करीब २३० विद्यार्थियों के नामांकन वाले इस विद्यालय में कक्षा-कक्षों की भी कमी बनी हुई है। ऐसे में बच्चों को बैठने के लिए भवन की कमी अखरती है। वर्तमान में स्कूल में ७ कमरे बने हुए हैं, जिनमें से चार कमरों की स्थिति बदहाल है, लेकिन बच्चों को उनमें बिठाकर पढ़ाना स्कूल प्रबंधन की मजबूरी बनी हुई है। इतना ही नहीं एक कक्ष की तो पट्टी टूटी हुई है। वहीं दीवारों में दरारें आ रहीं हैं। विद्यालय में कक्षों के अभाव में परिसर में बनी तीन गह पाटोरपोश में भी बच्चों को बिठाया जाता है। पुरानी होने से पाटोरपोश की भी स्थिति सही नहीं है।
बारिश में छत से टपकता है पानी
बारिश के दिनों में तो स्कूल की स्थिति और भी खराब हो जाती है। लगभग हर कक्षा कक्ष में छत से पानी टपकता है, जिससे फर्श के गीले होने से बच्चों का बैठ पाना मुश्किल भरा होता है। ऐसे में बच्चों की छुट्टी तक करनी पड़ जाती है।
बारिश के दिनों में तो स्कूल की स्थिति और भी खराब हो जाती है। लगभग हर कक्षा कक्ष में छत से पानी टपकता है, जिससे फर्श के गीले होने से बच्चों का बैठ पाना मुश्किल भरा होता है। ऐसे में बच्चों की छुट्टी तक करनी पड़ जाती है।
मुख्यद्वार भी क्षतिग्रस्त
विद्यालय का मैन गेट भी टूटा पड़ा है, जिससे विद्यालय परिसर में स्कूल समय के बाद समाजकंटों का जमावड़ा लगा रहता है, वहीं आवारा जानवर भी घुस जाते हैं। जिससे परिसर में गंदगी फैलती है। इसके अलावा स्कूल के सामने सड़क ऊंची होने के कारण स्कूल परिसर में पानी भरा रहता है। इससे बच्चों सहित स्टाफ को आने-जाने में भी परेशानी होती है।
विद्यालय का मैन गेट भी टूटा पड़ा है, जिससे विद्यालय परिसर में स्कूल समय के बाद समाजकंटों का जमावड़ा लगा रहता है, वहीं आवारा जानवर भी घुस जाते हैं। जिससे परिसर में गंदगी फैलती है। इसके अलावा स्कूल के सामने सड़क ऊंची होने के कारण स्कूल परिसर में पानी भरा रहता है। इससे बच्चों सहित स्टाफ को आने-जाने में भी परेशानी होती है।
बिजली बिन, गर्मी से बेहाल
स्कूल में बिजली की भी सुविधा नहीं है। गर्मियों में विद्यार्थी बिना पंखा के ही अध्ययन करते हैं। तेज गर्मी में कक्षा-कक्षों में बच्चे पसीने-पसीने होते रहते हैं। ऐसे में अध्यापक उन्हें गर्मी से बचाव के लिए खुले में पेड़ के नीचे बिठा पढ़ाते हैं।
स्कूल में बिजली की भी सुविधा नहीं है। गर्मियों में विद्यार्थी बिना पंखा के ही अध्ययन करते हैं। तेज गर्मी में कक्षा-कक्षों में बच्चे पसीने-पसीने होते रहते हैं। ऐसे में अध्यापक उन्हें गर्मी से बचाव के लिए खुले में पेड़ के नीचे बिठा पढ़ाते हैं।
बदहाला है भवन
प्रधानाध्यापक मोनिका चौधरी के अनुसार स्कूल के सात कक्षों में से चार की स्थिति खराब है। परिसर का मुख्य दरवाजा भी क्षतिग्रस्त है। विद्यालय परिसर नीचा होने से उसमें बारिश में पानी भर जाता है। इससे परेशानी होती है। स्कूल भवन की स्थिति से उच्चाधिकारियों को अवगत कराया हुआ है।
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प्रधानाध्यापक मोनिका चौधरी के अनुसार स्कूल के सात कक्षों में से चार की स्थिति खराब है। परिसर का मुख्य दरवाजा भी क्षतिग्रस्त है। विद्यालय परिसर नीचा होने से उसमें बारिश में पानी भर जाता है। इससे परेशानी होती है। स्कूल भवन की स्थिति से उच्चाधिकारियों को अवगत कराया हुआ है।
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