वार्डों और सुविधाओं की भारी कमी
अस्पताल में वार्डों की संख्या भी जरूरत के हिसाब से कम है। ट्रामा सेंटर और अन्य विभागों में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को लंबे समय तक इंतजार करना पड़ता है। पेयजल, साफ-सफाई, और अन्य बुनियादी सुविधाओं का भी अभाव है। अस्पताल परिसर में गंदगी और खराब शौचालय स्थिति को और बदतर बना देते हैं।
जिला योजना समिति की बैठकों में अस्पताल में बेड और सुविधाएं बढ़ाने का प्रस्ताव पास किया गया था, लेकिन यह निर्णय अभी तक अमल में नहीं लाया गया है। कई महीनों से मरीज और उनके परिजन इस समस्या से जूझ रहे हैं, लेकिन प्रबंधन और अधिकारियों की ओर से कोई कदम नहीं उठाया गया।
मरीजों के हित में अस्पताल प्रबंधन, जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारी उदासीन बने हुए हैं। सुविधाओं के विस्तार और प्रबंधन में सुधार के लिए न तो कोई ठोस कदम उठाया जा रहा है और ना ही किसी प्रकार की जवाबदेही तय की गई। नागरिकों की मांग है कि सुविधाएं बढ़ाने की जरूरत है। बेड की संख्या बढ़ाई जाए, अतिरिक्त वार्ड और कमरे बनाए जाएं, ठंड के मौसम में बरामदे में लेटे मरीजों के लिए हीटर और पर्याप्त कंबल उपलब्ध कराए जाएं, साफ-सफाई और शौचालयों की स्थिति में सुधार किया जाए।
जिला अस्पताल परिसर इन दिनों अवैध पार्किंग का केंद्र बन गया है। अस्पताल के कर्मचारी रात के समय अपने दोपहिया वाहनों को अस्पताल के अंदर पार्क कर रहे हैं, जिससे मरीजों, उनके परिजनों और अन्य कर्मचारियों को भारी असुविधा हो रही है। अस्पताल प्रबंधन इस गंभीर समस्या की ओर ध्यान नहीं दे रहा है, जिससे लोगों की परेशानियां बढ़ रही हैं। जिला अस्पताल का परिसर, जो मरीजों की सुविधा और आराम के लिए होना चाहिए, अब दोपहिया वाहनों की पार्किंग का अड्डा बन गया है। रात के समय अस्पताल के कई कर्मचारी अपने वाहन अस्पताल के भीतर पार्क कर देते हैं, जिससे मरीजों के परिवहन और आपातकालीन सेवाओं के संचालन में बाधा उत्पन्न हो रही है। अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही का फायदा उठाकर कुछ कर्मचारी नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। अस्पताल प्रबंधन इस समस्या से अवगत होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। कर्मचारियों की इस मनमानी पर रोक लगाने के लिए न तो चेतावनी जारी की गई है और न ही वैकल्पिक पार्किंग की व्यवस्था की गई है।