प्रतियोगिता में 18वां स्थान मिला प्रांजल ने प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) की ओर से एक फरवरी 2021 को हुई ग्रीन हैकेथॉन प्रतियोगिता में इसका प्रदर्शन किया था। जिसके बाद 8 फरवरी को आए परिणाम में उन्हें देशभर के 12 लाख छात्र-छात्राओं के बीच 18वां स्थान मिला। छात्र के मुताबिक इसके इस्तेमाल के बाद किसानों की फसल बिल्कुल बर्बाद नहीं होगी। प्रांजल ने ईको सिस्टम को तैयार करने के लिए सबसे पहले ऑड्रिनो प्रोग्रामिंग की मदद ली। इसके बाद रेस्पबेरी पीआइ इलेक्ट्रानिक डिवाइस की मदद से पूरा प्रोग्राम तैयार किया। इसको छोटा कंप्यूटर भी कह सकते हैं। फिर एलसीडी स्क्रीन, वाइ-फाइ मॉड्यूल और अन्य उपकरणों से उसे लैस किया। इस सिस्टम में सिर्फ फसल या पौधे से संबंधित जानकारी फीड करनी होगी।
12 हजार लागत से डिवाइस हुई तैयार इसके बाद डिवाइस अपना काम शुरू कर देगी और अच्छी फसल के लिए खुद ही उससे संबंधित वातावरण को तैयार कर देगा। दरअसल ईको सिस्टम प्रकृति के अनुकूल काम करता है। इसके माध्यम से फसल जल्दी भी तैयार कर सकते हैं। यह डिवाइस संबंधित क्षेत्र में पौधों के लिए वैसा ही वातावरण तैयार कर देती है, जैसा उन्हें चाहिए होता है। प्रांजल के प्रोजेक्ट को केंद्रीय कृषि मंत्रालय के ई-ग्रेड के वैज्ञानिक एमके चौधरी ने भी सराहा है। छात्र के मुताबिक इस डिवाइस को तैयार करने 12 हजार रूपए और एक वर्ष का समय लगा है। उत्पादन ज्यादा करने पर लागत कम आएगी। कई कंपनियों से बातचीत चल रही है। विद्यालय के प्रधानाचार्य राममिलन सिंह ने बताया कि छात्र प्रांजल का प्रोजेक्ट सराहनीय है। उसका पेटेंट कराने को लेकर हर संभव मदद की जाएगी।
स्टार्टअप के बाद पीएमओ देगा 25 लाख मेधावी छात्र प्रांजल ने अपने टेलेंट से डिवाइस तो तैयार की है, लेकिन इसे पेटेंट कराने के लिए उसके पास रुपये नहीं हैं। आर्थिक सहायता मिलते ही डिवाइस का पेटेंट कराएंगे। हालांकि इसके लिए स्कूल में प्रधानाचार्य व शिक्षकों से बात चल रही है। उन्होंने बताया कि पीएमओ ने उनके इस हुनर को देखते हुए पुरस्कार के रूप में 25 लाख रुपये की मदद करने को कहा है। लेकिन उससे पहले स्टार्टअप तैयार करके उसकी जानकारी पीएमओ को देनी होगी।