एक संत की भविष्यवाणी का परिणाम बने थे विरक्तानंद
शिवली के लोग बताते हैं शोभन सरकार हमेशा से इस गांव में नहीं रहे हैं। शोभन सरकार के आने से पहले गांव में रघुनंदन दास नाम के एक साधु रहते थे। साधु गांव में पूज्यनीय थे और लोगों की उनमें भरपूर आस्था थी। अपनी समाधि के वक्त रघुनंदन दास ने कहा कि उनके जाने के बाद गांव में एक चमत्कारी युवा आएगा। करीब 16 साल की उम्र में परमहंस स्वामी विरक्तानंद गांव में आए। जिनके चमत्कार देखकर गांववालों ने उन्हे वहां रुकने का अनुरोध किया और वे आग्रह को वह मान गए। जिसके बाद से इन्हें गांव के लोग प्यार से शोभन सरकार कहने लगे।
शिवली के लोग बताते हैं शोभन सरकार हमेशा से इस गांव में नहीं रहे हैं। शोभन सरकार के आने से पहले गांव में रघुनंदन दास नाम के एक साधु रहते थे। साधु गांव में पूज्यनीय थे और लोगों की उनमें भरपूर आस्था थी। अपनी समाधि के वक्त रघुनंदन दास ने कहा कि उनके जाने के बाद गांव में एक चमत्कारी युवा आएगा। करीब 16 साल की उम्र में परमहंस स्वामी विरक्तानंद गांव में आए। जिनके चमत्कार देखकर गांववालों ने उन्हे वहां रुकने का अनुरोध किया और वे आग्रह को वह मान गए। जिसके बाद से इन्हें गांव के लोग प्यार से शोभन सरकार कहने लगे।
अलग पहचान से हुए चर्चित
परमहंस स्वामी विरक्तानंद उर्फ शोभन सरकार की उम्र करीब 65 साल मानी जाती है। हैरानी की बात ये है कि किसी आम साधु की तरह इनके माथे पर तिलक नहीं होता और ना चंदन के त्रिपुंड बने होते। कपड़े के नाम पर वह सिर पर साफा बांधते हैं. गेरुए रंग की लंगोट पहनते हैं। सिर पर चादर बांधते हैं और बदन पर अंगवस्त्र होता है। ताया जाता है कि इनका जन्म कानपुर देहात के शुक्लन पुरवा में हुआ था. पिता का नाम पंडित कैलाशनाथ तिवारी था. कहते हैं कि शोभन सरकार को 11 साल की उम्र में वैराग्य प्राप्त हो गया था।
परमहंस स्वामी विरक्तानंद उर्फ शोभन सरकार की उम्र करीब 65 साल मानी जाती है। हैरानी की बात ये है कि किसी आम साधु की तरह इनके माथे पर तिलक नहीं होता और ना चंदन के त्रिपुंड बने होते। कपड़े के नाम पर वह सिर पर साफा बांधते हैं. गेरुए रंग की लंगोट पहनते हैं। सिर पर चादर बांधते हैं और बदन पर अंगवस्त्र होता है। ताया जाता है कि इनका जन्म कानपुर देहात के शुक्लन पुरवा में हुआ था. पिता का नाम पंडित कैलाशनाथ तिवारी था. कहते हैं कि शोभन सरकार को 11 साल की उम्र में वैराग्य प्राप्त हो गया था।