कटनी। कहते हैं सेवानिवृत्ति के बाद आराम के दिन शुरू हो जाते हैं लेकिन इसके बिलकुल विपरीत दिनचर्या है जिले की ढीमरखेड़ा तहसील के खमतरा गांव निवासी वृद्ध ईश्वरीय प्रसाद बर्मन की। वन विभाग में सेवा में रहते पेड़ों से इनका प्रेम रिटायरमेंट के बाद भी समाप्त नहीं हुआ। सेवानिवृत्ति से पहले ही उन्होंने घर में नर्सरी तैयार करना प्रारंभ कर दिया था और अब उनका सारा समय पेड़ों के बीच ही बीतता है।
विभाग में 32 वर्ष सेवाएं देने के साथ अधिकतर समय बर्मन ने नर्सरी व अनुसंधान केन्द्रों में बिताया है। इस दौरान 24 घंटे में सागौन के पौधे तैयार करने का रिकॉर्ड भी इनके नाम है और इसके लिए इन्हें वर्ष 2002 में राष्ट्रपति पुरस्कार भी मिल चुका है। पुरस्कार के साथ ही वनरक्षक के पद पर कार्य कर रहे बर्मन को विभाग ने प्रमोशन भी देकर वनपाल के पद पर नियुक्त किया था और इसी पद रहते हुए नवंबर 2009 में वे सेवानिवृत्त हो गए।
बर्मन अनुसंधान के समय अधिकतर पौधे खुद ही तैयार करते थे और घर में दस वर्ष परिश्रम कर उन्होंने चंदन, नारियल, मौसंमी, अमरूद, पपीता, नीबू, केला, अश्वगंधा, सर्पगंधा, सागौन की कई किस्में तैयार की हैं। इसके अलावा नेपाल से लाया गया रुद्राक्ष का पेड़ भी इनकी नर्सरी का आकर्षण हैं, जिसमें पहली साल फल आए हैं। वृद्ध खुद ही अपनी नर्सरी में ही कम समय में पौधे तैयार करते हैं और उनकी इस कला की चर्चा पूरे क्षेत्र में है, जिसे देखने लोग उनके घर पहुंचते हैं।
बर्मन ने बताया कि वन विभाग में सेवा करने के दौरान नर्सरियों में बाहर से कम समय में तैयार होने वाले पौधे आते थे और उनको देखकर तकनीक में काम करना शुरू किया। अनुसंधान केन्द्र में काम करने के साथ ही पौधे तैयार करने में हाथ जमा गया और उसी के चलते उन्होंने राष्ट्रपति पुरस्कार तक का सफर तय किया। सुबह उठने के साथ ही उनका पौधों की देखरेख का सफर शुरू होता है तो रात को सोने से पहले तक चलता है। जिसमें इनके परिवार के सदस्य भी सहयोग करते हैं।
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