चंडीगढ़। हरियाणा की पूर्व कांग्रेस सरकार में कीटनाशक दवा रैक्सिल की खरीद में घोटाले को उजागर करने वाले आईएएस अधिकारी अशोक खेमका की कार्रवाई पर प्रदेश की मौजूदा सरकार ने भी मोहर लगा दी है। सरकार ने इस मामले में घोटाले की आशंका के चलते रैक्सिल दवाई की खरीदारी में हुई धांधली के मामले को केन्द्रीय सतर्कता आयोग को जांच के लिए भेज दिया है। राज्य सरकार को रैक्सिल दवाई की खरीद से लगभग 80 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है।प्रदेश की पूर्व कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में आई.ए.एस. अधिकारी अशोक खेमका को जब बीज विकास निगम में प्रबंध निदेशक थे। खेमका इस पद पर बहुत कम समय के लिए रहे थे। जिस दौरान उन्होंने रैक्सिल दवा खरीद में घोटाले को सार्वजनिक किया था। बंट बीमारी के इलाज के लिए बीज का उपचार हरियाणा के कृषि मंत्री ओम प्रकाश धनखड़ ने बताया कि गेंहू की फसल में करनाल बंट नामक बीमारी होती है, क्योंकि इस बीमारी का सबसे पहले पता करनाल में लगा था। इसलिए करनाल बंट बीमारी के इलाज के लिए बीज का उपचार किया जाता है और पिछली सरकार ने वर्ष 2010-11 से रेक्सिल दवाई को इस बीमारी के उपचार हेतु खरीदना शुरू किया था जो नई सरकार बनने तक जारी रहा था।इस दौरान लगभग 100 करोड़ रुपए की रैक्सिल दवाई खरीदी गई। बायर कंपनी की रैक्सिल दवाई मंत्री ने बताया कि पिछली सरकार ने बायर कंपनी की रैक्सिल दवाई के लिए अपनी सिफारिश भी भेजी, क्योंकि इस बीमारी के लिए केवल इसी दवाई कंंपनी को बढावा दिया गया, जबकि यह दवाई पेस्टीसाइड मैनेजमेंट बोर्ड में भी पंजीकृत नहीं हैं, फिर भी पिछली कांग्रेस सरकार ने इस दवाई के प्रयोग के लिए अपनी एकल सिफारिश दी। उन्होंने बताया कि पेंटेंट रैक्सिल दवाई 1350 रुपए प्रति किलो है जबकि जेनरिक दवाई 300 रुपए प्रति किलो के अनुसार आ जाती है। उनकी सरकार ने आते ही जेनरिक दवाई की सिफारिश की, क्योंकि यह रेक्सिल दवाई के मुकाबले सस्ती है। उन्होंने बताया कि पेस्टीसाइड मैनेजमेंट बोर्ड में यह दवाई पंजीकृत न होते हुए भी बायर कंपनी के पक्ष में एक विज्ञापन छपवाया गया, जिसका मामला उच्च न्यायालय में चल रहा है। इस प्रकार से राजकोष को भारी हानि हुई और केवल एकल दवाई को बढ़ावा दिया गया। यह मामला पार्लियामेेंट की स्टेडिंग कमेटी में भी लाया गया और कमेटी ने इस मामले पर विचार करते हुए एक पक्ष में एकल बढावा देने पर अपनी नाराजगी जताई है। मामले में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना का धन भी है परंतु दवाई उपयोग के क्षेत्र के अनुसार इस पर कार्यवाही करने के लिए राज्य सरकार लामबंद हैं और इस दिशा में आज यह मामला केन्द्रीय सर्तकता आयोग को जांच के लिए भेजा है, जिसमें मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने भी अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी है।