यह है योजना
जानकारी के अनुसार 2017 में नगर निगम द्वारा प्रेमनगर एनकेजे में 1744 क्वार्टर बनाए जाने थे। इसमें 1056 एलआइजी शामिल थे। 250 करोड़ रुपए की योजना बनी थी। नगर निगम की वित्तीय स्थिति खराब होने के कारण यह एएचपी घटक के कई फ्लैट और एलआइडी फ्लैट डिस्कोप कर दिए गए। 130 करोड़ रुपए की लागत से ठेका कंपनी को 1412 फ्लैट बनाकर देने थे, लेकिन सात साल में भी ठेकेदार ने पूरा काम नहीं किया।
जानकारी के अनुसार 2017 में नगर निगम द्वारा प्रेमनगर एनकेजे में 1744 क्वार्टर बनाए जाने थे। इसमें 1056 एलआइजी शामिल थे। 250 करोड़ रुपए की योजना बनी थी। नगर निगम की वित्तीय स्थिति खराब होने के कारण यह एएचपी घटक के कई फ्लैट और एलआइडी फ्लैट डिस्कोप कर दिए गए। 130 करोड़ रुपए की लागत से ठेका कंपनी को 1412 फ्लैट बनाकर देने थे, लेकिन सात साल में भी ठेकेदार ने पूरा काम नहीं किया।
आवंटन का है इंतजार
जानकारी के अनुसार ठेका कंपनी को कुल 56 ब्लॉक बनाने थे। कुछ ब्लॉकों का निर्माण हो गया है। 432 क्वार्टरों का आवंटन पूर्व के वर्षों में हो गया है। अब कई माह से 980 फ्लैट बनकर तैयार हैं। 100 फ्लैट में फिनिशिंग का काम चल रहा है। नगर निगम द्वारा अबतक जरुरतमंदों को फ्लैटों का आवंटन नहीं कराया गया।
जानकारी के अनुसार ठेका कंपनी को कुल 56 ब्लॉक बनाने थे। कुछ ब्लॉकों का निर्माण हो गया है। 432 क्वार्टरों का आवंटन पूर्व के वर्षों में हो गया है। अब कई माह से 980 फ्लैट बनकर तैयार हैं। 100 फ्लैट में फिनिशिंग का काम चल रहा है। नगर निगम द्वारा अबतक जरुरतमंदों को फ्लैटों का आवंटन नहीं कराया गया।
बिजली न होने से आवंटन में अड़चन
नगर निगम के अधिकारियों की उदासीनता के चलते ये फ्लैट बिना आवंटित हुए पड़े हैं, जबकि सैकड़ों हितग्राही, जिन्होंने पहले ही दो लाख रुपए जमा किए हैं, अब तक अपने आवास का इंतजार कर रहे हैं। यह कार्य 2017 में शुरू हुआ था और इसे दो साल के भीतर पूरा किया जाना था, लेकिन अबतक फ्लैटों का आवंटन नहीं हो सका है। बताया जा रहा है कि बिजली के लिए सब स्टेशन बनाया जाना था। बिजली कंपनी ने नगर निगम से 9 करोड़ रुपए मांगे तो निगम की सांसें फूल गईं। इसके बाद कंपनी का एक बस स्टेशन खिरहनी में प्रस्तावित हुआ। वहां से लगभग एक किलोमीटर दूरी होने पर भी 4 करोड़ रुपए से अधिक का प्रस्ताव बना, वह भी नगर निगम नहीं दे पा रही। यहां पर लगभग 15 किलोवाट का लोड दिया जाना है।
नगर निगम के अधिकारियों की उदासीनता के चलते ये फ्लैट बिना आवंटित हुए पड़े हैं, जबकि सैकड़ों हितग्राही, जिन्होंने पहले ही दो लाख रुपए जमा किए हैं, अब तक अपने आवास का इंतजार कर रहे हैं। यह कार्य 2017 में शुरू हुआ था और इसे दो साल के भीतर पूरा किया जाना था, लेकिन अबतक फ्लैटों का आवंटन नहीं हो सका है। बताया जा रहा है कि बिजली के लिए सब स्टेशन बनाया जाना था। बिजली कंपनी ने नगर निगम से 9 करोड़ रुपए मांगे तो निगम की सांसें फूल गईं। इसके बाद कंपनी का एक बस स्टेशन खिरहनी में प्रस्तावित हुआ। वहां से लगभग एक किलोमीटर दूरी होने पर भी 4 करोड़ रुपए से अधिक का प्रस्ताव बना, वह भी नगर निगम नहीं दे पा रही। यहां पर लगभग 15 किलोवाट का लोड दिया जाना है।
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टीसी के लिए भी नहीं जमा हो रही राशि
नगर निगम के अधिकारियों ने दावा किया था कि जबतक स्थाई रूप से बिजली नहीं पहुंच जाती, तबतक टीसी कनेक्शन लेकर आवंटन कर दिया जाएगा। कई माह से टीसी के लिए प्रक्रिया चल रही है, वह भी पूरी नहीं होपा रही है। 16 लाख रुपए टीसी के नगर निगम को बिजली कंपनी के पास जमा करना है, वह राशि नहीं जमा हो पा रही। नगर निगम के अधिकारियों का कहना कि कुछ राशि जमा कर दी गई है। शीघ्र ही पूरी राशि जमा कर कनेक्शन लिए जाएंगे।
115 करोड़ का भुगतान
नगर निगम द्वारा ठेका कंपनी को 130 करोड़ रुपए का भुगतान किया जाना है। अभी 5 ब्लॉक सहित 100 क्वार्टरों का काम अधूरा है। निगम द्वारा ठेकेदार को 115 करोड़ रुपए का भुगतान किया जा चुका है। दूसरी ओर हितग्राही सात साल से पक्की छत की बाट जोह रहे हैं। 6-7 साल पहले 20 हजार रुपए की डीडी, कई माह से नगर निगम में 1 लाख 80 हजार रुपए जमा कर चुके हैं, इसके बाद भी आशियाना नसीब नहीं हो रहा।
नगर निगम द्वारा ठेका कंपनी को 130 करोड़ रुपए का भुगतान किया जाना है। अभी 5 ब्लॉक सहित 100 क्वार्टरों का काम अधूरा है। निगम द्वारा ठेकेदार को 115 करोड़ रुपए का भुगतान किया जा चुका है। दूसरी ओर हितग्राही सात साल से पक्की छत की बाट जोह रहे हैं। 6-7 साल पहले 20 हजार रुपए की डीडी, कई माह से नगर निगम में 1 लाख 80 हजार रुपए जमा कर चुके हैं, इसके बाद भी आशियाना नसीब नहीं हो रहा।
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प्रभावित हितग्राही परेशान
सैकड़ों जरुरतमंदों को इन फ्लैटों की उम्मीद थी, लेकिन नगर निगम की अकर्मण्यता और धीमी कार्यशैली के कारण वे अभी भी अपने आशियाने के इंतजार में हैं। प्रशासन द्वारा काम में पारदर्शिता और तत्परता की कमी स्पष्ट रूप से उजागर हो रही है। अब यह देखना बाकी है कि नगर निगम इस गंभीर मुद्दे का समाधान कब तक करता है, और जरुरतमंदों को उनके हक का घर कब तक नसीब होता है।
एलआइजी बिल्डिंग हो रही खंडहर
ठेका कंपनी कल्याण टोल इन्फ्रास्ट्रक्टचर के द्वारा शुरुआत में एलआइजी फ्लैट निर्माण के लिए भी कंस्ट्रक्शन कर चुकी है। फ्रेम स्ट्रक्चर तैयार हो गया है। यहां पर 1056 एलआइजी भवन बनने थे, लेकिन नगर निगम के रकम न होने के कारण डिस्कोप कर दिए गए हैं। जमीन बेचकर निगम को राशि जुटाना था, वह भी नहीं हो पाया। अब एलआइजी की अधूरी मल्टी खंडहर में तब्दील हो रही है। हैरानी की बात तो यह है कि प्रेमनगर की हो या झिंझरी मोड़ की योजना, ठेकेदार व अधिकारियों का गठजोड़ जमकर पलीता लगा रहा है, लेकिन शहर विधायक व महापौर द्वारा इस दिशा में बिल्कुल भी ध्यान नहीं रहे कि, सरकार की इस योजना का हितग्राहियों को समय पर लाभ मिले।
ठेका कंपनी कल्याण टोल इन्फ्रास्ट्रक्टचर के द्वारा शुरुआत में एलआइजी फ्लैट निर्माण के लिए भी कंस्ट्रक्शन कर चुकी है। फ्रेम स्ट्रक्चर तैयार हो गया है। यहां पर 1056 एलआइजी भवन बनने थे, लेकिन नगर निगम के रकम न होने के कारण डिस्कोप कर दिए गए हैं। जमीन बेचकर निगम को राशि जुटाना था, वह भी नहीं हो पाया। अब एलआइजी की अधूरी मल्टी खंडहर में तब्दील हो रही है। हैरानी की बात तो यह है कि प्रेमनगर की हो या झिंझरी मोड़ की योजना, ठेकेदार व अधिकारियों का गठजोड़ जमकर पलीता लगा रहा है, लेकिन शहर विधायक व महापौर द्वारा इस दिशा में बिल्कुल भी ध्यान नहीं रहे कि, सरकार की इस योजना का हितग्राहियों को समय पर लाभ मिले।
वर्जन
यह सरकार की महत्वपूर्ण योजना है। मैंने इस योजना को देखा है। इस मामले में संबंधित अधिकारियों ने अबतक क्या पहल की है, अबतक क्यों आवंटन नहीं हुआ। बिजली पहुंचाने के लिए क्या प्रक्रिया अपनाई गई, इसकी 18 अक्टूबर को जानकारी ली जाएगी। हर समस्या का समाधान कराते हुए शीघ्र ही आवंटन कराया जाएगा।
नीलेश दुबे, नवागत आयुक्त नगर निगम।
यह सरकार की महत्वपूर्ण योजना है। मैंने इस योजना को देखा है। इस मामले में संबंधित अधिकारियों ने अबतक क्या पहल की है, अबतक क्यों आवंटन नहीं हुआ। बिजली पहुंचाने के लिए क्या प्रक्रिया अपनाई गई, इसकी 18 अक्टूबर को जानकारी ली जाएगी। हर समस्या का समाधान कराते हुए शीघ्र ही आवंटन कराया जाएगा।
नीलेश दुबे, नवागत आयुक्त नगर निगम।