विकास के परिजन अपने बेटे के शव से लिपटकर बिलखने लगे, तो सुनील के परिजनों को भी कुछ नहीं सूझ रहा था। ग्रामीणों ने असालतगंज चौकी पुलिस को सूचना दी। ग्रामीणों के अनुसार सूचना के काफी समय बाद चौकी इंचार्ज संतोष सोनकर जब घटनास्थल पहुंचे, तो ग्रामीणों का पारा सातंवे आसमान पर पहुंच गया। देखते ही देखते गुस्साए ग्रामीणों ने गाली गलौज करते हुए चौकी इंचार्ज को सड़क पर खदेड़ लिया और घेराव करते हुए उनकी पिटाई कर दी। किसी तरह उन्होंने भागकर अपनी जान बचाई।
पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर धरपकड़ शुरू की दो घंटे के तांडव में मुख्य मार्ग पर कहर बरस रहा था। बवाल की सूचना पर भारी पुलिस बल भी पहुंच गया। इसके बाद पुलिस ने अराजक तत्वों को चिन्हित कर 13 नामजद सहित करीब सैकड़ों लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उनकी तलाश शुरू कर दी। आरोप है कि गांव पहुंची भारी पुलिस फोर्स ने दो आरोपियों को धर दबोचा। पुलिस का भारी हुजूम देख लोग घरों में छिप गए, तो अधिकांश ग्रामीण इधर-उधर नजरें बचाकर भाग गए।
गदाईपुर गांव बन गया कैराना गांव की गलियों में सन्नाटा पसर गया। जब भी पुलिस के आने की सूचना मिलती है, तो लोग त्राहिमाम कर उठते है। दिन गुजरते गए और परिस्थितियां इस कदर हो गयीं कि गांव के सभी पुरुष वहां से पलायन कर गए और अधिकांश घरों में ताला लटक गए। आज गांव के हालात ये हैं कि भूख प्यास से मवेशियों ने दम तोड़ दिया। घरों में दुबकी महिलाएं और बच्चे जब घर से नहीं निकल पा रहे, तो घरों के चूल्हे ठंडे पड़ गए और भूख से बच्चे तड़प उठे।
गांव की औरतों के मुताबिक घायल सुनील की कानपुर में इलाज के दौरान मौत होने की सूचना जब गांव में पहुंची, तो गांव की चमेली देवी गश खाकर जमीन पर गिर पड़ीं। लेकिन उन्हें इलाज के लिए डॉक्टर के पास ले जाने की हिम्मत कोई नहीं जुटा सका क्योंकि लोगों के जेहन में पुलिस की दहशत घर कर चुकी हैं।
बीमारी से जूझ रहे गांव में महिलाएं व बच्चे कई घरों में बच्चे और महिलाएं बीमारी से ग्रसित हैं लेकिन इलाज की कोई आस नहीं है। इधर मृतकों के परिजनों का रो रोकर बुरा हाल है और पूरा गांव मातम में डूबा हुआ है। उधर पुलिस के खौफ से ग्रामीण पूरी तरह टूट चुके हैं। गांव की महिला ने बताया कि घटना के एक दिन बाद किसी ने पुलिस के गांव में आने की सूचना दी, तो अफरा तफरी मच गई। इस पर महिला गोद मे लिए अपने 6 माह के बच्चे को लेकर भागने लगी। तभी बच्चा हाँथ से छूटकर उबलती चाय में गिर पड़ा और बुरी तरह झुलस गया। करीब 3000 की आबादी वाले गदाईपुर गांव का आलम यह है कि वर्तमान में पूरे गांव में परिंदा भी नहीं दिखाई दे रहा है। लोग घर में ताले लगाकर गांव छोड़कर पलायन कर रहे हैं। इससे कैराना की तस्वीर उभरकर सामने आ रही है।
पूर्व सपा मंत्री अरुणा कोरी ने क्या कहा वहीं मृतकों के परिजनों को ढांढस बंधाने गांव पहुंची सपा की पूर्व मंत्री और विधायक अरुणा कोरी ने कहा कि जो हो रहा है, वह बहुत गलत है। गांव में दो युवकों की मौत हुई, पुलिस ने उस मामले को तो अलग रख दिया, उनके परिजनों के हालचाल भी नहीं लिया। बजाए इसके गांव में अत्याचार का सिलसिला जारी है। इस सरकार से ये उम्मीद नहीं थी। अगर ये सब नही रुका तो सपा के लोग आंदोलन करेंगे और ग्रामीणों को न्याय दिलाएंगे।