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करौली

महावीर के जयकारों से गूंजी अहिंसा नगरी

रथ यात्रा में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब आस्था के आगे पस्त हुई धूप की तपन

करौलीApr 02, 2018 / 12:33 am

Anil dattatrey

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श्रीमहावीरजी. भगवान महावीर के स्वर्णजडि़त रथ को दैदीप्यमान करने के लिए रविवार को सूर्यदेव ने भी अहिंसा नगरी श्रीमहावीरजी पर स्वर्णिम रश्मियां बिखेरी। जियो और जीने दो के संदेश की आभा से दमकते रथ में विराजित भगवान जिनेंद्र की झलक पाने के लिए महावीर की नगरी में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। चिलचिलाती धूप में तपन की परवाह किए बिना गगनभेदी जयकारों के बीच भीड़ में चांदनपुर वाले बाबा के दरस की ललक का नजारा देखते ही बन रहा था। आग सी तपन से झुलसाती धूप में भी रथ यात्रा मार्ग, दुकानों, मकानों व मंदिर कटले की छतें भीड़ से अटी थी। वहीं सड़क पर भगवान महावीर के रथ को घेरे चल रहा लोगों का हुजूम आस्था की लहरों की झलक को साकार कर रहा था।
चमकते सूर्य की प्रखर उजास में जैसे ही भगवान महावीर का स्र्वणमंडित रथ ऐरावत हाथी की अगुवाई में मंदिर कटले के मुख्य द्वार से बाहर आया, तो माहौल भगवान महावीर के जयकारों के गुंजायमान हो गया। रथ के आगे हवा में लाठियां उछाल कर नाचते ग्रामीण युवाओं की भीड़ से जैन और अजैनों की आस्था का संगम देखते ही बन रहा था।
दोपहर बाद करीब ढाई बजे भगवान जिनेंद्र की प्रतिमा को पालकी में विराजित कर पाण्डाल में सजे नवीन रथ तक लाया गया। जहां मंदिर कमेटी के अध्यक्ष सुधांशु कासलीवाल, मानद मंत्री महेंद्र कुमार पाटनी व प्रबंधक नेमीचंद्र पाटनी ने रीति के अनुसार प्रतिमा को रथ में विराजित कराया। साथ ही हिण्डौनसिटी के नाजिम (उपजिला कलक्टर) शेरसिंह लुहाडिया को सारथी के रूप में भगवान जिनेंद्र के रथ पर बैठाया। मंदिर कमेटी अध्यक्ष रथ पर नाजिम के साथ सहसारथी के रूप में बैठे। पाण्डाल से रथ की रवानगी से पहले सदियों पुरानी परम्परा की पालना में ग्वाले कृपादास के वंशज ने रथ के कृत्रिम अश्वों की बल्गाओं (लगाम-रस्सी) को हाथ लगाया। मंदिर कमेटी के पदाधिकारियों ने ग्वाले के वंशज का वस्त्रादि प्रदान किए। इसके बाद रथ में बैठ चांदनपुर के बाबा नगर भ्रमण के लिए रवाना हुए।
प्रसादी लेने मची होड़

रथ के आगे २१ केसरिया पताकाओं का थामे केसररिया वस्त्रधारी बच्चों की टोली की अगुवाई में चल रही भट्टारकजी की पालकी, ऐरावत हाथी पर विराजित जिनवाणी और धर्मचक्र रथ आस्था का अद्भुत नजारा बन रहा था। गंभीर नदी तट तक मार्ग में कई स्थानों पर श्रद्धालुओं ने रथ में विराजित भगवान महावीर की प्रतिमा की आरती उतारी। वहीं रथ में बैठे श्रावकों द्वारा जन सैलाब के बीच प्रसादी की न्यौछावरी की। भीड़ में बाबा के प्रसाद को लेने की होड़ सी मच गई।

मुनियों के सानिध्य में निकली रथ यात्रा
अतिशय क्षेत्र में विराजित जैन मुनि चिन्मयानन्द सागर व युधिष्ठिर सागर के सानिध्य में रथ यात्रा निकली। रथ यात्रा के आगे निशान का घोड़ा व उसके पीछे केसरिया पोशाक पहने एक दर्जन से अधिक बैण्ड वादक अरिहंत के भजनों की स्वर लहरियां बिखेरते चल रहे थे। वहीं ऐरावत हाथी पर केसरिया वस्त्रधारी श्रावक जिनवाणी को लेकर बैठे था। भीड़ से अटे रास्ते में जिनेंद्र भगवान के रथ ने मंदिर से गंभीर नदी के रथ तक करीब एक किलोमीटर की दूरी दो घंटे तय की।
गंभीर तट पर हुआ जिनेंद्र का जलाभिषेक
गंभीर नदी के तट पर पहुंच रथ यात्रा का जुलूस धर्मसभा में परिवर्तित हो गया। नदी किनारे बने पांडाल में श्रीजी की पूजा की गई। जयपुर के वीरसेवक मण्डल व इन्द्र बने श्रावकों ने जैन मुनियों के सानिध्य में जल व पंचामृत से श्रीजी का कलशाभिषेक किया। धर्मसभा में जैन मुनियों ने महावीर के संदेश पर प्रवचन किए। जलाभिषेक व पूजा विधान के बाद भगवान महावीर की रथयात्रा पुन: मंदिर के लिए रवाना हुई। इस दौरान श्रीमहावीरजी, चांदनगांव व अकबरपुर गांव केे गुर्जर समाज के लोग रथ को अगुवाई कर मंदिर कटला तक लेकर आए। इससे पूर्व परम्परा के अनुसार रथ को मंदिर से नदी तक मीणा समाज के लोग अगुवाई करते ले गए।

माला की लगी बोली
गंभीर नदी तट पर हुई धर्मसभा में भगवान महावीर के प्रतिमा की माला की आखिरी बोली लखनऊ निवासी इंंद्रकुमार जैन के नाम रही। जैन को ८२०० मोहरों की बोली लगा भगवान जिनेंद्र के चरणों में रखी माला पहनने का सौभाग्य मिला। माला बोली धारक वापसी में रथ के सारथी एसडीओ के साथ बैठ मंदिर लौटे। उल्लेखनीय है कि गत वर्ष भी इंद्र कुमार जैन ने ४६०० मोहरों माला की बोली ली थी।
घोडिय़ों के नृत्य ने मोहा
रथ यात्रा में बैण्ड बाजे पर भजनों की स्वर लहरियों पर घोडिय़ों का नृत्य भी आकर्षण का केंन्द्र रहा। मंदिर कटला व मार्ग में जिनेंद्र के रथ के आगे ग्रामीण की प्रशिक्षित घोडिय़ों का नृत्य देख श्रद्धालु रोमांचित हो गए।

सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
मेले में शांति एवं कानून व्यवस्था के पुलिस की ओर से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए। पुलिस उपाधीक्षक राजेश मलिक के नेतृत्व में मेला मजिस्ट्रेट कैम्प के पास अतिरिक्त पुलिस जाप्ता के तैनात रहा। वहीं मंदिर क्षेत्र सहित रथ यात्रा मार्ग में काफी संख्या में पुलिसबल तैनात किया गया।
राह में टूटा नए रथ का पहिया, पुराने रथ में विराजे महावीर-
-परम्परा बदलने की लोगों में रही चर्चा
श्रीमहावीरजी.
साढ़े सात दशक बाद रथ यात्रा में भगवान महावीर को कृतिम अश्वों के नए रथ (धक्का चालित) में विराजित किया, लेकिन आधी यात्रा में ही रथ का पहिया टूट गया। इससे रथ रास्ते में ही थम गया। पहिया टूटने की खबर से लोग चांदपुर के बाबा की आस्था से अभिभूत हो,इसे महावीर के प्र्राकट्य काल की घटना से जोड़ जयकारे लगाने लगे। बाद में तुरत-फुरत मंगवाए बैलों की जोड़ी का पुराना रथ में प्रतिमा को विराजित किया। करीब आधे घंटे बाद रथ यात्रा नदी तट के लिए रवाना हुई।
मंदिर कटला रवाना हो रथ यात्रा बाजार से निकल सन्मति धर्मशाला के पास पहुंची। जहां अचानक रथ का बाई तरफ का बड़ा पहिया टूट गया। इससे महावीर का रथ थम गया। यह देख आयोजन से जुड़़े लोग व रथयात्रा में शामिल श्रद्धालु चकित हो गया। ग्रामीण व स्थानीय लोग नए रथ की यात्रा को परम्परा बदलने से जोड़ चर्चा करते देखे गए। लोगों का कहना था कि चांदनगांव में टीले पर गाय के दूध झरने से प्रकटे भगवान महावीर की रथ यात्रा शुरू से ही बैलों के रथ से निकलती है। नए रथ में बैलों की बजाय लगे कृतिम अश्वों को भी ग्रामीणों ने परम्परगत रथ में बदलाव बताया। लोग प्राकट्य के समय मूलनायक प्रतिमा को प्राकट्य स्थल से अन्यत्र लेजाने के प्रयास में ९०० बैलगाडियों के पहिए टूटने की किवदंती सुनाते दिखे। मौके पर पहुंचे बैलों के पुराने रथ में पालकी के जरिए भगवान माहावीर की प्रतिमा को विराजित किया गया।पुन:बैलों के रथ में प्रतिमा के विराजित होने से माहौल भगवान महावीर के जयकारों से गुंजायमान हो गया। नए रथ से रवाना हो बैलों के रथ से महावीर के मंदिर लौटने की क्षेत्र में आम चर्चा रही।

निष्ठावान कार्मिकों को नवाजा-
धर्मसभा में मंदिर कमेटी की ओर से निष्ठावान कर्र्मचारियों का सम्मान किया गया। मंदिर में दर्शनार्थियों के छूटे बैग पर्स व अन्य सामान को संबंधित तक लौटाने में सहयोगी बनने पर उन्हें अभिनंदन-पत्र व नकद राशि प्रदान की गई।
मंदिर कमेटी के मानदमंत्री महेंद्र कुमार पाटनी ने बताया कि धर्मसभा में मोहरसिंह हवलदार, रामहरी गुर्जर सहायक हवलदार, महाराजसिंह गुर्जर भण्डारी व अमित जैन पुजारी को पूर्व अध्यक्ष एनके सेठी, कोषाध्यक्ष विवेक काला, अध्यक्ष सुधांशु कासलीवाल ने सम्मानित किया।

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