिल रहा है उससे गुजारा नहीं है। गांवों में काम भी नहीं मिलता। भरण-पोषण के लिए बाहर मजदूरी करने जाना पड़ रहा है। स्थानीय स्तर पर रोजगार न मिलने से बाहर जा रहे हैं।
फूलचंद कोल, उमरिया
मालगुजार कोल, रतवार, सतना
कौशल्या बाई, सतना