करौली

करौली के लोगों को राज्य के बजट से उम्मीद

राज्य सरकार के दस जुलाई को पेश होने बाले बजट से करौली जिले के लोगों को शिक्षा, स्वास्थ्य, पानी व लोह अयस्क के प्रोजेक्ट को हरी झण्डी मिलने की उम्मीद है।

करौलीJul 08, 2019 / 06:58 pm

vinod sharma

करौली के लोगों को राज्य के बजट से उम्मीद

करौली. राज्य सरकार के (Karauli people expect state budge) दस जुलाई को पेश होने बाले बजट से करौली जिले के लोगों को शिक्षा, स्वास्थ्य, पानी व लोह अयस्क के प्रोजेक्ट को हरी झण्डी मिलने की उम्मीद है। इन प्रोजेक्टों को मंजूरी मिलने के बाद ही जिला विकास के पथ पर दौड़ेगा।

1237 मिलीयन टन का मिला भंडार, लेकिन उपयोग नहीं
करौली जिले के हिण्डौन सिटी तहसील के देदरौली, टोडूपुरा, खोहर्रा, लिलोटी आदि गांवों की पहाडिय़ों पर लोह का भंडार सरकार ने तलाश किया। इन मशीनों से लगभग 125 मीटर के 40 बोर किए गए। खुदाई में 1237 मिलियन टन लोह अयस्क होने का अनुमान लगाया गया।
इस दौरान 487 मीलियन टन मैगनेटाइट और 750 मिलीयन टन होमाटाइट अयस्क पाया गया। खनिज विभाग के वैज्ञानिक बताते है कि इन पहाडिय़ों में उच्च क्वालिटी का लोह अयस्क होने की पुष्टि हुई है। लेकिन सरकार इसके लिए बजट जारी नहीं कर पाई, जिससे आगे का काम शुरू नहीं हो सका।

सड़को को बजट की जरूरत
जिले में सड़कों का निर्माण बजट के अभाव में रुका हुआ है। कैलादेवी आस्थाधाम की मॉडल सड़क, करौली के नए अस्पताल रोड, नादौती व टोडाभीम क्षेत्र के अनेक गंवों में सड़कों का निर्माण बजट के अभाव में बंद है। कैलादेवी की मॉडल सड़क के लिए १६ करोड़ रुपए की स्वीकृति जारी की गई पर बजट मात्र लगभग पांच करोड रुपए ही मिला है।

इंजीनियरिंग व पॉलोटेक्निक कॉलेज को मिले बजट
करौली जिला मुख्यालय पर इंजीनियरिंग व पॉलोटेक्निक कॉलेज स्वीकृत है। लेकिन भवन के अभाव में दोनों कॉलेज भरतपुर व अलवर में संचालित है। करौली का पॉलोटेक्निक कॉलेज के भवन का निर्माण बजट के अभाव में अधूरा पड़ा है।
भवन निर्माण निर्माण को लगभग चार करोड़ रुपए की जरुरत है। इंजीनियरिंग कॉलेज के लिए अभी तक बजट ही स्वीकृत नहीं हुआ है। जिससे यह कॉलेज भरतपुर के सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज में संचालित है।
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सूरौठ-श्रीमहावीरजी को मिले तहसील का दर्जा
क्षेत्र के बड़े कस्बे सूरौठ व श्रीमहावीरजी वर्तमान में उपतहसील हैं। दोनों कस्बों के राजस्व संबंधी कार्य का निस्पादन का बोझ तहसील कार्यालय पर है। ग्रामीणों को भी तहसील कार्यालय आने के लिए १५-२० किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। दोनों कस्बे तहसील में क्रमोन्नत होते हैं, तो ग्रामीणों को राहत मिलेगी। वहीं हिण्डौन तहसील कार्यालय से राजस्व कार्यों का वजन कम होगा।

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