पास का नियम बाइपास, मंडी में जुट रही किसानों की भीड़
हिण्डौनसिटी. कोरोना महामारी के संक्रमण से बचाव को लेकर केन्द्र से लेकर राज्य सरकार भले ही पूरी तरह गंभीर बनी हुई है, लेकिन उपखंड मुख्यालय पर कैलाशनगर स्थित जिले की एकमात्र ‘ए’ श्रेणी की कृषि उपज मंडी समिति प्रशासन इसको लेकर कतई गंभीर नहीं दिख रहा। करौली जिला प्रशासन द्वारा हाल ही में मंडी यार्ड में सोशल डिस्टेंसिंग की पालना के लिए बनाए गए नियम खुलेआम दरकिनार किया जा रहे हंै।नियमानुसार हिण्डौन पंचायत समिति क्षेत्र की प्रत्येक ग्राम पंचायत के 5-5 किसानों को प्राधिकृत अधिकारी द्वारा जारी अनुमति-पत्र के आधार पर मंडी में कृषि जिंसों के बेचान के लिए प्रवेश दिया जाना चाहिए। लेकिन मंडी समिति प्रशासन और व्यापार मंडल की मिलीभगत के चलते बिना सरकारी अनुमति पत्र के ही किसानों के प्रवेश दिया जा रहा है। जिससे कोरोना संक्रमण से बचाव एवं सोशल डिस्टेंस की पालना सुनिश्चित करने के दावे हवाई साबित हो रहे हैं। अनुमति-पत्र की आड़ में अवैध वसूली- प्रशासन ने 15 अप्रेल से मंडी शुरु कराई थी। इसके लिए हिण्डौन पंचायत समिति क्षेत्र की प्रत्येक ग्राम पंचायत के पांच किसानों को हर रोज (कार्य दिवस में) अनुमति पत्र (पास) जारी करने का निर्णय लिया गया। जिसके अनुसार ग्राम पंचायतों में भारत निर्माण राजीव गांधी सेवा केन्द्रों पर 14 अप्रेल से संबंधित पटवारी, ग्राम सेवक व कृषि पर्यवेक्षक द्वारा अनुमति-पत्र जारी करने में जुट गए। नियमानुसार इस अनुमति पत्र से ही कृषकों को मंडी में अपनी उपज के बेचान के लिए नियत तिथि को प्रवेश पा दिया जाना चाहिए। लेकिन मंडी यार्ड के मुख्य द्वार पर बने चैक पोस्ट से बिना अनुमति पत्र के ही किसानों के जिंसों से भरे वाहनों को प्रवेश दिया जा रहा है। नियम की आड़ लेकर बिना अनुपति पत्र वाले किसानों से अवैध रुप से 500-500 रुपए वसूल किए जा रहे हैं। जिससे मंडी के मुख्यद्वार पर आए दिन किसान और कर्मचारियों में झगड़े कर नौबत उत्पन्न हो रही है।व्यापारियों से भी अवैध वसूली-सूत्रों के अनुसार बिना अनुमति पत्र के मंडी यार्ड में प्रवेश पाने के लिए किसान पहले अपनी जेब चैक पोस्ट पर कटवाता है। इसके बाद वह जिंस से भरे वाहन को जिस व्यापारी की दुकान पर लेकर पहुंचता है। उसी दुकान पर पीछा करते हुए मंडी समिति के अधिकारी व कर्मचारी पहुंच जाते है और बिना अनुमति पत्र के घुसे किसान का माल खरीदने के नियम का हवाला देकर संबंधित व्यापारी से मनमाफिक सुविधा शुल्क वसूली कर ली जाती है। आने चाहिए 195 और आ रहे 400 किसान- प्रदेश में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति की चेन नहीं टूटे, इसके लिए जिला प्रशासन ने हाल ही मंडी में सोशल डिस्टेसिंग की पालना के लिए मापदंड तय किए थे। जिसके अनुसार हिण्डौन पंचायत समिति क्षेत्र की 52 ग्राम पंचायतों के (प्रत्येक पंचायत से पांच-पांच) प्रतिदिन 135 अनुमति पत्र धारक किसान मंडी यार्ड में कृषि जिंस बेचान के लिए आने चाहिए। इसके अलावा कारोबार से जुड़े 60 व्यापारियों की मांग व व्यापार मंडल की अनुशंसा पर नादौती, टोडाभीम व करौली पंचायत समिति क्षेत्र से एक-एक किसान यानि 60 किसान जिंस बेचान को आने चाहिए। लेकिन मंडी समिति प्रशासन और व्यापार मंडल की मिलीभगत के कारण प्रतिदिन 400 से 500 किसान मंडी में प्रवेश कर रहे हैं। ऐसे में कोरोना संक्रमण की चेन तोडऩे का सपना साकार होता नहीं दिख रहा। न मास्क लगाते, न करते सोशल डिस्टेसिंग की पालना-लॉकडाउन में 25 दिनों तक मंडी में कारोबार बंद रहने के बाद प्रशासन ने 15 अप्रेल को जब मंडी शुरु कराई तो किसान, व्यापारी, पल्लेदार, कर्मचारी समेत मंडी में प्रवेश करने वाले हरेक व्यक्ति के लिए मास्क पहनना अनिवार्य करते हुए सोशल डिस्टेसिंग की पालना करने के निर्देश दिए थे। लेकिन मंडी यार्ड में किसान ही नहीं बल्कि व्यापारी और पल्लेदार भी मास्क नहीं लगाते। नीलामी के दौरान सोशल डिस्टेसिंग के नियम की भी खूब धज्जियां उडाई जा रही है। इनका कहना है– मंडी यार्ड में बिना अनुमति पत्र के प्रवेश वर्जित है।अगर बिना पास प्रवेश दिया जा रहा है, तो मंडी समिति प्रशासन की लापरवाही है। जांच कराकर न्यायोचित कार्रवाई करेंगे।- सुरेश यादव, एसडीओ, हिण्डौनसिटी। -मंडी समिति परिसर में सरकारी एडवाईजरी की पूर्णतया पालना कराई जा रही है। यार्ड में वैसे तो अनुमति-पत्र के ही प्रवेश दिया जा रहा है। लेकिन कोई एक -दो किसान आते हैं तो उन्हें मानवता के आधार के प्रवेश दिया जाता है। अवैध वसूली के आरोप बेबुनियाद है।- राजेश कर्दम, सचिव, कृषि उपज मंडी समिति, हिण्डौनसिटी। – मंडी यार्ड में 90 प्रतिशत किसानों को पास के आधार पर प्रवेश दिया जा रहा है। इक्के-दुक्के किसान बिना अनुमति पत्र के आते हैं तो उन्हें मंडी समिति की सहमति से प्रवेश करा जिंस खरीद की जाती है।-गोपाल लाल जैन, अध्यक्ष व्यापार मंडल, कृषि उपज मंडी, हिण्डौनसिटी।