script3 साल से मलबे के ढेर पर पढ़ रहे स्कूल के बच्चे, छत भी नसीब नहीं, नहीं सुन रहे जिम्मेदार | Bahoriband government school has been running under open sky for 3 years no one responsible take serious | Patrika News
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3 साल से मलबे के ढेर पर पढ़ रहे स्कूल के बच्चे, छत भी नसीब नहीं, नहीं सुन रहे जिम्मेदार

– खुले आसमान के नीचे स्कूली बच्चों का भविष्य- सरकारी स्कूल के बच्चों को छत तक नसीब नहीं- तीन वर्षों से मलबे के ढेर पर पढ़ रहे बच्चे- शासकीय प्राथमिक शाला सोमाकला के बुरे हाल

कटनीFeb 09, 2024 / 04:42 pm

Faiz

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3 साल से मलबे के ढेर पर पढ़ रहे स्कूल के बच्चे, छत भी नसीब नहीं, नहीं सुन रहे जिम्मेदार

एक तरफ शिक्षा विभाग मध्य प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों में बेहतर शिक्षा मुहैय्या कराने का दावा करता है तो वहीं दूसरी तरफ शेक्षणिक लापरवाहियों से जुड़े मामले लगातार प्रदेश में कहीं न कहीं से सामने आते रहते हैं। ताजा मामला सूबे के कटनी जिले से सामने आया है। जहां अपना भविष्य लिखने की तैयारी कर रहे स्कूली बच्चों को कोई मूलभूत सुविधा तो छोड़िये एक छत तक नसीब नहीं है।

 

आपको बता दें कि, जिले के अंतर्गत आने वाले बहोरीबंद में स्थित शासकीय प्राथमिक शाला सोमाकला में आदिवासी बच्चों के लिए स्कूल तो है, लेकिन जर्जर हालत होने के कारण करीब तीन साल पहले उसे तोड़ दिया गया है। हैरानी की बात तो ये है कि इन तीन सालों में स्कूल के पुनर्निर्माण के लिए एक ईंट तक नहीं लगाई गई है और यहां पढ़ने आ रहे स्कूल के छोटे-छोटे आदिवासी बच्चे पिछले तीन सालों से कड़ाके की ठंड हो या भीषण गर्मी या फिर आंधी बारिश इसी सरकारी स्कूल के मलबे के ढेर पर खुले आसामान के नीचे बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं।

 

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‘जिम्मेदार नहीं ले रहे मासूमों की सुध’

https://youtu.be/2Prf19YNJPg

शासकीय प्राथमिक शाला सोमाकाला के अध्यापक महेश प्रसाद यादव का कहना है कि इस संबंध में बीते तीन सालों के भीतर कई बार लिखित सूचना तक दी जा चुकी है। बावजूद इसके स्थानीय पंचायत से लेकर जिला प्रशासन तक अब तक इस स्कूल या मासूम बच्चों की सुध लेने को तैयार नहीं है। शिक्षक महेश प्रसाद यादव ने बताया कि हम अपने स्तर पर बच्चों को पढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। लेकिन, जिम्मेदारों की उदासीनता के चलते अन्य मूलभूत सुविधाएं तो छोड़िए, यहां बच्चों को छत तक नसीब नहीं हो रही है।

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