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नेशनल हाइवे: 240 करोड़ की लागत से बनी सडक़ में दरारें, बाइक के समा जा रहे पहिये

problem in national highway

कटनीNov 12, 2024 / 07:58 pm

balmeek pandey

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गुणवत्ताविहीन निर्माण से लोगों की जान खतरे में, कटनी-चांडिल सडक़ की हालत ने खोली घटिया निर्माण की पोल
समय पर विभाग द्वारा नहीं कराया जा रहा है मरम्मत का कार्य

कटनी. मध्यप्रदेश रोड डेवलपमेंट कार्पोरेशन द्वारा कटनी से चांडिल तक बनाई गई लगभग 240 करोड़ रुपए की सडक़ निर्माण में खामियां सामने आने लगी हैं। कुछ ही साल पहले बनी यह सडक़ गुणवत्ता की कमी के चलते जगह-जगह से फट रही है, जिससे स्थानीय लोग हादसों का शिकार हो रहे हैं। कटनी से बड़वारा तक इस सडक़ पर हर कुछ किलोमीटर पर दरारें दिखाई दे रही हैं, जिनकी चौड़ाई दो इंच से अधिक है। इन दरारों में मोटरसाइकिल के पहिए तक फंस रहे हैं, जिससे किसी भी समय बड़ा हादसा हो सकता है।
कटनी से उमरिया तक की इस 69 किलोमीटर लम्बी सडक़ का निर्माण एमपीआरडीसी के तहत 240 करोड़ की भारी-भरकम राशि से किया गया है। लेकिन जुहला ओवर ब्रिज से लेकर बड़वारा तक की सडक़ पर कई जगह बड़ी-बड़ी दरारें दिखाई दे रही हैं। इन दरारों को लेकर स्थानीय लोग भयभीत हैं, क्योंकि छोटी दरारें अब गड्ढों का रूप ले रही हैं और बाइक, स्कूटर के पहिये उनमें समा जा रहे हैं। सडक़ निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए लोगों का कहना है कि इतनी बड़ी परियोजना के बावजूद सडक़ में ये खामियां सामने आ रही हैं, जो ठेकेदारों और इंजीनियरों की लापरवाही का स्पष्ट प्रमाण है।
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केमिकल से चलाया जा रहा काम
जानकारों के अनुसार सडक़ के निर्माण में कम्पेक्शन का काम सही से नहीं किया गया है, जिसके कारण यह जगह-जगह से टूट रही है। सडक़ की मरम्मत के लिए ठेकेदारों द्वारा कहीं डामर केमिकल का पेस्ट भरने तो कहीं टांके लगाने का काम किया जा रहा है। लोगों का कहना है कि अभी से सडक़ का यह हाल है तो आने वाले कुछ सालों में यह पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो जाएगी। जुहला बाइपास की सडक़ तो पूरी तरह से उखडऩे के बाद दोबारा बनाई गई है। वर्तमान में सडक़ में आई दरारों को केमिकल और साल्वेंट से अस्थाई रूप से ढंकने का भी प्रयास नहीं किया जा रहा।
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नेशनल हाईवे-30 में भी समान समस्या
कटनी से जबलपुर मार्ग पर स्थित नेशनल हाईवे-30 में भी यही समस्या देखने को मिल रही है। यहां भी सडक़ पर कई जगह दरारें आ गई हैं और मोटर वाहन चालकों को आवागमन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। लगातार हो रही लापरवाही और गुणवत्ता विहीन निर्माण ने सरकारी परियोजनाओं की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
गुणवत्ता जांच और ठोस मरम्मत कार्य आवश्यक
स्थानीय निवासियों का कहना है कि एमपीआरडीसी के अधिकारियों व जिम्मेदारों को सडक़ की गुणवत्ता की जांच करनी चाहिए और ठेकेदारों की जवाबदेही तय की जानी चाहिए। लोग मांग कर रहे हैं कि सडक़ की मरम्मत के नाम पर अस्थाई सुधारों के बजाय स्थायी और गुणवत्तापूर्ण कार्य किया जाए, ताकि लोगों को आवागमन में परेशानी और दुर्घटनाओं से बचाव हो सके।

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