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कानपुर का ‘जादुई’ मंदिर जिसकी बूंदें देती हैं मॉनसून की सटीक जानकारी, हजारों साल पुराना है इतिहास

Predictions about monsoon made by hearing water droplets of temple- यूपी के कानपुर में एक ऐसा मंदिर है जो मॉनसून (Monsoon) की सटीक जानकारी देता है। नाम है जगन्नाथ मंदिर।

कानपुरJun 12, 2021 / 05:44 pm

Karishma Lalwani

Jagannath Mandir

कानपुर. Predictions about monsoon made by hearing water droplets of temple- यूपी के कानपुर में एक ऐसा मंदिर है जो मॉनसून (Monsoon) की सटीक जानकारी देता है। नाम है जगन्नाथ मंदिर। कानपुर से तकरीबन 50 किमी दूर बेहटा बुजुर्ग गांव में बने इस मंदिर को मॉनसून मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर की छत पर मॉनसून पत्थर लगा हुआ है। इस पत्थर से टपकने वाली बूंदों से अंदाजा लग जाता है कि बारिश कैसी होगी। बूंद की आवाज के अनुसार मॉनसून की भविष्यवाणी होती है। अगर बूंदें ज्यादा टपकती हैं तो ज्यादा बारिश होने की संभावनाएं रहती है। इसी तरह अगर कम बूंदे टपकती हैं, तो कम बारिश होती है। भारतीय पुरातत्व विभाग के संरक्षित स्मारकों में शामिल यह मंदिर देश भर के वैज्ञानिकों के लिए कौतूहल का विषय बना हुआ है। लेकिन मंदिर को लेकर यह कोरी मान्यता नहीं है बल्कि इसमें पूरा विज्ञान है। मंदिर की दीवारों और छत इस तरह से बनाया गया है कि ये मॉनसून शुरू होने के 5-7 दिन पहले ही संकेत मिलना शुरू हो जाता है। खास बात यह है कि मंदिर कई बार टूटा भी है मगर जीर्णोद्धार के बाद भी इसकी भव्यता बरकरार है। मंदिर को रथ के आकार में बनाया गया है।
सिंधु घाटी सभ्यता के दौरान होती थी पूजा

मंदिर के पत्थरों पर कार्बन डेटिंग की गई है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह हजारों साल पुराना मंदिर है। यह मंदिर तीन भागों में बना हुआ है। गर्भगृह का एक छोटा भाग है और फिर बड़ा भाग है। ये तीनों भाग अलग-अलग काल में बने हैं। यहां विष्णु के 24 अवतारों की, पद्मनाभ स्वामी की मूर्ति स्थापित हैं। मंदिर की देखरेख करने वाले केपी शुक्ला ने कहा कि मंदिर के इतिहास को लेकर कई मतभेद हैं। पुराने समय में अलग-अलग राजाओं ने मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया है। मंदिर में पत्थर का पद्म चिह्न भी लगा हुआ है जिसे लेकर मान्यता है कि चिह्नों और प्रतीकों की पूजा सिंधु घाटी सभ्यता के दौरान की जाती थी। वहीं, मंदिर के शिखर पर सूर्य चक्र बना है। ऐसी मान्यता है कि इस सूर्य चक्र की वजह से इलाके में कभी बिजली नहीं गिरती।
मंदिर पर शोध

मंदिर के केयरटेकर का कहना है कि कई वैज्ञानिक जगन्नाथ मंदिर पर शोध के लिए आगे आ चुके हैं लेकिन कुछ खास जानकारी नहीं जुटा पाए। फिलहाल कोरोना की वजह से मंदिर सुबह और शाम एक एक घंटे के लिए ही खुलता है।
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