किसानों ने बताया कि बांस, बल्ली की जरुरत पड़ती है। निस्तारू डिपो बिलहरी में थी, यहां से बांस मिल जाते थे। एक एकड़ में एक हजार बांस लगते हैं, वह भी कई साल से बंद हो गया है। अब किसान 50 रुपए का एक बांस गांव-गांव जाकर खरीददते हैं। पान की बौल बौड़ाने के लिए करसी लकड़ी लगती है, जो 7 से 8 फीट होती है, जो बड़ी मुश्किल से मिलती है। जंगल खत्म हो गए हैं, नदियों के किनारे मिल जाती थी वह भी मुश्किल से मिल रही है। अब किसान रस्सी का उपयोग कर रहे हैं, लेकिन इसमें पर्याप्त उपज मिला जा रही है।
किसानों ने बताया कि बिलहरी में लगभग 100 एकड़ क्षेत्र में खेती होती है। यहां पर 200 किसान खेती करते हैं। कीटनशक दवाओं का उपयोग करते हैं, कृषि विभाग, उद्यानिकी विभाग वाले गंभीरता से ध्यान नहीं दे रहा। उद्यानिकी विभाग वाले नेट के लिए सूची बनाकर दस्तखत कराकर ले गए हैं, लेकिन आजतक नहीं दी गई। 100 से अधिक किसानों के नाम लिखकर ले गए हैं।
- बिलहरी का देशी बंगला पान कटनी, सतना, सागर, रीवा दमोह, लखनऊ सहित छत्तीसगढ़, राजस्थान तक जाता है।
- 20 साल पहले किसानों को उद्यानिकी से नेट मिली थी, उसके बाद आजतक नहीं कराई गई मुहैया।
- नागपंचमी के दिन पूजा करने के बाद किसान नहीं जाते बरेजा, मनाते हैं छुट्टी, जूते पहनकर भी अंदर नहीं जाते।
- प्रतिदिन पान को देना पड़ता है पानी, गर्मी के सीजन में ज्यादा आवश्यकता होती है, सिंचाई।
- बाहर से व्यापारी आते हैं, गांव में ही सजती है पानी की मंडी, खरीदकर ले जाते हैं कई शहर।
- 100 रुपए सैकड़ा के भाव से बड़ा पान और शेष का दाम कम होता जाता किसानों को प्राप्त।
- धान और गेहूं की अपेक्षा पान में अधिक होता है मुनाफा, कई पीढिय़ों से किसान यहां करते आ रहे खेती।
- कम बारिश हुई तो पौधा अच्छा तैयार होता है, बाद की बारिश नहीं पहुंचाती है कोई नुकसान, तूफान, ओला गिरने से होता है नुकसान।
किसान ओमप्रकाश चौरसिया, प्रमोद चौरसिया, प्रकाश चौरसिया, विश्वनाथ चौरसिया, लक्ष्मीकांत चौरसिया, मुकेश चौरसिया, ईश्वरीप्रसाद चौरसिया आदि ने बताया कि जनवरी से पानी की खेती शुरू होती है। जनवरी में खेत, बरेजा व पानी तैयारी करते हैं। इसी माह से आधे मार्च तक बोवनी करते हैं। उसके बाद गर्मी में पानी सींचते हैं। अंकुरण जून माह में निकलता है। सेवा करते-करते जुलाई में 1 फीट का पौधा हो जाता है। करची लकड़ी गड़ाकर सपोर्ट देते हुए हर सप्ताह कांस से उसको बांधते हैं, ताकि बौल ऊपर बढ़ती जाए, उसे जमीन पर नहीं लेटने दिया जाता। नवंबर माह तक यह क्रम चलता है। इसके बाद चाल बंद हो जाती है। ऊपर घांस आदि लगाकर सुरक्षा करते हैं। उत्पादन जुलाई माह से चालू हो जाता है।
किसानों की मानें तो 30 साल पहले तक बड़े व्यापक पैमाने में यहां पर पानी की खेती होती थी। 500 से अधिक किसान पान की खेती करते थे। 2008 तक 250 किसान खेती कर रहे थे, अब लगभग 200 ही कर रहे हैं। किसानों को बढ़ाने कोई पहल उद्यानिकी विभाग, कृषि विभाग व प्रशासन द्वारा नहीं की जा रही।
जिले में 80 साल से अधिक समय से पान की खेती कर रहे किसानों को साल 2008-09 में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत लगभग 60 किसानों को लाभ मिला है। सालभर के बाद यह योजना जिले में बंद हो गई। इसके बाद से अब तक किसानों को सरकार की किसी योजना का लाभ नहीं मिला है।
तत्व न्यूनतम अधिकतम
फास्फोरस 0.13 0.61त्न
पोटैशियम 1.8 36त्न
कैल्शियम 0.58 1.3त्न
मैग्नीशियम 0.50 0.75 कॉपर-20-27 पीपीएम
जिंक 30.35 पीपीएम
शर्करा 0.31-40 ग्राम।
कीनौलिक यौगिक 6.2-25.3 ग्राम तक। किसानों ने बयां की पीड़ा
200 से अधिक किसान पान की खेती कर रहे हैं। कई एकड़ में खेती है। अधिकांश किसानों की फसल में रोग लगा है। उद्यानिकी विभाग ध्यान नहीं दे रहा। दवा भी नहीं है।
मोतीलाल चौरसिया, पान किसान।
लक्ष्मण प्रसाद चौरसिया, पान किसान।
राजाराम चौरसिया, पान किसान। अधिक बारिश के कारण पान की फसल में ग्रोथ नहीं हैं। बौल व पत्ते भी खराब हो रहे हैं। साफ करके परेशान हैं। प्रशासनिक मदद भी कुछ नहीं मिलती।
विकास चौरसिया, पान किसान।
स्वाद के साथ पान स्वास्थ्य के लाभदायक
वैद्य एसएन त्रिपाठी के अनुसार पान में कई औषधीय गुण भी पाए जाते है। यह स्वाद के साथ स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक होता है। औषधीय गुणों से भरपूर होने के कारण पौराणिक काल से ही इसका उपयोग किया जा रहा है। पान गले की खरास एवं खिचखिच को मिटाता है। मुंह की दुर्गंध को दूर कर पाचन शक्ति को बढ़ाता है। पान की ताजी पत्तियों का लेप बनाकर कटे-फटे व घाव में लगाने से यह सडऩे से रोकता है। अजीर्ण एवं अरूचि के लिए हर दिन खाने के पूर्व पान व काली मिर्च के साथ सेवन करने से सूखे कफ को निकालने में मदत करता है।
जिले बिलहरी और उमरियापान में पान की खेती हो रही है, यह अच्छी बात है। पान की फसल में क्या रोग लग रहे हैं, उनका क्या उपचार हो सकता है, इसकी समीक्षा कराई जाएगी। किसानों को उद्यानिकी विभाग व प्रशासन से मिलने वाली मदद की भी समीक्षा की जाएगी। जिले में पान की खेती को बढ़ावा देने के लिए भी आवश्यक पहल की जाएगी। उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों को आवश्यक कार्रवाई के लिए निर्देशित किया जाएगा।
दिलीप कुमार यादव, कलेक्टर।