जानकारी के अनुसार नगर सुधार न्यास द्वारा 1980-90 के दशक में आवासीय व व्यवसायिक कुल 25 योजनाएं बनाई गई थीं। योजनाओं के लिए जमीनों को लेकर धारा 46 के तहत प्रकाशन हुआ था। कुछ योजनाएं पूर्व हो चुकी है तो कई में अबतक कुछ नहीं हुआ है। हालांकि इनमें से किसी भी योजना को निरस्त नहीं किया गया है।
स्वीकृत प्लाटों पर नहीं मिला मालिकाना हक
कलेक्ट्रेट के सामने, दुगाड़ी नाला के समीप और सर्किट हाउस के पीछे पानी टंकी के पास नगर सुधार न्यास की भूमि पर अतिक्रमण, मनमाने निर्माण और नगर निगम के कर्मचारियों की लापरवाही के कारण स्वीकृत प्लॉट पर मालिकाना हक नहीं मिलने की समस्या कई वर्षों से बनी हुई है। जिम्मेंदारों की बेपरवाही के कारण शहर के बीचोबीच बेशकीमती जमीन खुर्द बुर्द हो रही है। नगर निगम ने अपने स्वामित्व की इस जमीन पर व्यवयायिक और आवासीय प्रोजेक्ट बनाया, लेकिन सही क्रियान्वयन नहीं होने से प्रोजेक्ट फाइलों में ही कैद होकर रह गया। निगम स्वामित्व की नगर सुधार न्यास योजना योजनाओं के क्रमांक 02, 03, 06, 14 एवं 17 की विभिन्न भूमियों में दुगाड़ी नाला के पास, कार्यालय कलेक्ट्रेट के सामनें, सर्किट हाउस के पीछे पानी की टंकी के पास स्थित भूमि शामिल हैं।
जानकारी के अनुसार शहर में नगर सुधार न्यास योजना की एक योजना की पूरी जमीन ही भूस्वामी द्वारा मुआवजा लेने के बाद भी बेचे जाने की चर्चा है। सूत्रों के अनुसार जमीन का सौंदा एक सफेदपोश के साथ किया गया है, जिसमें अब बड़ी कालोनी डेवलप करने की तैयारी है। इस जमीन की आड़ में योजना की ही दूसरी जमीन के कुछ हिस्से पर कब्जा कर लिया गया है।
नगर सुधार न्यास योजना की अधिग्रहित जमीन का विक्रय किए जाने का प्रकरण सामने आया है। इसकी जांच के लिए नगरनिगम व राजस्व अधिकारियों की टीम बनाई गई है। प्रकरण में जांच प्रतिवेदन मिलने पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
दिलीपकुमार यादव, कलेक्टर