करौली

राजस्थान के इस शहर की ब्लड बैंक में ऐसा क्या है कि हमेशा बना रहता लहू का इंतजार

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करौलीOct 02, 2018 / 12:55 pm

Dinesh sharma

राजस्थान के इस शहर की ब्लड बैंक में ऐसा क्या है कि हमेशा बना रहता लहू का इंतजार

करौली. आम दिनों की भांति स्वैच्छिक रक्तदान दिवस के मौके पर भी सोमवार को जिला चिकित्सालय की ब्लड बैंक को रक्त का इंतजार बना रहा। अधिकांश समय रक्त के टोटे से जूझती सामान्य चिकित्सालय की ब्लड बैंक में 600 यूनिट ब्लड स्टोरेज की क्षमता है, लेकिन विडंबना यह है कि ब्लड बैंक में सोमवार को महज 7 यूनिट रक्त ही उपलब्ध था।
चिकित्सालय सूत्र बताते हैं कि कुछ तो चिकित्सालय प्रबंधन की व्यवस्थाएं और कुछ करौली में कम रक्तदान शिविर आयोजन के कारण ब्लड बैंक में ब्लड का टोटा रहता है। कारण जो भी है, लेकिन ब्लड के अभाव में आपात स्थिति में अनेक रोगियों को रैफर करना पड़ता है।
ऐसे में रोगियों की जान को खतरा बना रहता है। स्वैच्छिक रक्तदान के मौके पर पत्रिका ने शहर के रक्तदाताओं से रक्तदान, उसके महत्व और भ्रांतियों को लेकर चर्चा की तो उन्होंने इसके फायदे गिनाए। साथ ही चिकित्सालय प्रशासन की व्यवस्थाओं को लेकर भी विचार व्यक्त किए।
लेने वाले अधिक, देने वाले कम
चिकित्सालय सूत्र बताते हैं कि ब्लड बैंक से ब्लड लेने वालों की संख्या अधिक रहती है, लेकिन उसके बदले रक्त नहीं मिलता। ऐसे में ब्लड बैंक में रक्त का टोटा बना रहता। ब्लड रखने के फ्रिज खाली ही पड़े रहते हैं। विभिन्न स्थानों पर लगने वाले रक्तदान शिविरों से ब्लड बैंक को रक्त मिलता है।
सूत्र बताते हैं कि गत 9 माह की अवधि (जनवरी से सितम्बर) में करीब 474 यूनिट रक्त फ्री दिया गया। लेकिन इसके अनुपात में ब्लड बैंक को इतना रक्त ही नहीं मिला।

आहत हैं रक्तदान के रक्तवीर
जीवन के 52 बंसत देख चुके यहां हटवारा बाजार निवासी अकबर खान बताते हैं कि उनके द्वारा 77 बार रक्तदान किया जा चुका है। जिला स्तर से लेकर राज्य स्तर तक रक्तदान के लिए सम्मानित हो चुके खान चिकित्सालय प्रशासन की अव्यवस्थाओं से आहत हैं।
खान कहते हैं कि यहां डोनर की कोई पहचान नहीं है। यदि रक्तदाताओं की पहचान बनाई जाए तो अन्य लोग भी रक्तदान के प्रति प्रोत्साहित होंगे। रक्तदान को लेकर अकबर कहते हैं कि यह पुनीत कार्य है। रक्तदान करना उन्हें अच्छा लगता है और 100 बार रक्तदान करने का लक्ष्य बनाया हुआ है। रक्त से किसी की जिंदगी बचती है, ऐसे में प्रत्येक व्यक्ति को रक्तदान करना चाहिए।
रक्त के बिना नहीं जाए किसी की जान
राजकीय महाविद्यालय के व्याख्याता डॉ. सीताराम खण्डेलवाल कहते हैं कि जीवन में सबसे बड़ा रक्तदान है। रक्तदान करने से ना केवल दूसरे की जान बचाई जा सकती है, बल्कि स्वयं का शरीर भी स्वस्थ्य बना रहता है। हृदय स्वस्थ्य बना रहती है लाल रुधिक कणिकाएं नई बनती हैं, जिससे ऑक्सीजन लेने की क्षमता बढ़ती है और कार्य क्षमता बढ़ती है। ऐसे में रक्तदान करना चाहिए। रक्तदान को लेकर फैली भ्रांतियां गलत हैं। कोई भी स्वस्थ्य व्यक्ति रक्तदान कर सकता है।
रक्तदान से अच्छा कुछ नहीं
रक्तदाता सुमित गर्ग कहते हैं कि रक्तदान से शरीर स्वस्थ्य रहता है। जिंदगी बचाने का इससे अच्छा कोई माध्यम नहीं है। हालांकि चिकित्सालय में व्यवस्थाएं ठीक नहीं हैं। ब्लड उपलब्ध कराने की व्यवस्थाओं में सुधार करना जरुरी है।

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