वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार बाघ के अंतिम संस्कार के बाद चिकित्सकों की टीम ने विसरा आदि के नमूने संकलित किए हैं। जिनको जांच के लिए बरेली, देहरादून, हैदराबाद स्थित प्रयोगशालाओं में भेजा जाएगा। जांच रिपोर्ट में ही मृत बाघ के नर-मादा होने से लेकर उसकी पहचान के अलावा मौत के कारणों का खुलासा हो सकेगा। रणथम्भौर के वन अधिकारियों से भी बाघ के संबंध में जानकारी साझा की गई है। रिकॉर्ड का मिलान पूरा होने से बाघ की पहचान में मदद मिलेगी।
वन अधिकारियों ने बताया कि जिस स्थान पर बाघ का शव मिला है। वहां पर विभाग की ओर से सघन छानबीन कराई जा रही है। इसके लिए विभाग की ओर से एसीएफ विक्रम मीणा के नेतृत्व में एक पांच सदस्यीय टीम भी गठित की गई है। टीम की ओर से गुरुवार को धौलपुर- करौली वन क्षेत्र की सीमा के अलावा महुआखेड़ा व गुवरेंडा वनखंडों में सघन जांच की। पहाड़ी क्षेत्र स्थित गौशाला के पास गौवंश के कुछ कंकाल मिले है, तो वहीं एक तालाब के पास पेंथर के पगमार्क पाए गए हैं। इसके अलावा टीम को कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला।
अभी तक मृत बाघ की पहचान नहीं हो सकी है। जहां तक बाघ की मौत के कारणों की बात है तो बाघ के नमूने जल्द ही प्रयोगशालाओंं में भिजवाए जाएंगे। प्रयोगशालाओं से रिपोर्ट आने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी।
सुरेश मिश्रा, उपवन संरक्षक, करौली।