दाल के कच्चे माल में लगने वाले टैक्स से दाल की कीमत में प्रति किलो दो रुपए का अंतर आ रहा है। यह अंतर एक किलो में भले दो रुपए का है, लेकिन किसी बड़े डीलर ने एक करोड़ की दाल ली तो अंतर की राशि दो लाख रुपए होगी। दाल की कीमत में इसी अंतर ने थोक व्यापारियों को मध्यप्रदेश के बजाए छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र का रुख करने विवश कर दिया। इसका असर यह हुआ कि मध्यप्रदेश की दाल मिलें बंद होने की कगार पर पहुंच गई। अकेले कटनी में 20 से ज्यादा दाल मिलें बंद हो गईं हैं। 40 से ज्यादा जो चल भी रहीं हैं तो मुश्किल में हैं।
दाल मिल एसोसिएशन के पदाधिकारी झम्मटमल ठारवानी बताते हैं कि 20 से ज्यादा दाल मिल कटनी में सिर्फ इसलिए बंद हो गई हैं कि मंडी टैक्स से दाल की कीमत बढऩे के कारण बाजार में टिक नहीं पा रहे हैं। 40 से ज्यादा मिलें चल भी रहीं हैं तो मजबूरी में, क्योंकि बंद होने पर बैंक का लोन कैसे चुकेगा और एनपीए होने का भी डर। मंडी टैक्स में छूट के लिए कई बार मांग कर चुके हैं। उम्मींद करते हैं सरकार इस मामले में दाल मिल मालिकों की समस्या पर गौर करेगी।
ऐसे समझें मंडी टैक्स से मिल मालिकों को नुकसान का गणित
– छत्तीसगढ़ के भाटापारा व बिलासपुर सहित अन्य स्थानों पर दाल मिल की नई इकाइयां स्थापित हो रही है। महाराष्ट्र के ज्यादा दाल मिल वाले हिंगनघाट में भी यही स्थिति है। दूसरी ओर मध्यप्रदेश के इंदौर और कटनी में दाल मिल उद्योग संकट में हैं।
– दाल के बड़े उपभोक्ता राज्य उत्तरप्रदेश, झारखंड व पश्चिम बंगाल के थोक व्यापारी छत्तीसगढ़ का रुख कर रहे हैं। ये कभी मध्यप्रदेश की मिलों से दाल लेते थे। हालात यह है कि कटनी के पड़ोसी जिले उमरिया तक छत्तीसगढ़ से दाल आ रही है।
– एक क्विंटल दाल के कच्चे माल में शुद्ध दाल लगभग 70 किलो निकलती है। मंडी टैक्स के कारण मध्यप्रदेश की दाल प्रति क्विंटल 190 से दो सौ रुपए तक मंहगी हो जाती है। थोक बाजार में कीमत में यह बड़ा अंतर है और इस कारण व्यापारी दूसरे राज्यों का रुख कर रहे हैं।
गजब है सरकार! दाल मंगवाने पर कोई टैक्स नहीं लगने से बढ़े दाल के व्यापारी, मिल बंद होने से रोजगार का संकट.
चुनाव समाप्त तो छूट भी समाप्त, 30 माह बाद भी जिम्मेदारों ने नहीं ली सुध
– मध्यप्रदेश में दाल के लिए कच्चा माल मंगवाने पर तो टैक्स लगती है, लेकिन दूसरे राज्यों से दाल मंगवाने पर किसी प्रकार का टैक्स नहीं है। इसका असर यह हुआ कि दाल बिक्री के डीलर बढ़ गए और दाल मिलों के बंद होने के कगार पर पहुंचने से यहां काम करने वाले कुशल श्रमिक और मजदूर बेरोजगारी की कगार पहुंच गए।
– 2018 में मध्यप्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव से पहले टैक्स में छूट दी गई थी। छूट की यह अवधि अगस्त 2019 में समाप्त होने के बाद से दोबारा नहीं बढ़ाई गई। दाल मिल मालिक इसके लिए 30 माह से लगातार मांग कर रहे हैं, लेकिन जिम्मेदारों ने सुध नहीं ली।
– 1994 से अब तक मंडी टैक्स में छूट के लिए 11 बार आदेश जारी हुआ। कई बार पंाच साल के लिए तो कई बार तीन साल और तीन महीने के लिए। जनवरी 2017 में छूट की अवधि समाप्त होने के बाद 20 माह तक छूट नहीं मिली। विधानसभा चुनाव से पहले दी गई छूट के अगस्त 2019 में समाप्त होने के बाद से फिर अब तक नहीं मिली।