यूंं तो बस स्टैण्ड का लम्बा-चौड़ा परिसर है, लेकिन स्टैण्ड परिसर में चहूंओर गंदगी और खरपतवार लगी है। परिसर के हर कोने में खरपतवार के बीच गंदगी का आलम है। स्थिति यह है कि इसके इर्द-गिर्द दुर्गंध तक उड़ती है, लेकिन रोडवेज प्रशासन इसके प्रति गंभीर नहीं है। नतीजतन दूरदराज से बस स्टैण्ड पर पहुंचने वाले यात्री नाक-मुंह सिकौड़ते नजर आते हैं।
स्टैण्ड पर सामने के हिस्से में तो सफाई होती है, लेकिन यह भी पर्याप्त नहीं होती है। वहीं पीछे के हिस्से सहित साइड के हिस्सों में तो सफाई पर ध्यान ही नहीं दिया जाता। रोडवेज निगम सूत्र कहते हैं कि बस स्टैण्ड पर कार्मिकों का टोटा है, ऐसे में कामकाज के दबाव में पर्याप्त व्यवस्थाओं की ओर से ध्यान ही नहीं जाता है। यदि करौली डिपो का यहां स्वतंत्र संचालन हो तो परिसर का उपयोग हो सकेगा। जब परिसर का उपयोग होगा तो साफ-सफाई भी बेहतर हो सकेगी।
सुलभ शौचालय पर लटका ताला
बस स्टैण्ड पर वर्षों पहले यात्रियों की सुविधा के मद्देनजर राज्य सरकार द्वारा तैयार कराया गया सुलभ शौचालय भी अनदेखी के चलते बदहाल हो गया है। सार्वजनिक निर्माण विभाग की ओर से करीब चार लाख रुपए की लागत से तैयार कराए गए इस सुलभ कॉम्लेक्स पर वर्षों से ताला लटका है। बिना उपयोग के ही इस सुलभ शौचालय पर रोडवेज प्रबंधन ने ताला लटका रहा है।
बस स्टैण्ड पर वर्षों पहले यात्रियों की सुविधा के मद्देनजर राज्य सरकार द्वारा तैयार कराया गया सुलभ शौचालय भी अनदेखी के चलते बदहाल हो गया है। सार्वजनिक निर्माण विभाग की ओर से करीब चार लाख रुपए की लागत से तैयार कराए गए इस सुलभ कॉम्लेक्स पर वर्षों से ताला लटका है। बिना उपयोग के ही इस सुलभ शौचालय पर रोडवेज प्रबंधन ने ताला लटका रहा है।
शौचालय का कभी उपयोग ही नहीं किया गया। नतीजतन सुलभ शौचालय जर्जर हाल हो गया है। सुलभ शौचालय का बाहरी हिस्सा हो या अन्दर का हिस्सा हर जर्जर क्षतिग्रस्त हालत है। यूरिनल टूट चुके हैं। दरवाजा बदहाल है। ताला लटका होने से यात्री सुविधाओं का लाभ नहीं उठा पाते हैं। नतीजतन अनेक यात्री स्टैण्ड परिसर में ही इधर-उधर टॉयलेट करते हैं, जिससे दुर्गंध को और बढ़ावा मिलता है।