करौली

देश आजाद हुए 70 साल से ज्यादा हो गए लेकिन राजस्थान के इस शहर में नहीं चली रेल, लोग पूछते हैं नेताओं से कि क्यों हुए फेल

https://www.patrika.com/rajasthan-news/

करौलीJul 28, 2018 / 11:27 pm

Vijay ram

राजस्थान में चुनाव को 4 माह बचे हैं, करौली में रेल नहीं चली तो भाजपा के राजौरिया बोले— पूरी ताकत से काम करूंगा इसके लिए

 
जयपुर/करौली.
इंडियन रेलवे दुनिया में चौथी सबसे बड़ी रेलवे कही जाती है, किंतु देश में अभी भी काफी हिस्से में न रेल चलतीं और न ही पटरियां बिछ पाई हैं।

 

सूबे के कई स्थान ऐसे हैं जहां लोग आजादी के समय से ही रेल में दौड़ने का ख्वाब पाले हैं। जयपुर से करीब 200 किमी दूर आधुनिक शहर करौली छह दशकोंं से रेल के लिए तरस रहा है, किंतु प्रपोजल व काम शुरू होने के बावजूद पटरियों का काम भी नहीं हो सका।
 

यहां ‘छुक-छुक’ दौडऩे का ख्वाब देख रहे लोगों को अब एक बड़ा झटका और लग गया है। धौलपुर-सरमथुरा नेरोगेज कन्वर्जन कार्य को रेलवे ने फ्रीज कर दिया है। इससे गंगापुरसिटीे से वाया करौली होकर धौलपुर रेल परियोजना भी खटाई में पड़ गई है।
 

ऐसे में लोगों की उम्मीद बे-पटरी हो गई है। बता दें कि करीब आठ साल पहले नई रेल परियोजना को मंजूरी मिलने से जिलेवासियों की खुशियां परवान पर थीं। उनको उम्मीद लगी थी कि जल्दी उनकी रेल की मुराद पूरी हो जाएगी। लेकिन अब इसका काम बंद होने से लोग निराशा में डूबे नजर आ रहे हैं। इसके लिए रेल विकास समिति एक बार फिर सड़क पर आई है। हालांकि उसको व्यापक जन समर्थन नहीं मिल पाया है। फिर भी संघर्ष कीठान कर समिति ने इस मसले को ‘जनता की अदालत’ में लेकर जाने का फैसला किया है।
 

प्रधानमंत्री कार्यालय ने रेल विकास समिति की ओर से लगाई गई आरटीआई के जवाब में इस प्रोजेक्ट को ‘फ्रीज’ बताया है। इससे करौली के लोगों की कोटा रेलवे लाइन से जुडऩे की उम्मीदों को करारा झटका लगा है। इस प्रोजेक्ट पर पहले कार्य शुरू कर दिया गया था। बाद में धौलपुर-सरमथुरा-तांतपुर रेलवे लाइन को हेरिटेज के रूप में यथास्थिति में रखने की राज्य सरकार की मंशा के चलते यह कार्य रोक दिया गया। रेलवे ने सर्वे कराकर अतिरिक्त लाइन बिछाने की योजना का प्रस्ताव भी बनाया, लेकिन राज्य सरकार व बोर्ड में इस मसले पर बातचीत नहीं हो पाने से यह प्रोजेक्ट भी ठंडे बस्ते में है।
 

इस प्रोजेक्ट का शिलान्यास तत्कालीन कांग्रेस शासन में वर्ष २०१३ में हुआ। इसकी अनुमानित लागत २०३०.५० करोड़ रुपए आंकी गई थी। वर्तमान में धौलपुर से सरमथुरा तक करीब ७० किमी के लिए पांच डिब्बों की ट्रेन चल रही है। यह लंबे समय से रेलवे के लिए घाटे का सौदा बनी हुई है। इस नेरोगेज लाइन के ब्रॉडगेज में तब्दील होने से धौलपुर के लोगों की दिल्ली-मुंबई मार्ग से जुडऩे की राह खुलती।
 

50 करोड़ किए खर्च
जानकारी के अनुसार इस प्रोजेक्ट को पूर्व मंत्री ममता बनर्जी ने पास किया था। इसकी नींव २०१३ में तत्कालीन रेल राज्य मंत्री ने धौलपुर में रखी थी। यह प्रोजेक्ट वर्ष २०२२ तक पूर्ण होना था। धौलपुर-गंगापुरसिटी के बीच छोटे पुलों का निर्माण भी शुरू हो गया और इस पर करीब ५० करोड़ खर्च भी कर दिए गए, लेकिन अब सब कुछ ठंडे बस्ते में है।
 

आंकड़ों में रेल की कहानी
६० साल के संघर्ष के बाद मिली मंजूरी
२०१०-११ में धौलपुर से सरमथुरा गेज कन्वर्जन एक्सटेंशन अप टू गंगापुरसिटी नाम से नई रेल परियोजना की स्वीकृति
१ फेज में धौलपुर से सरमथुरा तक गेज कन्वर्जन
२ फेज में सरमथुरा से गंगापुरसिटी तक विस्तार
२८ जून २०१३ को मिला पहला बजट
२१२.२३ करोड़ मिले गेज कन्वर्जन को
२०१४ में भूमि अवाप्ति प्रस्ताव राज्य सरकार को भिजवाकर उप मुख्य इंजीनियर धौलपुर एट ग्वालियर ने धौलपुर से मोहारी जंक्शन तक रेलवे की अपनी भूमि पर गेज कन्वर्जन का कार्यशुरू कराया।
१८ मार्च २०१६ को जिला कलक्टर धौलपुर ने चाहा राजस्व सचिव से मार्गदर्शन
१४० किलोमीटर है धौलपुर से गंगापुरसिटी की दूरी
२०१६ फरवरी से बंद है कार्य
 

इनका कहना है
करौली में रेल आनी चाहिए। मैं इसका पक्षधर हूं। मेरी क्या यह सभी की चाहत है। मैं इसके लिए पूरी ताकत से काम करूंगा। मुख्यमंत्री से इसके लिए समय ले रहा हूं, जिससे उनको जनभावना से अवगत करा सकूं। दो बार इसके लिए रेल मंत्री से मेहंदीपुर बालाजी और महावीरीजी आगमन पर जिक्र भी किया था। जनभावना के सम्मान के लिए यह मांग पूरी होनी चाहिए।
– रमेश राजौरिया, जिलाध्यक्ष भाजपा
 

इस मसले को लेकर जनता की अदालत में जा रहे हैं। इसमें जनता की राय ली जाएगी। हम जनता से पूछेंगे कि इसमें आगे क्या करना है। लोगों की राय के बाद ही आगे कदम बढ़ाएंगे।
– वेणुगोपाल शर्मा, महासचिव रेल विकास समिति करौली
 

नीति के साथ फायदा भी फिर भी अनदेखी
करौली में रेल लाइन का होने सरकार व रेल मंत्रालय की नीति के अनुरूप होने के साथ फायदे का सौदा भी है। फिर इसकी अनदेखी की जा रही है।
 

१. केन्द्र सरकार ने जिला मुख्यालयों को रेल लाइन से जोडऩे का नीतिगत निर्णय किया हुआ है। उस नीति के अनुरूप करौली को रेल लाइन से जोड़ा जाना चाहिए।

 

२. रेलवे की नीति के अनुसार सभी छोटी लाइनों को बड़ी लाइन में बदला जाना है। इसके लिएधौलपुर से सरमथुरा की नैरोगेज को ब्रॉडगेज में परिवर्तित करने पर करौली में रेल की राह खुल सकती है।
३. जानकारों का मानना है कि डांग इलाके के विकास के लिए रेलवे लाइन आवश्यक है।

 

४. करौली-धौलपुर होकर रेल लाइन निकालने पर पूर्व से पश्चिम का नया कॉरिडोर बनेगा। इसकी सेना के लिएजरूरत है। इसके अलावा दक्षिण के शहरों की यात्रा की दूरी कम होगी। इससे दिल्ली पर रेलों का व रेलयात्रियों का दबाव कम हो सकेगा।
….

Hindi News / Karauli / देश आजाद हुए 70 साल से ज्यादा हो गए लेकिन राजस्थान के इस शहर में नहीं चली रेल, लोग पूछते हैं नेताओं से कि क्यों हुए फेल

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.