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पुण्यतिथि पर भी याद नहीं आए बापू, गांधी चिंतन केंद्र में लटका रहा ताला, वीरान पड़ी रही प्रतिमा

-पुण्यतिथि पर भी याद नहीं आए बापू-कटनी के गांधी चिंतन केंद्र में लटका रहा ताला-वीरान पड़ी रही प्रतिमा-श्रद्धासुमन अर्पित करने नहीं पहुंचे लोग

कटनीJan 31, 2022 / 03:23 pm

Faiz

पुण्यतिथि पर भी याद नहीं आए बापू, गांधी चिंतन केंद्र में लटका रहा ताला, वीरान पड़ी रही प्रतिमा

कटनी. देश को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 30 जनवरी को पुण्यतिथि थी। जिलेभर में कई जगह आयोजन हुए, लेकिन बीच शहर बने गांधी चिंतन केंद्र का हाल बेहाल रहा। यहां पर तो लोग पहुंचे और ना ही कोई आयोजन किया। हम बत कर रहे हैं जगन्नाथ तिराहा समीप स्थित बीआरसी कार्यालय में बने गांधी चिंतन केंद्र की। यहां पर बापू को श्रद्धासुमन अर्पित करने के लिए कोई भी नहीं पहुंचा। स्थानीय लोगों ने बताया कि यहां का तो आज ताला भी नहीं खुला।


बता दें कि, जिले में एक नवाचार किया गया था। गांधी चिंतन केंद्र बनाया गया। 1913 में यहां पर स्कूल अंग्रेजों के जमाने में खुला। ये बोर्डिंग स्कूल बनाया गया था। 1933 में जब बापू कटनी आए तो उनके सम्मान में गांधी स्कूल नामकरण किया गया। 2013 में स्कूल बंद हो गया। दर्ज संख्या घटने के कारण स्कूल को बंद करना पड़ा। यहां पर भवन बेकार पड़ा था। बीआरसी विवेक दुबे ने जिला प्रशासन और राज्य शिक्षा केंद्र से पत्राचार कर बरगवां के स्थान पर बीआरसी कार्यालय बनाते हुए यहां पर दिसंबर 2016 में गांधी चिंतन केंद्र बनवाया गया।

 

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नहीं हुआ कोई आयोजन

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यहां पर एक हॉल बनाकर रखा गया है, यहां पर गांधीजी के सिद्धांत, यादें, तस्वीरें उकेरी गईं। यहां पर गांधीवादी लोग देश-विदेश से पहुंच चुके हैं। कई बार यहां पर संगोष्ठी हो चुकी है। शासकीय कार्यालय में गांधी चिंतन केंद्र होने से बढ़ाई मिली। शांति पाठ का आयोजन, सर्वधर्म प्रार्थना का आयोजन होता है। भारत निर्माण के तहत नि: शुल्क पीएससी की कक्षाएं चलती थीं तो यहां पर रेमेडियल कक्षाएं भी यहां चलती थीं। जो बच्चे प्रतियोगी परीक्षाओं में भाग लेते हैं तो यहां आकर पढ़ते हैं। इसके बाद भी यहां पर बापू की याद में कोई आयोजन नहीं हुआ। इस संबंध में बीआरसी विवेक दुबे का कहना है कि मैं एक-दो साथियों के साथ सुबह पहुंचा था, श्रद्धांजलि देकर आ गया था। बाकी और कोई नहीं पहुंचा।

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