30 लोकेशन में बढ़ेगा संपत्ति का मूल्य, कही 20 तो कही 130 प्रतिशत होगी वृद्धि
भोजन से लेकर देखीं सांस्कृतिक गतिविधियां
होमस्टे कार्यक्रम के दौरान मेहमानों को ग्रामीण भोजन का आनंद दिलवाया गया, जिसमें स्थानीय व्यंजन शामिल थे। उन्होंने बाजरे की रोटी, दाल-बाफले, सब्जियां, और देसी मिठाइयों का स्वाद चखा। यह भोजन न केवल उनके लिए नया था बल्कि उन्होंने इसकी सरलता और स्वाद की भी सराहना की। इसके अलावा मेहमानों को कृषि, हस्तशिल्प, और लोक कला का भी अनुभव कराया गया। स्थानीय महिलाएं उन्हें मिट्टी के बर्तन बनाना, गोबर से बने आंगन को सजाना और पारंपरिक वेशभूषा पहनाना सिखाती हैं।
भोजन से लेकर देखीं सांस्कृतिक गतिविधियां
होमस्टे कार्यक्रम के दौरान मेहमानों को ग्रामीण भोजन का आनंद दिलवाया गया, जिसमें स्थानीय व्यंजन शामिल थे। उन्होंने बाजरे की रोटी, दाल-बाफले, सब्जियां, और देसी मिठाइयों का स्वाद चखा। यह भोजन न केवल उनके लिए नया था बल्कि उन्होंने इसकी सरलता और स्वाद की भी सराहना की। इसके अलावा मेहमानों को कृषि, हस्तशिल्प, और लोक कला का भी अनुभव कराया गया। स्थानीय महिलाएं उन्हें मिट्टी के बर्तन बनाना, गोबर से बने आंगन को सजाना और पारंपरिक वेशभूषा पहनाना सिखाती हैं।
लोक संगीत और नृत्य का आयोजन
होमस्टे कार्यक्रम का एक प्रमुख आकर्षण था लोक संगीत और नृत्य का आयोजन। मेहमानों के लिए ग्रामीण कलाकारों द्वारा बघेली, निमाड़ी और बुंदेलखंडी लोकगीत प्रस्तुत किए गए, साथ ही आदिवासी नृत्य प्रस्तुतियां भी हुईं। विदेशी मेहमानों ने भी स्थानीय लोगों के साथ नृत्य में हिस्सा लिया और भारतीय संस्कृति की गर्मजोशी को महसूस किया। यह प्रयास है कि ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक से अधिक सैलानी आएं, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को संबल मिले। इस प्रयास के अंतर्गत कटनी, उमरिया, डिंडोरी, दमोह, सीहोर और मंडला जिलों के कई गांवों में होमस्टे का निर्माण किया जा रहा है। इन होमस्टे के माध्यम से स्थानीय परिवारों को भी रोजगार के नए अवसर मिल रहे हैं और उन्हें अपने संस्कृति का प्रसार करने का अवसर भी प्राप्त हो रहा है।
होमस्टे कार्यक्रम का एक प्रमुख आकर्षण था लोक संगीत और नृत्य का आयोजन। मेहमानों के लिए ग्रामीण कलाकारों द्वारा बघेली, निमाड़ी और बुंदेलखंडी लोकगीत प्रस्तुत किए गए, साथ ही आदिवासी नृत्य प्रस्तुतियां भी हुईं। विदेशी मेहमानों ने भी स्थानीय लोगों के साथ नृत्य में हिस्सा लिया और भारतीय संस्कृति की गर्मजोशी को महसूस किया। यह प्रयास है कि ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक से अधिक सैलानी आएं, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को संबल मिले। इस प्रयास के अंतर्गत कटनी, उमरिया, डिंडोरी, दमोह, सीहोर और मंडला जिलों के कई गांवों में होमस्टे का निर्माण किया जा रहा है। इन होमस्टे के माध्यम से स्थानीय परिवारों को भी रोजगार के नए अवसर मिल रहे हैं और उन्हें अपने संस्कृति का प्रसार करने का अवसर भी प्राप्त हो रहा है।
कटनी का चावल प्रदेश के 24 जिलों में बिखेर रहा स्वाद व खुशबू
विदेशी सैलानियों न दी प्रतिक्रिया
फ्रांस से आए मेहमानों ने इस पूरे अनुभव को अद्वितीय और प्रेरणादायक बताया। उनका कहना था कि भारतीय ग्रामीण जीवन में जो सादगी, आत्मीयता और परंपराओं के प्रति सम्मान है, वह उन्हें बहुत प्रभावित कर गया। उन्होंने कहा कि भारत की ग्रामीण संस्कृति में परिवार और समाज के प्रति जुड़ाव का जो भाव है, वह आधुनिक जीवनशैली से कहीं अधिक संतोषजनक है। इस तरह के होमस्टे कार्यक्रम न केवल ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देते हैं बल्कि ग्रामीण समाज की आत्मनिर्भरता की ओर भी एक बड़ा कदम हैं। स्थानीय लोग आत्मनिर्भर बनते हैं, उनके उत्पादों को नई पहचान मिलती है, और उनकी आजीविका में सुधार होता है। इस प्रयास से न केवल पर्यटन में वृद्धि होती है, बल्कि सशक्तिकरण और सतत विकास की दिशा में भी यह पहल सार्थक सिद्ध हो रही है। इस तरह की पहल ग्रामीण भारत को सशक्त बनाती है और देश-विदेश के लोगों को भारतीय संस्कृति की गहरी समझ प्रदान करती है।