बीहड़ की राजनीति हमेशा चौंकाने वाली रही है। लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान भी यही चर्चा आम है। मतदाता अभी अपने पत्ते खोलने को तैयार नहीं। इधर, करौली-धौलपुर लोकसभा सीट पर इस बार दोनों प्रमुख राजनीतिक दल कांग्रेस और भाजपा के नेता जीत के लिए आश्वस्त नजर आ रहे हैं। कांग्रेस प्रत्याशी भजनलाल जाटव भरतपुर जिले के वैर कस्बा निवासी हैं और भाजपा प्रत्याशी इन्दु जाटव करौली की हैं। कांग्रेस मीना, जाटव और गुर्जर वोटों के भरोसे है, तो वहीं भाजपा परंपरागत वोटों को साधने में जुटी है। जातिगत समीकरणों के लिहाज से देखें तो कुछ जातियों की भाजपा से नाराजगी नजर आ रही है। इसके बावजूद भाजपाई राम मंदिर के भरोसे चुनावी नैया पार करने का दावा कर रहे हैं। कांग्रेस के लिए भी राह आसान नहीं है। प्रचार के मामले में यहां भाजपा आगे नजर आती है। हालांकि दोनों ही दलों के प्रत्याशी मतदाताओं को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टी के प्रत्याशियों को भितरघात और बगावत का सामना करना पड़ सकता है।
राजाखेड़ा के रास्ते में मिले मयंक गुप्ता ने बताया कि हर चुनाव में जातिगत समीकरण हावी रहे हैं। यहां मिले अन्य लोगों ने कहा कि चुनाव जीतने के बाद प्रत्याशियों को जनता से किए वादे याद रखने चाहिए। गंगापुर सिटी में मिले वैभव ने बताया कि लंबे समय से चंबल प्रोजेक्ट से पेयजल नहीं मिल पाया है। सिंचाई के पानी की लंबे समय से मांग की जा रही है। हिण्डौन पहुंचते ही चुनावी नारों से ज्यादा माता के जयकारे सुनाई दिए। बस स्टैंड पर पहुंचा, तो ज्यादा यात्री सिर पर चुनरी बांधे दिखे।
मतदाताओं के मन की थाह जानने निकला तो 100 किलोमीटर का सफर तय कर धौलपुर पहुंचा। जहां सरानीखेड़ा के रास्ते में एक चाय की चौपाल पर मिले 85 वर्षीय ज्ञानसिंह गुर्जर बोले- धौलपुर और करौली में पर्यटन क्षेत्र विकसित हो सकता है, लेकिन आज तक किसी राजनीतिक दल ने इस पर ध्यान नहीं दिया। सरानीखेड़ा गांव की चौपाल में कुछ लोग चुनावी चर्चा करते मिले। ग्रामीण जुगनू कुमार बोले- यहां रोजगार का संकट है। कई सरकारें आई, लेकिन रोजगार कोई नहीं दे पाया। केशव शर्मा बोले- गांव में अवारा पशुओं की बड़ी समस्या है।