कानपुर.शहर से तीस किलोमीटर शिवराजपुर थाने के गांव जगदीशपुर किसी के पहचान का मोहताज नहीं है। स्वतंत्रता की लड़ाई के अगवा रहे भगत सिंह और राजगुरु कानपुर के नयागंज में रहते थे, तब इनकी मुलाकात गया प्रसाद कटियार से हुई थी। गया प्रसाद विद्यार्थी जी के अच्छे मित्र थे। गया प्रसाद के पोते अजय कटियार ने बताया कि बाबा जी ने दोनों को होली के दिन दावत दी थी।
भगत सिंह और राजगुरु 20 मार्च 1926 को पहली बार होली खेलने के लिए आए थे। शाम को होलिका दहन का कार्यक्रम था। दस फीट ऊंची होलिका तैयार थी। तभी हमारे गांव के मुस्लिम बिरादरी के छिद्दू के बाबा रमजानी पूजन का सामान सहित आए और होलिका को आग लगाई। होलिका दहन के बाद रमजानी ने सबसे पहले भगत सिंह को रंग गुलाल लगाया और फिर शुरु हुआ रंग और गुलाल का मेला, जहां भगत सिंह, राजगुरु और गया प्रसाद कटियार ने जमकर होली खेली थी।
फाग के माहिर थे भगत सिंह और कटियार
अजय कटियार कहते हैं कि गांव में भारत के तीन सपूत होली के रंग में सराबोर थे। गांववालों को भी जानकारी नहीं थी कि यही भगत सिंह और राजगुरु हैं। भगत सिंह, जिस तरह हथियार चलाने में महारथ हासिल थी, कलम के बेजोड़ कलाकार थे। वैसे ही वह फाग के भी उस्ताद थे। भगत सिंह की गाई हुई फाग आज भी हमारे गांव के हर कोने में गूंजती है।
बाबा भी महान स्वतंत्रता सेनानी थी। जब भी समय मिलता तो भगत सिंह और राजगुरु जगदीशपुर गांव आ जाया करते थे। गांव के ही एक बुजुर्ग ने बताया कि आज के दिन शहीद-ए-आजम के साथ राजगुरु को फांसी की सजा दी गई थी, जब इस गांव के लोगों को जानकारी हुई तो पूरे गांव में स्वतंत्रता की ज्वाला दहकी थी। कई अंग्रेज अफसर मारे गए थे, शिवराजपुर थाने को आग के हवाले कर दिया गया था।
कटियार को काले पानी की मिली थी सजा
पंडित चंद्रशेखर आजाद और जगदीश प्रसाद कटियार की अच्छी दोस्ती थी, क्योंकि पंडित जी का भी अधिक समय जगदीशपुर गांव में कटा था। जब लाहौर एसेंबली में बम फेंकने की योजना के लिए गुप्त बैठक कराने का आदेश पंडित जी ने जगदीश प्रसाद को दिया तो उन्होंने स्वीकार कर लिया। तीन दिन बाद तय किया गया कि मीटिंग बिठूर में होगी।
सभी स्वतंत्रता सेनानी बिठूर गए और वहीं रणनीति बनी और भगतसिंह, राजगुरु और गया प्रसाद कटियार लाहौर के लिए निकल गए। लाहौर कांड के बाद भगत सिंह और राजगुरु गिरफ्तार कर लिए गए। वहीं, दिल्ली से जगदीश प्रसाद कटियार को अंग्रेजी फौज ने पकड़ लिया, तीनों को काला पानी भेज दिया गया। जिसमें भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी की सजा हुई। वहीं, जगदीश प्रसाद को आजीवन काले पानी की सजा सुनाई गई।
जगदीशपुर में आज भी जिंदा है गंगा जमुनी की तहजीब
जहां एक ओर आए दिन राजनीतिक दलों द्वारा दिलों को धर्म के नाम पर बांटने की कोशिश की जाती है। वहीं, स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय गंगा प्रसाद कटियार के गांव जहदीशपुर में आज भी गंगा जमुनी की तहजीब जिंदा है। होलिका दहन के दिन रमजानी के पोते छिद्दू पिता की मौत के बाद लगातार दस साल से होली में आग लगाते हैं और रंग और गुलाल की शुरुआत इन्हीं के आंगन से शुरु होती है।
जगदीशपुर के लोगों के बीच रहने वाले छिद्दू भाईचारे की अनूठी मिसाल हैं। मुस्लिम धर्म को मानने वाले छिद्दू गांव के लोगों के दिलों में अलग ही अहमियत रखते हैं। गांव के गोविंद द्विवेदी ने बताया कि सबसे पहले छिद्दू होली के पांत गोबर के उपले अपने घर से लाते हैं। इसके बाद होली दहन के दिन पूजन की सामाग्री की भी व्यवस्था खुद छिद्दू भाई करते हैं। गांव में छिद्दू की अलग ही पहचान है, कोई चच्चा कहता है तो कोई भाईजान, सच में जगदीशपुर गांव में भगत सिंह, पंड़ित चंद्रशेखर आजाद और राजगुरु की एकता की झलख आज भी दिखती है।
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