पिपरिया सहलावन क्षेत्र में समस्या
इस वर्ष अच्छी बारिश से जहां धान की फसलें खेतों में लहलहाती हुई देखने मिल रही है। किसान इससे अच्छी उपज का आस में हैं। दूसरी तरफ फसलों में रोग लगने से किसानों की चिंता बढ़ गई है। इस प्रकार की कीट-ब्याधि के प्रकोप से खेत में खड़ी धान की फसल सूखकर पीली पडकऱ पैरा बन जा रही है। ढीमरखेड़ा क्षेत्र के के भटगवांहार निवासी किसान बहादुर सिंह, देवीसिंह, लल्लू सिंह, विजय, रतन काछी सहित अन्य ने बताया कि वर्तमान समय में यह रोग उनकी धान की फसल में लगने से खेत में खड़ी फसल पीली पडकऱ बिना दाने के सूखकर पैरा बनती जा रही है, जिसे रोकने व उपाय बताने कृषि विभाग के द्वारा अभी तक ध्यान नहीं दिया जा रहा।
इस वर्ष अच्छी बारिश से जहां धान की फसलें खेतों में लहलहाती हुई देखने मिल रही है। किसान इससे अच्छी उपज का आस में हैं। दूसरी तरफ फसलों में रोग लगने से किसानों की चिंता बढ़ गई है। इस प्रकार की कीट-ब्याधि के प्रकोप से खेत में खड़ी धान की फसल सूखकर पीली पडकऱ पैरा बन जा रही है। ढीमरखेड़ा क्षेत्र के के भटगवांहार निवासी किसान बहादुर सिंह, देवीसिंह, लल्लू सिंह, विजय, रतन काछी सहित अन्य ने बताया कि वर्तमान समय में यह रोग उनकी धान की फसल में लगने से खेत में खड़ी फसल पीली पडकऱ बिना दाने के सूखकर पैरा बनती जा रही है, जिसे रोकने व उपाय बताने कृषि विभाग के द्वारा अभी तक ध्यान नहीं दिया जा रहा।
सूचना पर पहुंचे अधिकारी
इस संबंध में कृषि विस्तार अधिकारी ढीमरखेड़ा विकास पाटीदार को जब लगी तो वे बुधवार सुबह ही कृषि मित्र शिवकुमार मौर्य को लेकर संबंधित किसानों के खेतों में जाकर फसल का निरीक्षण करते हुए बताया गया कि जिले में गर्म तापमान व उच्च आदृता के कारण भूरामाहू कीट के प्रकोप से धान की फसल में रोग लग रहा है। किसानों को आवश्यक उपाय अपनाने सलाह दी जा रही है।
इस संबंध में कृषि विस्तार अधिकारी ढीमरखेड़ा विकास पाटीदार को जब लगी तो वे बुधवार सुबह ही कृषि मित्र शिवकुमार मौर्य को लेकर संबंधित किसानों के खेतों में जाकर फसल का निरीक्षण करते हुए बताया गया कि जिले में गर्म तापमान व उच्च आदृता के कारण भूरामाहू कीट के प्रकोप से धान की फसल में रोग लग रहा है। किसानों को आवश्यक उपाय अपनाने सलाह दी जा रही है।
यह तेजी से फैल रहा रोग
जिले में गर्म तापमान एवं उच्च आद्रता के कारण भूरा माहू कीट का प्रकोप बढ़ रहा है। धान की फसल में प्रकोप के लिए यह मौसम घातक होता है। वर्तमान में धान फसल जो कि बाली की अवस्था में है, धान फसल में बदलते मौसम के कारण जिले में भूरा माहू का प्रकोप देखा जा रहा है। इस संबंध में किसानों को सलाह है कि वह अपनी फसल का सतत देखभाल करते रहने कहा जा रहा है। पत्तियों का अधिक मात्रा में पीला पडऩा, भूरा होना, सूखना जो किनारों से शुरू होता है, इसका प्रकोप खेत में चकतो के रूप में दिखाई देना, जमीन के पास तनों में भूरे रंग का माहू दिखाई देने पर अपनी धान फसल में माहू नियंत्रण के लिए रासायनिक दवाओं का प्रयोग करने, दवा को पौधे के नीचे तक पहुंचाना आवश्यक है। धान की लंबाई अधिक होने पर पानी का भराव आवश्य करें जिससे माहू कुछ उपर की ओर आएगी। एक एकड में 150 से 200 लीटर पानी या 10 से 12 स्प्रेयर पंप (15 लीटर) के मान से छिडकांव करें।
जिले में गर्म तापमान एवं उच्च आद्रता के कारण भूरा माहू कीट का प्रकोप बढ़ रहा है। धान की फसल में प्रकोप के लिए यह मौसम घातक होता है। वर्तमान में धान फसल जो कि बाली की अवस्था में है, धान फसल में बदलते मौसम के कारण जिले में भूरा माहू का प्रकोप देखा जा रहा है। इस संबंध में किसानों को सलाह है कि वह अपनी फसल का सतत देखभाल करते रहने कहा जा रहा है। पत्तियों का अधिक मात्रा में पीला पडऩा, भूरा होना, सूखना जो किनारों से शुरू होता है, इसका प्रकोप खेत में चकतो के रूप में दिखाई देना, जमीन के पास तनों में भूरे रंग का माहू दिखाई देने पर अपनी धान फसल में माहू नियंत्रण के लिए रासायनिक दवाओं का प्रयोग करने, दवा को पौधे के नीचे तक पहुंचाना आवश्यक है। धान की लंबाई अधिक होने पर पानी का भराव आवश्य करें जिससे माहू कुछ उपर की ओर आएगी। एक एकड में 150 से 200 लीटर पानी या 10 से 12 स्प्रेयर पंप (15 लीटर) के मान से छिडकांव करें।
इस दवा के उपयोग की दी जा रही सलाह
कृषि विभाग द्वारा किसानों को फसल बचाने के लिए दवा छिडक़ाव करने की सलाह दी जा रही है। पायमेट्रोजिन 50 प्रतिशत डब्लूजी 300 ग्राम प्रति हेक्टेयर या थायोमेथेक्जाम 25 प्रतिशत डब्लूजी 100-120 ग्राम प्रति हेक्टेयर या इमीडाक्लोरोप्रिड 17.8 प्रतिशत एसएल 150-200 मिली लीटर प्रति हेक्टेयर या फिप्रोनिल 3 प्रतिशत ब्यूप्रोफेजिन 22 प्रतिशत 500 मिली लीटर प्रति हेक्टेयर या ब्यूप्रोफेजिन 15 प्रतिशत एसीफेट 35 प्रतिशत 50 ग्राम प्रति हेक्टेयर छिडक़ाव करने की सलाह दी जा रही है।
कृषि विभाग द्वारा किसानों को फसल बचाने के लिए दवा छिडक़ाव करने की सलाह दी जा रही है। पायमेट्रोजिन 50 प्रतिशत डब्लूजी 300 ग्राम प्रति हेक्टेयर या थायोमेथेक्जाम 25 प्रतिशत डब्लूजी 100-120 ग्राम प्रति हेक्टेयर या इमीडाक्लोरोप्रिड 17.8 प्रतिशत एसएल 150-200 मिली लीटर प्रति हेक्टेयर या फिप्रोनिल 3 प्रतिशत ब्यूप्रोफेजिन 22 प्रतिशत 500 मिली लीटर प्रति हेक्टेयर या ब्यूप्रोफेजिन 15 प्रतिशत एसीफेट 35 प्रतिशत 50 ग्राम प्रति हेक्टेयर छिडक़ाव करने की सलाह दी जा रही है।
फर्जी व्यक्ति को भूमि स्वामी बता जाली दस्तावेज लगाकर करा ली लाखों रुपए के जमीन की रजिस्ट्री
कर्ज में दबे किसानों को सता रही चिंता
हर वर्ष किसान कड़ी मेहनत कर फसल को उगता है और वह बाजार से कर्ज लेकर खेती करता है। 6 माह बाद फसल बेचकर कर्ज चुकाने की आस मे रहता है, लेकिन कुदरत की मार से किसानों की फसलों में रोग लग गया है जिससे उनकी चिंता बढ गई है। धान की फसल धीरे-धीरे पूरी तरह से नष्ट होते जा रही है अब किसानों को चिंता सता रही कि आखिर लागत मूल्य कैसे वसूल होगी बाजार से लिए कर्ज कैसे चुकेगा।
कर्ज में दबे किसानों को सता रही चिंता
हर वर्ष किसान कड़ी मेहनत कर फसल को उगता है और वह बाजार से कर्ज लेकर खेती करता है। 6 माह बाद फसल बेचकर कर्ज चुकाने की आस मे रहता है, लेकिन कुदरत की मार से किसानों की फसलों में रोग लग गया है जिससे उनकी चिंता बढ गई है। धान की फसल धीरे-धीरे पूरी तरह से नष्ट होते जा रही है अब किसानों को चिंता सता रही कि आखिर लागत मूल्य कैसे वसूल होगी बाजार से लिए कर्ज कैसे चुकेगा।
वर्जन
इन दिनों धान की फसल में प्रतिकूल मौसम के कारण भूरा माहू रोग लग रहा है। इससे धान का पौधा खराब हो रहा है। किसानों को दवा का उपयोग करने सलाह दी गई है। एडवायजरी जारी की गई है। क्षेत्रीय अधिकारियों को भी निरीक्षण कर किसानों को समसमायिक सलाह देने कहा गया है।
मनीष मिश्रा, उप संचालक, किसान कल्याण तथा कृषि विकास।
इन दिनों धान की फसल में प्रतिकूल मौसम के कारण भूरा माहू रोग लग रहा है। इससे धान का पौधा खराब हो रहा है। किसानों को दवा का उपयोग करने सलाह दी गई है। एडवायजरी जारी की गई है। क्षेत्रीय अधिकारियों को भी निरीक्षण कर किसानों को समसमायिक सलाह देने कहा गया है।
मनीष मिश्रा, उप संचालक, किसान कल्याण तथा कृषि विकास।