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दरअसल महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी सन् 1965 से सन् 1970 तक कासगंज में सरस्वती शिशु मंदिर में प्रधानाचार्य के रूप में तैनात रहे। तब के दौरा में सरस्वती शिशु मंदिर लक्ष्मी गंज में एक किराए के भवन में चलता था। कोश्यारी की अपने कार्य के प्रति निष्ठा और लगन का अंदाजा आप इसीसे लगा सकते हैं कि अतिरिक्त खर्चा और समय की बचत वह स्कूल की व्यवस्थाओं में अधिकतम समय देने की उनकी सोच ही थी जिसके चलते उन्होंने कासगंज में अलग घर नहीं लिया बल्कि वह में स्कूल के ही एक कमरे में रहते थे। हालांकि सोरों गेट स्थिति संघ कार्यालय पर कभी कभार रुक जाया करते थे।
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नियमित आते थे सायं शाखा कितनी भी व्यस्तता हो कोश्यारी शाखा जाना नहीं भूलते थे। संघ के पुराने कार्यकर्ता बताते हैं कि सोरों गेट या नगर पालिका में लगने वाली सायं शाखा में भगत सिंह कोश्यारी नियमित आते थे। वह शाखा में बाल स्वयं सेवकों से ऐसे घुल मिल जाते थे कि मानो वह आज भी एक बाल स्वयं सेवक ही हों। यह भी पढ़ें
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साइकिल से घूम-घूम कर स्कूल के लिए जुटाई सहायता स्थानीय लोग बताते हैं कि बिलराम गेट स्थित राव महेंद्र पाल सिंह सरस्वती शिशु मंदिर की नींव में भगत सिंह कोश्यारी की प्रमुख भूमिका है। स्कूल के व्यवस्थापक शांता कुमार के साथ साइकिल पर पीछे बैठकर कोश्यारी शहर भर में लोगों से मिलते थे और स्कूल के लिए सहायता इकट्ठी करते थे। यह भी पढ़ें