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सीएम की घोषणा की नहीं आई धरातल पर
आदिवासी विकासखंड ढीमरखेड़ा में 10 अगस्त 2016 को दौरे पर आए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उद्योगों के लिए जमीन चिन्हित करने की घोषणा की थी। तब उन्होंने कहा था कि उद्योगों के लिए जमीन चिन्हित होने से उद्योगपतियों को सहूलियत होगी। युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। सीएम की घोषणा के बाद प्रशासन ने जमीन चिन्हित करने की प्रक्रिया पूरी कर उद्योग स्थापना के लिए मध्यप्रदेश इंडस्ट्रीयल डेवलपमेंट कार्पोरेशन (एमपीआइडीसी) को सौंप दी। लेकिन, 8 साल बाद भी युवाओं को उद्योगों से रोजगार मिलना तो दूर, यहां किसी भी उद्योग की नींव तक नहीं रखी जा सकी। नतीजा है कि रोजगार के अवसरों के लिए यहां का युवा अभी सपना ही देख रहा है।
सीएम की घोषणा की नहीं आई धरातल पर
आदिवासी विकासखंड ढीमरखेड़ा में 10 अगस्त 2016 को दौरे पर आए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उद्योगों के लिए जमीन चिन्हित करने की घोषणा की थी। तब उन्होंने कहा था कि उद्योगों के लिए जमीन चिन्हित होने से उद्योगपतियों को सहूलियत होगी। युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। सीएम की घोषणा के बाद प्रशासन ने जमीन चिन्हित करने की प्रक्रिया पूरी कर उद्योग स्थापना के लिए मध्यप्रदेश इंडस्ट्रीयल डेवलपमेंट कार्पोरेशन (एमपीआइडीसी) को सौंप दी। लेकिन, 8 साल बाद भी युवाओं को उद्योगों से रोजगार मिलना तो दूर, यहां किसी भी उद्योग की नींव तक नहीं रखी जा सकी। नतीजा है कि रोजगार के अवसरों के लिए यहां का युवा अभी सपना ही देख रहा है।
कंपनियां आईं, जमीन देखीं और लौट गईं
जानकारी के अनुसार ढीमरखेड़ा में रक्षा और कांच इकाई के लिए मौके पर जाकर जमीन भी दिखाई, लेकिन लाभ नहीं हुआ। असल तस्वीर यह है कि एक इकाई ग्वालियर चली गई और दूसरी गुना। जानकार बताते हैं कि आदिवासी अंचल में युवाओं के लिए उद्योग से रोजगार के अवसर इसलिए भी चुनौती है, क्योंकि औद्योगिक क्षेत्र में निजीकरण हावी है। सरकारी उपक्रम दम तोड़ रहे हैं। ढीमरखेड़ा में चिन्हित जमीन में एथेलॉन प्लांट की भी तैयारी थी। इस इकाई के लिए पानी की ज्यादा जरूरत होती है, तो पता चला कि बेलकुंड में पानी कम है और हिरण नदी भी गर्मी में सूख जाती है।
जानकारी के अनुसार ढीमरखेड़ा में रक्षा और कांच इकाई के लिए मौके पर जाकर जमीन भी दिखाई, लेकिन लाभ नहीं हुआ। असल तस्वीर यह है कि एक इकाई ग्वालियर चली गई और दूसरी गुना। जानकार बताते हैं कि आदिवासी अंचल में युवाओं के लिए उद्योग से रोजगार के अवसर इसलिए भी चुनौती है, क्योंकि औद्योगिक क्षेत्र में निजीकरण हावी है। सरकारी उपक्रम दम तोड़ रहे हैं। ढीमरखेड़ा में चिन्हित जमीन में एथेलॉन प्लांट की भी तैयारी थी। इस इकाई के लिए पानी की ज्यादा जरूरत होती है, तो पता चला कि बेलकुंड में पानी कम है और हिरण नदी भी गर्मी में सूख जाती है।
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यहां बिजली के इंतजार में नया औद्योगिक क्षेत्र टिकरिया तखला
उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए जिले के निवार के समीप टिकरिया तखला में 19.52 हेक्टेयर क्षेत्र में नया औद्योगिक क्षेत्र विकसित किया जा रहा है। हालांकि सडक़-नाली सहित अन्य जरूरी कार्य होने के बाद अब यहां बिजली का इंतजार हो रहा है। बिजली पहुंचने के बाद औद्योगिक क्षेत्र को विकसित करने के सभी कार्य पूरे हो सकेंगे और करीब चार माह बाद से औद्योगिक इकाइयों के लिए प्लाट का आवंटन शुरू हो सकेगा। जानकारी के अनुसार ग्राम तखला में खसरा नं. 101 में उद्योग विभाग द्वारा 19.52 हेक्टेयर रकबे में औद्योगिक क्षेत्र के विकास की योजना बनाई गई थी। 2018 में योजना को मंजूरी भी मिली और स्वीकृति मिलने के बाद औद्योगिक केंद्र विकास निगम द्वारा अधोसंरचना पर कार्य भी शुरू करा दिया गया था। पहले चरण में सडक़, प्लाटिंग, पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं का विस्तार होना था, लेकिन अब बिजली की व्यवस्था न हो पाने के कारण इकाई स्थापना की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई। यहां पर इंडस्ट्री विकास के लिए 15.42, रोड के लिए 2.48 और कमर्शियल सहित अन्य प्रयोजन के लिए 1.62 हेक्टेयर जमीन चिन्हित की गई है। यहां सभी 86 प्लाटों में अधोसंरचना विकास कार्य जारी है। इस नये विकसित हो रहे औद्योगिक क्षेत्र में केवल एमएसएमई के दायरे में आने वाली इकाइयों के ही उद्यम ही चलेंगे।
इनका कहना
ढीमरखेड़ा में बहुउद्देशीय औद्योगिक पार्क निर्माण के लिए कार्ययोजना तैयार करने वनविभाग ने अनापत्ति मांगी गई थी। विभाग ने 228.32 हेक्टेयर भूमि पर आपत्ति दर्ज कराई है। विभाग को आवंटित शेष जमीनें एकजाई न होने के कारण पार्क की स्थापना के लिए अंधोसंरचना विकसित होना मुश्किल है। इस संबंध में पत्र लिखकर कलेक्टर को अवगत कराया गया है।
श्रष्टि प्रजापति, कार्यकारी संचालक, एमपीआइडीसी
ढीमरखेड़ा में बहुउद्देशीय औद्योगिक पार्क निर्माण के लिए कार्ययोजना तैयार करने वनविभाग ने अनापत्ति मांगी गई थी। विभाग ने 228.32 हेक्टेयर भूमि पर आपत्ति दर्ज कराई है। विभाग को आवंटित शेष जमीनें एकजाई न होने के कारण पार्क की स्थापना के लिए अंधोसंरचना विकसित होना मुश्किल है। इस संबंध में पत्र लिखकर कलेक्टर को अवगत कराया गया है।
श्रष्टि प्रजापति, कार्यकारी संचालक, एमपीआइडीसी