कटनी

सावधान… डेंगू बेलगाम, 30 दिन में 32 आए चपेट में, अबतक 90 पड़े बीमार

Dengue patients are increasing in Katni

कटनीNov 16, 2024 / 08:53 pm

balmeek pandey

मच्छरों से निपटने नगरनिगम और स्वास्थ्य विभाग के पास नहीं फॉगिंग मशीन, पार्षद, पुलिस अधिकारी सहित कई डेंगू की चपेट में फिर भी जिम्मेदारों को नहीं सरोकार, जिले में लगातार बढ़ रहे केस

कटनी. सावधान, डेंगू मच्छर बेलगाम हो गया है। पिछले 30 दिनों में 32 लोग इस बीमारी की चपेट में आ गए है। जिलेभर में 90 मरीज अबतक डेंंगू का शिकार हो चुके है। शहर सहित ग्रामीण अंचलों में डूेंगू तेजी से पैर पसार रहा है लेकिन इसकी रोकथाम के लिए पुख्ता इंतजाम नहीं किए जा रहे है। लगातार बढ़ रहे डेंगू केसों ने स्वास्थ्य विभाग को चिंता में डाल रखा है। डेंगू केस सामने आने से लोगों में कोरोना की तरह का माहौल व्याप्त हो गया है। इधर नगरनिगम या प्रशासन ने जलभराव से खाली प्लॉटों में गंदगी जमा करने वाले मालिकों के खिलाफ कार्रवाई करने का अब तक कोई प्लान नहीं
बनाया है। स्वास्थ्य विभाग को इस बात की चिता है कि मौसम में नमी आने के साथ ही डेंगू मच्छर और ज्यादा उग्र होता जा रहा है। लिहाजा, लोगों को सावधान रहने की जरूरत है। मच्छरों से निपटने नगरनिगम और स्वास्थ्य विभाग के पास नहीं फॉगिंग मशीन है। पार्षद, पुलिस अधिकारी सहित कई डेंगू की चपेट में है, इसके बावजूद जिम्मेदार नींद में है।
जानकारी के अनुसार स्वास्थ्य विभाग के लाख दावों के बावजूद डेंगू मच्छर हर साल कहर बरपाता है। डंक लगने से बुखार की चपेट में आकर लोग अस्पताल में पहुंचते हैं। कुछ ने तो अपनी जान से भी हाथ धोया है। डेंगू का कहर बरपने पर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी हाथ मलते नजर आ रहे है। समय रहते डेंगू मच्छर से निपटने की तैयारियां नहीं की गईं, इस वजह से लोगों को नंबवर तक मच्छरों का संताप झेलना पड रहा है। जिले में हर वर्ष डेंगू बुखार की समस्या आती है, लेकिन जिला मुख्यालय के सरकारी अस्पताल को छोडकऱ अन्य सरकारी अस्पतालों में डेंगू से लडऩे के लिए समुचित यंत्र ही नहीं है। आलम यह होता है कि डेंगू बुखार चढऩे पर मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों का मुंह देखना पड़ता है। अधिकांश सरकारी अस्पतालों में न तो डेंगू बुखार की जांच के लिए कार्ड की सुविधा उपलब्ध है, न ही आइजीएम टेस्ट की। डेंगू की पुष्टि के लिए ग्रामीण अंचलों में टेस्ट की व्यवस्था न होने से मरीजों की बेहद परेशानी उठानी पड़ती है।
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फैक्ट फाइल
वर्ष 2024 में डेंगू मरीजों की संख्या 90
वर्ष 2023 में डेंगू मरीजों की संख्या 21
वर्ष 2024 में मलेरिया मरीजों की संख्या 66
वर्ष 2023 में मलेरिया मरीजों की संख्या 20
वर्ष 2024 में चिकुनगुनिया मरीजों की संख्या 06
वर्ष 2023 में चिकुनगुनिया मरीजों की संख्या 03
2023 में डेंगू के सिर्फ 21 तो इस वर्ष 90 मरीज
जानकारी के अनुसार डेंगू का प्रकोप इस वर्ष सबसे अधिक देखने मिल रहा है। जिले में डेंगू मरीजों का आकड़ा पिछले 10 वर्षों में 50 की संख्या पार नहीं कर सका है। वर्ष 2023 में भी डेंगू मरीजों की संख्या मात्र 21 थी जो इस वर्ष बढकऱ 90 पहुंच गई है। स्वास्थ्य विभाग, नगरीय निकाय व जिला प्रशासन द्वारा डेंगू की रोकथाम के लिए उचित कदम न उठाए जाने से हालात बिगड़ते चले जा रहे है।
चिकुनगुनिया व मलेरिया का आकड़ा भी बढ़ा
डेंगू के साथ ही जिले में चिकुनगुनिया व मलेरिया मरीजों का आकड़ा भी तेजी से बढ़ रहा है। वर्ष 2023 में मलेरिया पीडि़त मरीजों की संख्या 20 थी जो इस वर्ष बढकऱ 66 पहुंच गई है। इसी तरह 2023 में चिकुनगुनिया से 03 लोग पीडि़त हुए थे जबकि वर्ष 2024 में इसका कारण 06 पहुंच गया है।

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तेजी से कम हो रही प्लेटलेट्स, हजारों हो रहे खर्च
एक ओर जहां डेंगू का प्रकोप बढ़ता जा रहा है वहीं दूसरी ओर डेंगू पॉजीटिव मरीजों को उपचार कराना भी महंगा पड़ रहा है। अधिकांश मरीजों के प्लेटलेट्स तेजी से कम हो रहे है और बुखार तेजी से बढ़ रहा है। प्राइवेट अस्पतालों में डेंगू के ऊपचार के लिए 20 हजार से 60 हजार रुपए तक खर्च हो रहे है।
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मच्छरों से निपटने नहीं फॉगिंग मशीन, छिडक़ रहे दवा
मलेरिया व डेंगू की रोकथाम के लिए मच्छरों से निपटने स्वास्थ्य विभाग व नगरनिगम के पास पर्याप्त संसाधन ही उपलब्ध नहीं है। स्वास्थ्य विभाग के पास फॉगिंग मशीन नहीं है जबकि 45 वार्डों के लाखों लोगों के स्वास्थ्य के लिए जिम्मेदार नगरनिगम भी फॉङ्क्षगग मशीन के इंतजाम अबतक नहीं कर सकी है। नगरनिगम के पास मौजूद चारों फॉङ्क्षगग मशीन लंबे अर्से से खराब पड़ी हुई है। अफसर दावा कर रहे है कि जिस स्थान पर डेंगू पॉजीटिव केस मिलता है सिर्फ वहां एक मशीन को सुधारकार्य करवाकर भेज दिया जाता है। नगरनिगम व स्वास्थ्य अमला मच्छरों से निपटने के लिए वर्तमान में कीटनाशक के छिडक़ाव होने का दावा कर रहा है।
खाली प्लाटों में जमा पानी, फैल रहा संक्रमण
शहर में डेंगू फैलने का एक यह कारण यह भी है कि शहर में जगह-जगह प्लॉटों में गंदा पानी भरा है, जिसकी निकासी के लिए नगरनिगम द्वारा कोई कमद नहीं उठाए गए। पानी की निकासी की समस्या कई इलाकों में काफी पुरानी है और आज तक इस तरफ ध्यान ही नहीं दिया गया। शहर में दो दर्जन से अधिक वार्डों व कालोनियों में खाली प्लाटों में बारिश का पानी अबतक जमा हुआ है तो कई स्थानों पर पाइपलाइन से लीकेज पानी एकत्रित होकर भरा हुआ है। स्वास्थ्य विभाग के अफसरों की मानें तो डेंगू के मच्छर विशेष कर कई दिनों से रुके हुए पानी में पैदा होते हैं, जो स्थान से 400 मीटर के अंदर बीमारी का फैलाव कर सकते हैं। ऐसे पानी में डेंगू के मच्छरों के लार्वा बहुत ज्यादा मात्रा में पाए जाते हैं, इसके बावजूद नगरनिगम ने अबतक इस ओर सख्त कदम नहीं उठाए हैं।
इनका कहना
डेंगू की रोकथाम के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे है। डेंगू पॉजीटिव केस सामने आने पर लार्वा सर्वे कराया जाता है। उपचार व जांच की सुविधा जिला अस्पताल में उपलब्ध है। नगरनिगम को खाली प्लाटों व जलभराव वाले स्थानों से जल निकासी के लिए पूर्व में कहा गया है। इस संबध्ंा में पुन: पत्र लिखा जा रहा है।
डॉ. मृगेन्द्र श्रीवास्तव, प्रभारी जिला मलेरिया अधिकारी
मच्छरों की रोकथाम के लिए वार्डों में कीटनाशक दवाओं का छिडक़ाव लगातार किया जा रहा है। यह बात सही है कि वार्डों में फॉगिंग मशीन नहीं चल रही है। इसका कारण निगम के पास उपलब्ध मशीनें खराब होना है। सिर्फ एक मशीन को ही सुधारकार्य कर चालू करवाया गया है, जिसे डेंगू पॉजीटिव केस आने पर उक्त स्थान में फॉगिंग के लिए भेजा जाता है।
संजय सोनी, स्वास्थ्य अधिकारी, नगरनिगम

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