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कटनी

ये भी है विकास की एक गाथा: किसे देना है मुआवजा अभी हकदार का ही नहीं अतापता

Road from Jagannath Chowk to Ghantaghar

कटनीNov 04, 2024 / 09:09 pm

balmeek pandey

Road from Jagannath Chowk to Ghantaghar

Road from Jagannath Chowk to Ghantaghar

नोटिस देगा नगर निगम, एमआइसी में भी लिया जाएगा निर्णय, नवंबर माह में भी नहीं शुरू हो पाएगा काम
जगन्नाथ चौक से घंटाघर की बदहाल सडक़ का मामला

कटनी. जगन्नाथ चौक से घंटाघर की बदहाल सडक़ शहर की प्रमुख समस्या है। शीघ्र सडक़ निर्माण को लेकर शहरवासियों द्वारा ज्ञापन, प्रदर्शन, आंदोलन, चक्काजाम सब कुछ किया जा चुका है। नगर निगम के जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों ने शीघ्र निर्माण के लिए आश्वासन भी दिया, लेकिन अबतक सडक़ निर्माण की राह नहीं किल पाई। शुरुआती दौर में यह तय नहीं हो पा रहा था कि सीसी सडक़ बने कि डामर वाली। जब डामर वाली सडक़ का बनना तय हुआ तो चौड़ीकरण का मामला उठा। 900 मीटर लंबी और 12 मीटर चौड़ी सडक़ का निर्माण होना है।
सडक़ चौड़ीकरण का पेंच भी अटका हुआ है। चौड़ीकरण के लिए अतिक्रमण व अधिग्रहण की कार्रवाई की जानकारी है। एक साल से अधिक समय से यह प्रक्रिया चल रही है। पहले स्थानीय निवासियों से एफएआर पर जमीन देने कहा गया, लेकिन लोग राजी नहीं हुए, सभी ने मुआवजा लेकर ही जमीन देने कहा। अब नगर निगम कई माह बाद यह तय नहीं कर पाया कि वास्तव में कितना और किसको मुआवजा देना है। इसी पेचीदगियों में मामला अटका हुआ है। पहले कुछ मुआवजा तय हुआ, बाद में फिर बदल गया। अब नगर निगम वास्तविक हकदार का पता लगाएगी।
विधायक को भी नहीं समस्या से सरोकार
शहर की यह ज्वलंत समस्या है। हर दिन हजारों की संख्या में नागरिक परेशान हो रहे हैं। कई साल से सडक़ राजनीतिक व तकनीकी पेंच में फंसी हुई है। एक किलोमीटर से भी कम की सडक़ नासूर बनी हुई है। शहरवासियों को इस ज्वलंत समस्या से निजात मिले, इसको लेकर विधायक द्वारा भी सक्रिय पहल नहीं की जा रही। हालांकि उनके द्वारा विधानसभा प्रश्न और निर्माण कार्य के लिए बात रखे जाने की बात कही जा रही है, लेकिन सामने आकर समाधान की पहल नहीं की जा रही। शहर के हित में इस मामले को लेकर सक्रियता नहीं दिखाई जा रही।
नासूर बनी सडक़: हवा-हवाई निकली मेयर की पहली प्राथमिकता

लोगों ने बयां की पीड़ा
जगन्नाथ चौक से घंटाघर की सडक़ शहर की गंभीर समस्या है। लोगों ने कई बार इस मुद्दे को उठाया, लेकिन नगर निगम के कर्ता-धरता द्वारा उचित पहल नहीं की जा रही है, सिर्फ मौके पर जाते हैं, चर्चा करते हैं, फिर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दी जाती है। इस मार्ग में सबसे ज्यादा ट्रांसपोर्ट का कारोबार होता है। यहां के रहवासी हरदिन परेशान होते हैं। जाम के हालात बनते हैं। रोड की जो समस्या है रोड जल्द बनना चाहिए।
अमित शुक्ला, अध्यक्ष जिला अधिवक्ता संघ।
सडक़ को लेकर महापौर व निगमायुक्त द्वारा कहा गया था कि दशहरा के बाद कम लगेगा, लेकिन दशहरा के बाद काम नहीं लगा। दीपावली भी निकल गई है। इसीलिए महाकाल सरकार सेवा समिति और शहर के माध्यम से बहुत बड़े आंदोलन की चेतावनी दी जा रही है। अभी 6 घंटे के लिए दशहरा के पहले रोड बंद की थी, लेकिन अब दो-तीन दिन के लिए शहर में अव्यवस्था होगी, जिसकी सारी जवाबदारी नगर प्रशासन की होगी।
प्रदीप द्विवेदी, स्थानीय निवासी।
शहर की सबसे ज्वलंत समस्या है। इसे जनप्रतिनिधियों और नगर निगम के अफसरों को प्रमुखता में रखकर काम कराना था। आश्वासन कई बार मिले, लेकिन तकनीकी पेचीदगियां फंसाते हुए सडक़ का आजतक काम नहीं कराया गया। यहां से आवागमन करने वाले लोग बहुत परेशान होते हैं। स्थानीय लोगों की समस्या विकराल है। जनता त्रस्त है, अफसर और नेता पीड़ा समझने को तैयार नहीं हैं।
आशीष कछवाहा, अधिवक्ता।
सडक़ पहली प्राथमिकता में होने के बाद भी न बने, यह बड़ा हास्यास्पद दृश्य है। शहर का प्रमुख मार्ग, प्रमुख शक्तिपीठ को जोडऩे वाला मार्ग, व्यापारिक मार्ग होने के बाद इस तरह की अनदेखी साफ जाहिर करती है कि जिम्मेदार लोगों की समस्या के प्रति कितने संवेदनशील है। आंदोलन के समय दिया गया आश्वासन भी पूरा नहीं हो रहा। जनता की कसौटी पर जिम्मेदार खरे नहीं उतर रहे।
शिवम नौगरहिया, स्थानीय निवासी।
वर्जन
यह शहर की प्रमुख समस्या है। शीघ्र समाधान होना चाहिए। इस मामले में मेरे द्वारा विधानसभा प्रश्न भी लगाया गया था कि सडक़ कब तक बनेगी। जवाब में आश्वासन भी जल्द बनाने का दिया गया था, वह तारीख भी निकल गई है, लेकिन सडक़ नहीं बन पाई। शुरुआत से मैने यह बात रखी थी कि यहां पर डामर रोड बना दीजिए, फिर अतिक्रमण हटाकर सडक़ बना दी जाएगी। इसके बाद भी ध्यान नहीं दिया गया। यह मामला नगर निगम के अधिकार क्षेत्र का है। आंदोलन में नगर निगम के जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों ने भी आश्वासन दिया है। शहर की जनता यदि असंतुष्ट है और लोग कहेंगे तो फिर मैं उनके साथ खड़ा रहूंगा।
संदीप जायसवाल, विधायक।
वर्जन
नोटिस का प्रारूप फाइनल कर लिया गया है। सोमवार को कार्यालय खुलने के बाद दो-तीन दिन में प्रक्रिया अपनाई जाएगी। भूमि स्वामी हक, खसरा, नक्शे की कॉपी आदि महत्वपूर्ण दस्तावेज लिए जाएंगे, ताकि वास्तविक हकदार को मुआवजा मिले। पहले 1 करोड़ 52 लाख रुपए का पहले मुआवजा निकला था अब 2 करोड़ 26 हजार निर्धारण किया गया है। राशि का अंतर आया है। इस मामले को एमआइसी में रखा जाएगा। पिछली परिषद से सैद्धांतिक स्वीकृति मिल गई है। पहले सीसी सडक़ बनाना था, परिषद में डामर रोड बनाने की बात तय हुई, यह सडक़ पार्ट में नहीं बन सकती थी, इस कारण प्रक्रिया उलझ गई। फिर चौड़ीकरण को लेकर मामला अटका। अब शीघ्र पहल होगी।
प्रीति सूरी, महापौर।

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