कटनी

बरामदे की ठंडी हवा से ठिठुर रहे हर दिन मरीज, उपचार के लिए पलंग भी नहीं हो पा रहे नसीब

problem in district hospital

कटनीDec 02, 2024 / 09:23 pm

balmeek pandey

problem in district hospital

जियोस की बैठक में पलंग बढ़ाए जाने के निर्णय का कई बाह बाद भी नहीं हो पाया अमल, जिला अस्पताल बना समस्याओं का केंद्र, सुविधाओं का अभाव, मरीजों को झेलनी पड़ रही भारी परेशानियां, प्रबंधन को नहीं कोई सरोकार

कटनी. जिला अस्पताल कुछ वर्षों से मरीजों के लिए समस्याओं का पर्याय बन गया है। यहां बेहतर इलाज और सुविधाओं के दावों के बावजूद हकीकत पूरी तरह उलट है। अस्पताल में आने वाले मरीजों को ओपीडी पर्ची बनवाने से लेकर डॉक्टर से इलाज कराने तक हर कदम पर जद्दोजहद करनी पड़ती है। सुविधाओं का अभाव मरीजों और उनके परिजनों के लिए बड़ी समस्या बन गया है। कटनी जिला अस्पताल में मौजूदा समस्याएं मरीजों और उनके परिजनों के लिए बड़ी चुनौती बन गई हैं। सुविधाओं का विस्तार और प्रबंधन में सुधार आवश्यक है। प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए ठोस कदम उठाने चाहिए ताकि मरीजों को राहत मिल सके और जिला अस्पताल में व्यवस्था को सुधारा जा सके।
अस्पताल में बेड की भारी कमी के कारण मरीजों को बरामदे और फर्श पर लिटाकर इलाज किया जा रहा है। पुरानी बिल्डिंग हो या ट्रामा सेंटर, हर जगह पर बेड के अभाव में मरीज ठंडी फर्श पर लेटे रहने को मजबूर हैं। ठंड के मौसम में यह स्थिति और भी गंभीर हो गई है। मरीजों के साथ आए परिजन भी इस स्थिति से बेहद परेशान हैं। हाड़ कंपाने वाली ठंडी का दौर शुरू हो गया है, ऐसे में बरामदे में खुली हवा के बीच इलाज कराना मरीजों के मर्ज को और बढ़ाने जैसी नौबत है। मरीज के परिजन रमेश सिंह ने कहा, मेरे पिता को ट्रामा सेंटर में भर्ती करने की कोशिश की गई, लेकिन बेड खाली न होने के कारण उन्हें बरामदे में लिटाया गया। ठंड के कारण उनकी हालत खराब है। कई मरीज यहां पर परेशान होते हैं।
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वार्डों और सुविधाओं की भारी कमी
अस्पताल में वार्डों की संख्या भी जरूरत के हिसाब से कम है। ट्रामा सेंटर और अन्य विभागों में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को लंबे समय तक इंतजार करना पड़ता है। पेयजल, साफ-सफाई, और अन्य बुनियादी सुविधाओं का भी अभाव है। अस्पताल परिसर में गंदगी और खराब शौचालय स्थिति को और बदतर बना देते हैं।
बैठकों के निर्णय कागजों तक सीमित
जिला योजना समिति की बैठकों में अस्पताल में बेड और सुविधाएं बढ़ाने का प्रस्ताव पास किया गया था, लेकिन यह निर्णय अभी तक अमल में नहीं लाया गया है। कई महीनों से मरीज और उनके परिजन इस समस्या से जूझ रहे हैं, लेकिन प्रबंधन और अधिकारियों की ओर से कोई कदम नहीं उठाया गया।
जनप्रतिनिधियों और प्रशासन की अनदेखी
मरीजों के हित में अस्पताल प्रबंधन, जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारी उदासीन बने हुए हैं। सुविधाओं के विस्तार और प्रबंधन में सुधार के लिए न तो कोई ठोस कदम उठाया जा रहा है और ना ही किसी प्रकार की जवाबदेही तय की गई। नागरिकों की मांग है कि सुविधाएं बढ़ाने की जरूरत है। बेड की संख्या बढ़ाई जाए, अतिरिक्त वार्ड और कमरे बनाए जाएं, ठंड के मौसम में बरामदे में लेटे मरीजों के लिए हीटर और पर्याप्त कंबल उपलब्ध कराए जाएं, साफ-सफाई और शौचालयों की स्थिति में सुधार किया जाए।
अस्पताल बना अवैध पार्किंग का अड्डा
जिला अस्पताल परिसर इन दिनों अवैध पार्किंग का केंद्र बन गया है। अस्पताल के कर्मचारी रात के समय अपने दोपहिया वाहनों को अस्पताल के अंदर पार्क कर रहे हैं, जिससे मरीजों, उनके परिजनों और अन्य कर्मचारियों को भारी असुविधा हो रही है। अस्पताल प्रबंधन इस गंभीर समस्या की ओर ध्यान नहीं दे रहा है, जिससे लोगों की परेशानियां बढ़ रही हैं। जिला अस्पताल का परिसर, जो मरीजों की सुविधा और आराम के लिए होना चाहिए, अब दोपहिया वाहनों की पार्किंग का अड्डा बन गया है। रात के समय अस्पताल के कई कर्मचारी अपने वाहन अस्पताल के भीतर पार्क कर देते हैं, जिससे मरीजों के परिवहन और आपातकालीन सेवाओं के संचालन में बाधा उत्पन्न हो रही है। अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही का फायदा उठाकर कुछ कर्मचारी नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। अस्पताल प्रबंधन इस समस्या से अवगत होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। कर्मचारियों की इस मनमानी पर रोक लगाने के लिए न तो चेतावनी जारी की गई है और न ही वैकल्पिक पार्किंग की व्यवस्था की गई है।

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