शहर में अवैध कॉलोनियों व प्लाटिंग की भरमार है। इन कॉलोनियों में लोग खून-पसीने की कमाई खर्चकर आशियाना तो बना लेते हैं, लेकिन फिर कई साल तक कॉलोनाइजरों द्वारा मूलभूत सुविधाओं पर काम न करने के लिए परेशान रहते हैं। जो कॉलोनियां वैध बनी हैं वहां के दाम सातवें आसमान पर होते हैं, जिससे सामान्य व्यक्ति को आशियाना बनाने के लिए जमीन खरीद पाना दूर की कौड़ी साबित होता है। केडीए की योजनाएं साकार होने से आमजन का अपनी जमीन और मकान का सपना पूरा होगा।
सरकारी आवासीय परियोजना में लगातार विलंब होने के साथ ही अलग-अलग कारणों से गति नहीं मिलने और प्रोजेक्ट के फेल हो जाने के बाद नागरिक निजी बिल्डरों को लाभ पहुंचाने के आरोप लगाते रहे हैं। शहर के रहवासियों का कहना है कि झिंझरी में सरकारी आवासीय प्रोजेक्ट के जमीन पर उतरने पर कई निजी बिल्डरों को नुकसान होगा और यही कारण है कि इस प्रोजेक्ट में लगातार विलंब हो होता रहा है। वहीं अब एकबार फिर शहरवासियों को राहत मिलती दिख रही है।
- 2965475 स्क्वायरमीटर में विकसित होगी रेंसीडेंसियल कॉलोनी।
- 220 कटनी विकास प्राधिकरण का कॉलोनी में बेचे जाएंगे प्लाट।
- 27 प्लाट आरक्षित किए जाएंगे गरीबी रेखा के नीचे वालों को।
- 1353.91 स्क्वायरमीटर छोड़ी जाएगी कॉलोनी में खुली जगह।
- 24796.81 स्क्वायरमीटर में कॉलोनी में होगा सर्कुलेशन वर्क।
- 726.90 स्क्वायरमीटर जमीन में होगा सर्विस का काम।
- 11 प्लाटों पर हो सकेगा एलआइजी भवनों का निर्माण।
बरगवां में नगर विकास स्कीम क्रमांक-2
शहर में केडीए के अन्य योजनाएं दमतोड़ रही है, इन योजनाओं को सांसों की दरकार है। इनमें बरगवां स्थित योजना भी शामिल है। वर्ष 2013 में केडीए को बरगवां में 3.442 हैक्टेयर भूमि का आवंटन योजनाओं के क्रियान्यवन के लिए किया गया था। वर्ष 2021 में केडीए ने नगर विकास स्कीम क्रमांक-2 तैयार कर सूचना का प्रकाशन किया। सूचना प्रकाशन में ही अफसरों को 8 वर्ष लग गए। योजना अबतक सिर्फ सिर्फ सूचना का प्रकाशन ही हुआ है। बजट का आभाव होने के कारण योजना अबतक ठप पड़ी हुई है। बताया जा रहा है कि संभवत: योजना को सरेंडर कर दिया गया है।
केडीए को वर्ष 2013 में ग्राम खिरहनी में योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए 0.656 हैक्टेयर भूमि आवंटित की गई। केडीए ने यहां रिहायशी भवनों का निर्माण कर एक कालोनी विकसित करने की योजना बनाई लेकिन आवंटित जमीन तक पहुंचने कोई भी शासकीय मार्ग नहीं मिला। जिसके चलते योजना क्रियान्वित नहीं हो सकी।