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करौली में सबसे ऊंची प्रतिमा के लिए प्रसिद्ध है यह हनुमान मंदिर…यह है इतिहास

दिनेश शर्मा करौली. शारदीय नवरात्र में चहूंओर धर्म की बयार बह रही है। देवी मंदिरों में जहां एक ओर घट स्थापना के साथ शक्ति की आराधना (देवी मां के अनुष्ठान) चल रहे हैं वहीं हनुमान मंदिरों में अखण्ड रामायण पाठ के साथ चौपाइयों के स्वर गुंजायमान हो रहे हैं।

करौलीOct 18, 2020 / 07:15 pm

Dinesh sharma

करौली में सबसे ऊंची प्रतिमा के लिए प्रसिद्ध है यह हनुमान मंदिर…यह है इतिहास

दिनेश शर्मा
करौली. शारदीय नवरात्र में चहूंओर धर्म की बयार बह रही है। देवी मंदिरों में जहां एक ओर घट स्थापना के साथ शक्ति की आराधना (देवी मां के अनुष्ठान) चल रहे हैं वहीं हनुमान मंदिरों में अखण्ड रामायण पाठ के साथ चौपाइयों के स्वर गुंजायमान हो रहे हैं।
शारदीय नवरात्र में जगह-जगह धार्मिक अनुष्ठानों से माहौल धर्ममय है। बृज संस्कृति से ओतप्रोत करौली शहर में बड़ी संख्या में कृष्ण मंदिरों के अलावा हनुमान मंदिर भी बहुतायत में है। इनमें अनेक हनुमान मंदिरों का इतिहास सैंकड़ों वर्ष प्राचीन है। अलग-अलग मंदिरों का अलग-अलग इतिहास है, जो अपनी विशेष महत्ता लिए हुए हैं। शारदीय नवरात्र के दौरान राजस्थान पत्रिका द्वारा ऐसे ही हनुमान मंदिरों के इतिहास को लेकर शृंख्ला प्रकाशित की जा रही है।
चार सौ वर्ष प्राचीन है अनाज मण्डी स्थित हनुमानजी
करौली शहर में अनाज मण्डी स्थित हनुमानजी मंदिर में करीब 350-400 वर्ष प्राचीन प्रतिमा विराजित है। शहर में सबसे ऊंची दक्षिण मुखी इस हनुमान प्रतिमा की चौड़ाई भी करीब पांच फीट है। इस हनुमान मंदिर के प्रति लोगों में गहरी आस्था है। जिस स्थान पर वर्तमान में मंदिर बना हुआ है, वहां प्राचीन समय में इसके आसपास तालाब था और मंदिर तालाब की पाल पर था। मंदिर के महंत पुजारीदास और इतिहासकार वेणुगोपाल शर्मा बताते हैं कि तालाब में कमल के फूल खिलते थे, जिसके चलते तालाब का नाम पदम तालाब रखा गया। मंदिर में विराजित प्रतिमा भी शहर के अन्य हनुमान मंदिरों में विराजित हनुमान प्रतिमाओं में सबसे ऊंची है, जिसकी ऊंचाई करीब 7 फीट है। मंदिर महंत के पुत्र सुरेन्द्रकुमार शर्मा के अनुसार मंदिर स्थित हनुमानजी की प्रतिमा के चरणों में मकरध्वज विराजमान हैं। मंदिर का धीरे-धीरे विस्तार हुआ।
होते रहते हैं आयोजन
मंदिर में विभिन्न अवसरों पर अखण्ड रामायण पाठ का आयोजन होता है। प्रतिदिन अनेक लोग दर्शनों को मंदिर में पहुंचते हैं। मंगलवार-शनिवार को यहां विशेष भीड़ रहती है। इसके अलावा तीज-त्योहार के अवसर पर भी यहां आयोजन होते हैं। शीतला अष्टमी पर शीतला माता के पूजन के साथ महिलाएं इस हनुमान मंदिर पर पहुंचकर पूजन करती हैं। वहीं मंदिर के सामने के रास्ते से जब भी बारात की निकासी निकलती है, तो दूल्हा हनुमानजी के दर्शन करने अवश्य जाता है, जहां आंचल की परम्परा होती है।

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