गौरतलब है कि वर्ष 2010-11 में धौलपुर-गंगापुरसिटी वाया करौली रेल परियोजना की स्वीकृति मिली थी। केन्द्र सरकार की इस घोषणा से क्षेत्र के बाशिंदों में खुशी की लहर दौड़ गई थी, लेकिन यह इस रेल परियोजना शुरूआत से ही धीमी गति रही है। इसके लिए करीब 13 वर्ष का लबा अरसा गुजरने के बाद भी अभी तक करौलीवासियों को रेल का इंतजार बरकरार है।
1861 करोड़ से अधिक की है डीपीआर : हालांकि प्रथम पेज में धौलपुर-सरमथुरा के बीच नैरो गेज से ब्रॉड गेज लाइन परिवर्तन का काम जारी है, जबकि द्वितीय फेज में सरमथुरा से गंगापुरसिटी वाया करौली की करीब 76 किलोमीटर लबी रेल लाइन के लिए करीब 6 माह पहले रेलवे बोर्ड को 1861 करोड़ रुपए से अधिक की डीपीआर भिजवाई गई, जो अभी तक लंबित है।
यह भी पढ़ें
राजस्थान के लोगों की हो गई बल्ले-बल्ले, 9 लाख से ज्यादा घरों को मिलेगी 300 यूनिट बिजली फ्री
डीपीआर को मिले मंजूरी
रेल परियोजना के प्रथम चरण में सरमथुरा-धौलपुर तक नेरो गेज को ब्रॉड गेज में परिवर्तन का कार्य चल रहा है। जबकि द्वितीय चरण में सरमथुरा से गंगापुरसिटी वाया करौली की 76 किलोमीटर की रेल परियोजना के लिए डीपीआर अभी रेलवे बोर्ड में लंबित है। यदि बजट में मंजूरी मिलकर कार्य जल्द शुरू हो जाए तो क्षेत्रवासियों का दशकों का सपना पूरा हो सकेगा। साथ ही जयपुर से धौलपुर तक रेलवे का एक नया कॉरीडोर भी विकसित होगा। ऐसे में लोग इस डीपीआर की मंजूरी की आस लगाए हुए हैं। इस डीपीआर के मंजूर होने के बाद ही सरमथुरा-करौली-गंगापुरसिटी रेल लाइन के विस्तार का कार्य शुरू हो सकेगा। गौरतलब है कि दशकों की मांग के बाद धौलपुर-गंगापुरसिटी वाया करौली रेल लाइन वर्ष 2010-2011 में स्वीकृत हुई थी। इससे लोगों को रेल का सपना पूरा होने की उमीद जागी। लेकिन शुरू से ही यह रेल परियोजना धीमी गति से चली है। जिसके चलते अब तक एक भी चरण का कार्य पूरा नहीं हुआ है।- वेणुगोपाल शर्मा, महासचिव, रेल विकास समिति, करौली