इडी के पास जा सकती हैं जांच
ऑनलाइन सट्टा का यह जाल किसी बड़ी मनी लॉड्रिंग से कम नहीं है। पुलिस की मानें तो अभी तक प्रारंभिक जांच में 4 करोड़ रुपए का हिसाब मिला है। यह आंकड़ा 50 करोड़ रुपए से भी अधिक का है। इसका नेटवर्क कई राज्यों में फैला हुआ है, जिसका पता लगाने में पुलिस का पसीना छूट रहा है। बड़ी मात्रा में रकम का अवैध कारोबार हुआ है, इसलिए इस संबंध में इडी द्वारा भी मामले में पूछताछ की जा सकती है। पुलिस भी मामले को इडी में भेजने पहल करेगी।
महादेव एप का मायाजाल
ऑनलाइन सट्टे का पूरा कारोबार महादेव एप सहित अन्य पोर्टल व एप के माध्यम से हुआ है। टेलीग्राम और वाट्सएप के माध्यम से यह अवैध कारोबार फलफूल रहा था। सूत्रों की मानें तो टेलीग्राम में महादेव की सर्चिंग करते ही पूरा नेटवर्क लोगों के सामने आ जाता है और फिर इसमें दर्ज नंबर में क्लिक करते ही लोग वॉट्सएप से जुड़ जाते हैं और फिर बातचीत शुरू कर सट्टा खेलना शुरू कर दे रहे थे। विधानसभा चुनाव के ठीक पहले छत्तीसगढ़ में मचे बवाल में भी इसी एप का नाम आया था, वहां से भी इसके तार जुड़ रहे हैं।
क्रिकेट सहित कई खेल व वर्चुअल सट्टा
पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार ये बदमाश सिर्फ क्रिकेट सट्टा ही नहीं बल्कि कई खेलों में सट्टा खिला रहे थे। पूरे गेम वर्चुअली चलता है। राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय खेल सहित गतिविधियों पर अवैध लाभ कमाने का खेल फलफूल रहा है। भोपाल से ऑपरेट होने वाले सट्टे में सरगना कौन है, अभी इसका पता पुलिस नहीं लगा पाई है।
युवकों से चल रही पूछताछ
पुलिस ने आरोपियों को रिमांड पर लिया है। उनसे इस पूरे खेल के संबंध में पूछताछ कर रही है। युवकों के पास से पुलिस रे रिकॉर्ड भी जब्त किए हैं, जिनका बारीकी से परीक्षण कर रही है। उनके मोबाइल, लैपटॉप आदि में मिले पोर्टल और एप में भी वास्तविकता को खंगाल रही है।
बैंकों से पूछताछ जारी
पुलिस बैंकों से अभी भी पूछताछ कर रही है। करोड़ों रुपए के हुए ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के मामले में पुलिस एयू बैंक, बंधन बैंक, आइडीएफसी बैंक, आइसीआइसीआइ सहित अन्य बैंकों के रिकॉर्ड को खंगला रही है व हुए ट्रांजेक्शन का पता लगा रही है। निजी बैंकों से समय पर जानकारी न मिलने के कारण भी जांच प्रभावित हो रही है।
वर्जन
मामले में आरोपियों से पूछताछ जारी है। जब्त रिकॉड की भी जांच कराई जा रही है। हैंडलर की गिरफ्तारी के बाद आगे की स्थिति स्पष्ट होगी। करोड़ों रुपए के ऑनलाइन ट्रांजेक्शन में केवायसी का पता नहीं चल पा रहा है। बैंकों से जानकारी ले रहे हैं। इडी भी इस मामले में जांच कर सकती है।
अभिजीत रंजन, एसपी।