पहली लहर से ज्यादा खतरनाक है कोरोना वायरस की दूसरी लहर, फेफड़ों को पहुंचा रहा अधिक नुकसान
– Corona Virus Second Wave Effect on Lungs.
– पहली लहर से ज्यादा खतरनाक है दूसरी लहर
– फेफड़ों को नुकसान पहुंचा रहा कोरोना वायरस
– गले में कम देर तक रुक कर फेफड़ों को प्रभावित कर रहा कोरोना
फेफड़ों को प्रभावित कर रहा है कोरोना वायरस, कार्बन डाइऑक्साइड भरने से हो रहा नुकसान, जानें गंभर लक्षण
कानपुर. Corona Virus Second Wave Effect on Lungs. कोरोना संक्रमण के दुष्प्रभाव सामने आ रहे हैं। यह गले, नाक, फेफड़ों को नुकसान पहुंचा रहा है। कोरोना वायरस की पहली लहर से ज्यादा खतरनाक दूसरी लहर को माना जा रहा है। कई लोगों में कोरोना संक्रमण के लक्षण उभर रहे हैं, लेकिन रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पॉलीमर्स चेन रिएक्शन टेस्ट (आरटीपीसीआर) में भी कई बार पकड़ में नहीं आ रहा है। 30 फीसद लोगों में कोरोना वायरस चकमा देने में कामयाब हो रहा है। ऐसी संभावना जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के विशेषज्ञों ने जताई है। इस तरह के कई केस सामने आ रहे हैं जिस पर अब अध्ययन की तैयारी है।
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के एलएलआर हास्पिटल (हैलट) की फ्लू ओपीडी में प्रतिदिन बड़ी संख्या में कोरोना के लक्षण से पीड़ित लोग आ रहे हैं। उनमें से कइयों के गले में खराश, तेज बुखार के साथ ही ऑक्सीजन सैचुरेशन (एसपीओटू) 90 से लेकर 80 के बीच होता है। जब उनकी आरटीपीसीआर जांच कराई जा रही है तो 70 फीसद में संक्रमण की पुष्टि होती है, जबकि 30 फीसद की रिपोर्ट निगेटिव आ रही है। इसके बाद भी उनकी स्थिति खराब बनी हुई है। लक्षण होने पर रिपोर्ट नेगेटिव आने पर इलाज भी नहीं मिल रहा।
सीधे फेफड़ों में पहुंच रहा वायरस जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के हैलट अस्पताल के कोविड आइसीयू के नोडल अफसर डॉ. चंद्रशेखर सिंह का कहना है कि कोरोना वायरस के संक्रमण जैसे गंभीर लक्षण होने के बाद भी 30 फीसद की जांच रिपोर्ट निगेटिव आने के केस लगातार मिल रहे हैं। पहली लहर में कोरोना वायरस तीन से चार दिन तक गले में रुकता था, जिससे थ्रोट व नेजल स्वाब लेने में पकड़ में आ जाता था। अब लक्षण होने के बाद भी रिपोर्ट नेगेटिव आ रही है। ऐसी संभावना जताई गई है कि वायरस गले में कम समय तक रुकने के बाद सीधे फेफड़े में पहुंच रहा है। इससे गंभीर स्थिति बन रही है। कोविड की दूसरी लहर में फेफड़ों में कार्बन डाइऑक्साइड की समस्या सामने आ रही है।इससे मरीज का दम घुट रहा है जो कि कोविड से होने वाली मौतों के कारण में से एक है। ऐसे में प्रत्येक मरीज का सीटी स्कैन कराना जरूरी है, जिनमें गंभीर लक्षण दिखाई पड़ें। अब इस पर अध्ययन की तैयारी की जा रही है, जिससे पता लग सके कि ऐसा क्यों हो रहा है।