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मिलर, खरीदी केंद्र प्रभारी और फर्जी किसानों के गठजोड़, सरकार को लगा दिया करोड़ों का चूना

मिलर, खरीदी केंद्र प्रभारी और फर्जी किसानों के गठजोड़ से सरकार को समर्थन मूल्य पर धान खरीदी में करोड़ों रुपए की चपत लगाई जा रही है।

कटनीFeb 06, 2022 / 09:55 pm

Faiz

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मिलर, खरीदी केंद्र प्रभारी और फर्जी किसानों के गठजोड़, सरकार को लगा दिया करोड़ों का चूना

कटनी. मिलर, खरीदी केंद्र प्रभारी और फर्जी किसानों के गठजोड़ से सरकार को समर्थन मूल्य पर धान खरीदी में करोड़ों रुपए की चपत लगाई जा रही है। घोटाले के सूत्रधारों ने मौके पर धान नहीं होने के बाद भी कागजों में खरीदी कर ली और धान मिलर के गोदाम तक पहुंच भी गया। जांच टीम जब मिल पहुंची तो मिलर ताला लगाकर भाग गए। खरीदी केंद्र में कर्मचारी श्रमिकों को मौके से भगाकर स्वयं भी नदारत हो गए। कटनी में धान खरीदी घोटाले का शुरुआती आंकड़ा ही 8 करोड़ रुपए से ज्यादा का है। इसमें कटनी के 7 मिलर सहित 15 धान खरीदी केंद्र प्रभारियों की भूमिका संदिग्ध है।


समर्थन मूल्य पर धान खरीदी में किसानों से बिना धान लिए ही कागजों में करोड़ों रुपए का धान खरीदकर सरकार को नुकसान पहुंचाने का बड़ा मामला कटनी में सामने आया है। दो दिनों की जांच में एक मिलर और धान खरीदी केंद्र की भूमिका संदिग्ध पाए जाने के बाद जांच टीम ने धारा 409 व 420 के तहत कार्रवाई की अनुशंसा की है।

नागरिक आपूर्ति निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक जबलपुर एलएल अहिरवार, जिला आपूर्ति अधिकारी कटनी बालेंद्र शुक्ला, नागरिक आपूर्ति निगम रीवा के जिला प्रबंधक संजय सिंह और कटनी प्रबंधक मधुर खर्द ने दो दिन की जांच के बाद पाया कि रोहरा इंडस्ट्रीज के प्रोपाइटर बंटु रोहरा और उबरा धान खरीदी केंद्र के सहायक प्रबंधक अनुज सिंह रघुवंशी, प्रभारी भूपत द्विवेदी, ऑपरेटर नितेश तिवारी ने सांठ गांठ करते हुए कूट रचित दस्तावेज तैयार कर शासन के निर्देशों को ताक पर रखकर 2 करोड़, 9 लाख 92 हजार 740 रुपए की राशि खुर्द-बुर्द कर शासन को क्षति पहुंचाई है। इनके विरुद्ध भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 409 व 420 के प्रावधानों के तहत कार्रवाई प्रस्तावित है।

 

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जांच टीम के पहुंचने से पहले भागा प्रभारी

बरही के समीप उबरा धान खरीदी केंद्र में शनिवार को जांच टीम के पहुंचने से पहले ही खरीदी केंद्र प्रभारी और अन्य कर्मचारी मौके से भाग गए। काम करने वाले श्रमिकों को भी भगा दिया। यह स्थिति तब रही जब जांच टीम के आने की सूचना सुबह ही दी गई थी। उबरा में किसी के नहीं मिलने के बाद पंचनामा बनाकर जांच टीम लौट गई।

 

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ऐसे किया घोटाला, सरकार को लगाई चपत


गरीबों को खराब अनाज वितरण के बीच ये है मुनाफे का गणित

जानकार बताते हैं कि मिलर, खरीदी केंद्र प्रभारी और फर्जी किसानों का गिरोह खुलेआम कागजों में धान खरीदी के बाद उसके एवज में सरकार से मिलने वाली का बंदरबाट करते हैं। इसमें मिलर को बिना धान परिवहन के ही परिवहन राशि मिलने से अतिरिक्त लाभ होता है। धान की मात्रा के एवज में चावल जमा करने के लिए खराब धान सस्ते दर पर मंगवाई जाती है, इससे निम्न गुणवत्ता की धान जरुरतमंद परिवारों को आपूर्ति होती है।


3 फरवरी को इन मिलर्स के नाम कटा था DO

मिलर गुरूनानक इंडस्ट्रीज के नाम 909.9 मिट्रिक टन, जय श्रीकृष्ण इंडस्ट्रीज 346.4, प्रगति राइस मिल 389.7, रोहरा इंडस्ट्रीज 1082.5, सियाराम इंडस्ट्रीज 476.3, सुमन सत्य नारायण 649.5 व वरुण इंडस्ट्रीज 433 के नाम खरीदी केंद्र से धान डिलवरी आर्डर (डीओ) 3 फरवरी को काटा गया था। यह सब हवा में हुआ, मौके पर धान नहीं होने के बाद भी खरीदी बताई गई।


15 धान खरीदी केंद्रों भूमिका संदिग्ध

उबरा, पिपरियाकला, धरवारा, बचैया, हदरहटा, सिंगोड़ी, हथियागढ़, सिहुड़ी, बगैहा, सलैया कोठारी, विजयराघवगढ़, करेला, नन्हवारा अमेहटा, बरही, बड़वारा धान खरीदी केंद्र की भूमिका संदिग्ध बन रही है।


ठोस कार्रवाई की दरकार

गरीब परिवारों को सप्लाई होने वाले चावल में धान खरीदी से लेकर उसकी मिलिंग और गुणवत्तायुक्त चावल की आपूर्ति में घोटाले की फेहरिस्त बहुत लंबी है। सवाल ये है कि, ऐसे मामले सामने आने के बाद सिस्टम को अंदर ही अंदर खोखला कर रहे गुनाहगारों पर क्या समय रहते ठोस कार्रवाई हो पाएगी या हमेशा की कुछ चुनिंदा लोगों के दबाव में ये मामला भी फाइलों में दफन हो जाएगा।

मध्यप्रदेश में गरीब परिवारों को घटिया चावल की आपूर्ति नई बात नहीं है। बीते वर्ष ही ऐसे मामले सामने आने के बाद पीएमओ ने जानकारी मांगी थी। और तब भी कुछ चुनिंदा लोगों द्वारा ये बताने की कोशिश होती रही कि, सरकार की धान की मिलिंग कर जैसे उल्टे सरकार पर ही अहसान किया जा रहा है। प्रदेश सरकार ने भी दरियादिली दिखाई और इस साल मिलिंग दर मनमाफिक बढ़ाया। इसके बाद उम्मीद की जा रही थी कि काम ईमानदारी से होगा और इसके बाद भी अगर कागजों में धान की खरीदी कर सरकार को करोड़ों रुपए का चूना लगाया जा रहा है तो सरकार को भी ऐसे मामलों पर ठोस कार्रवाई की इच्छाशक्ति के साथ आगे बढ़ना चाहिए।

 

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