अद्भुत खगोलीय घटना
चोटी कटवा के कारण जहां लोग पहले से डरे हुए हैं। वहीं अब उल्का पिंडों के चलते लोग आकाश की तरफ देख रहे हैं। कुछ लोगों ने अफवाह फैलाई है कि आज रात को आकश से तारे टूटकर गिरेंगे, जिससे बड़ी दुर्घटना हो सकती है। इसी के चलते नासा ने वीडियो के जरिये बताया कि ये कोई ईश्वरीय चमत्कार नहीं, बल्कि एक अद्भुत खगोलीय घटना है, जिसमें उल्का पिण्डों की बौछार होगी। जिसे टूटता हुआ तारा कहा जाता है। ये टूटते तारे ऐसी रोशनी बिखेरेगें कि कुछ समय के लिये देखने वालों को लगेगा कि रात के अंधेरे में आकाश अचानक रंगीन रोशनियों से नहा जाएगा, जिसे बिना हिचक के इस अलौकिक नजारे को देख सकते हैं। बताया गया कि 12 अगस्त ही नहीं बल्कि पूरा अगस्त माह अद्भुत खगोलीय घटनाओं वाला महीना है। इसमें सात अगस्त का चन्द्र ग्रहण, 21 अगस्त को पूर्ण सूर्य ग्रहण और 12 अगस्त को तारों का टूटना शामिल है।
चोटी कटवा के कारण जहां लोग पहले से डरे हुए हैं। वहीं अब उल्का पिंडों के चलते लोग आकाश की तरफ देख रहे हैं। कुछ लोगों ने अफवाह फैलाई है कि आज रात को आकश से तारे टूटकर गिरेंगे, जिससे बड़ी दुर्घटना हो सकती है। इसी के चलते नासा ने वीडियो के जरिये बताया कि ये कोई ईश्वरीय चमत्कार नहीं, बल्कि एक अद्भुत खगोलीय घटना है, जिसमें उल्का पिण्डों की बौछार होगी। जिसे टूटता हुआ तारा कहा जाता है। ये टूटते तारे ऐसी रोशनी बिखेरेगें कि कुछ समय के लिये देखने वालों को लगेगा कि रात के अंधेरे में आकाश अचानक रंगीन रोशनियों से नहा जाएगा, जिसे बिना हिचक के इस अलौकिक नजारे को देख सकते हैं। बताया गया कि 12 अगस्त ही नहीं बल्कि पूरा अगस्त माह अद्भुत खगोलीय घटनाओं वाला महीना है। इसमें सात अगस्त का चन्द्र ग्रहण, 21 अगस्त को पूर्ण सूर्य ग्रहण और 12 अगस्त को तारों का टूटना शामिल है।
क्या है उल्का बौछार
सीएसए के वैज्ञानिक डा. अनिरूद्ध दुबे ने बताया कि उल्का या उल्का पिण्ड एक अन्तरिक्ष रॉक है, जो पृथ्वी के वायुमण्डल में प्रवेश करता है। जब उल्का पृथ्वी की ओर गिरता है तो यह हवा का प्रतिरोध पैदा करता है इससे एक उर्जा पैदा होती है और शूटिंग स्टार जैसा दिखता है। इससे उजाला पैदा होता है। वैज्ञानिकों के अनुसार ये उल्कापिण्ड कॉमेट 109 का हिस्सा है जो पहले पृथ्वी की कक्षा से बाहर था, लेकिन अब इसके अन्दर प्रवेश करने के कारण ये खगोलीय घटना होने जा रही है।
सीएसए के वैज्ञानिक डा. अनिरूद्ध दुबे ने बताया कि उल्का या उल्का पिण्ड एक अन्तरिक्ष रॉक है, जो पृथ्वी के वायुमण्डल में प्रवेश करता है। जब उल्का पृथ्वी की ओर गिरता है तो यह हवा का प्रतिरोध पैदा करता है इससे एक उर्जा पैदा होती है और शूटिंग स्टार जैसा दिखता है। इससे उजाला पैदा होता है। वैज्ञानिकों के अनुसार ये उल्कापिण्ड कॉमेट 109 का हिस्सा है जो पहले पृथ्वी की कक्षा से बाहर था, लेकिन अब इसके अन्दर प्रवेश करने के कारण ये खगोलीय घटना होने जा रही है।
राक्षसों के लिए अशुभ
नासा की तरफ से बयान जारी होने के बाद पढ़े लिखों में खलबली तो थम गयी, लेकिन चोटी कटने जैसे अफवाहों पर ध्यान देने वाला तबका अब भी भयभीत है। कहीं कोई अनिष्ट न हो, उन्हें ये डर सता रहा है। किसी का मानना है कि अगर ऐसा हुआ तो प्रलय आ जायेगी। 24 घण्टे सूरज निकला रहा तो पृथ्वी गर्मी से उबल जायेगी। एचबीटीआई के प्रोफेसर बृजेश कटियार ने कहा कि ऐसे व्हाट्स अप पर मैसेज भेजने वालों का पता लगाकर गिरफ्तार किया जाना चाहिये। कहा कि ऐसी खगोलीय घटना से किसी भी प्रकार से डरने की जरूरत नहीं है। वहीं पंडित बलराम तिवारी कहते हैं कि प्रभु राम ने रावण को जब मारा था, तब रोशनी करते हुए उल्का पिंड जमीन पर गिरे थे। उस दिन पूरे २४ घंटे उजेला रहा था। ये अप्रिय न होकर शुभ माना जाता है।
नासा की तरफ से बयान जारी होने के बाद पढ़े लिखों में खलबली तो थम गयी, लेकिन चोटी कटने जैसे अफवाहों पर ध्यान देने वाला तबका अब भी भयभीत है। कहीं कोई अनिष्ट न हो, उन्हें ये डर सता रहा है। किसी का मानना है कि अगर ऐसा हुआ तो प्रलय आ जायेगी। 24 घण्टे सूरज निकला रहा तो पृथ्वी गर्मी से उबल जायेगी। एचबीटीआई के प्रोफेसर बृजेश कटियार ने कहा कि ऐसे व्हाट्स अप पर मैसेज भेजने वालों का पता लगाकर गिरफ्तार किया जाना चाहिये। कहा कि ऐसी खगोलीय घटना से किसी भी प्रकार से डरने की जरूरत नहीं है। वहीं पंडित बलराम तिवारी कहते हैं कि प्रभु राम ने रावण को जब मारा था, तब रोशनी करते हुए उल्का पिंड जमीन पर गिरे थे। उस दिन पूरे २४ घंटे उजेला रहा था। ये अप्रिय न होकर शुभ माना जाता है।