कानपुर

मुस्लिम बेटियां और ज्यादा पढ़ने लगीं, दो साल में सात फीसदी बढ़ोत्तरी, BA और B.Sc से दूर हो रहे युवा

Education Survey: उत्तर प्रदेश के साल जिलों और 31 प्रमुख कॉलेजों में सर्वे किया गया। जिसमें खुलासा हुआ कि मुस्लिम बेटियां पढ़ने के लिए आगे बढ़ रही हैं।

कानपुरAug 14, 2022 / 12:28 pm

Snigdha Singh

Muslim daughters started studying more 7% increased in two years youths away from BA and B.Sc

मुस्लिम बेटियों में स्नातक करने का क्रेज बढ़ा है। पिछले दो वर्षों में बीए, बीएससी व बीकॉम में दाखिला लेने वाली मुस्लिम लड़कियों की संख्या में सात फीसदी का इजाफा हुआ है। दो साल पहले जहां 5 फीसदी दाखिले मुस्लिम लड़कियों के होते थे, वहीं इस बार यह संख्या 12 फीसदी पहुंच गई है। वहीं, उच्च वर्ग व उच्च मध्यम वर्ग के बच्चे अब बीए, बीएससी की पढ़ाई नहीं करना चाहते हैं। जो वर्ष पहले जहां इन वर्ग के छात्रों की संख्या 50 फीसदी होती थी, वहीं, इस बार सिर्फ पांच फीसदी दाखिले हुए हैं। यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है पीपीएन कॉलेज के वरिष्ठ शिक्षक और कानपुर विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (कूटा) के अध्यक्ष डॉ. बीडी पांडेय के सर्वे में। उन्होंने सात जिलों के करीब 31 प्रमुख कॉलेजों में हुए दाखिले के आधार पर सर्वे रिपोर्ट तैयार की है।
सत्र 2022-23 के लिए छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय (सीएसजेएमयू) से संबद्ध कानपुर, कानपुर देहात, उन्नाव, कन्नौज, इटावा, फर्रुखाबाद व औरैया के महाविद्यालयों में दाखिला चल रहा है। इस सत्र में बीए, बीएससी और बीकॉम में प्रवेश की स्थिति काफी खराब है। इसकी हकीकत जानने को डॉ. बीडी पांडेय ने एक सर्वे किया। प्राचार्यों व प्रवेश प्रभारियों की रिपोर्ट के आधार पर डॉ. पांडेय ने एक रिपोर्ट तैयार की है। जिसमें दो साल पहले और इस साल प्रवेश लेने वालों का एनालिसिस किया है। उन्होंने बताया कि दो साल में बीए, बीएससी और बीकॉम का ट्रेंड पूरी तरह बदल गया है। अब उच्च वर्ग या उच्च मध्यम वर्ग का छात्र सामान्य स्नातक नहीं करना चाहता है। वहीं प्रोफेशनल कोर्स की ओर मूव कर गया है। बीएससी भी करनी है तो ऑनर्स या फिर नए विषय बॉयोटेक्नोलॉजी, माइक्रोबॉयोलॉजी जैसे कोर्स में दाखिला ले रहा है। वहीं, जो वर्ग अब तक इंटर के बाद पढ़ाई छोड़ देता था, वह स्नातक में दाखिला ले रहा है।
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छोटे कारीगर, किसान व मजदूर के बेटों की भरमार

डॉ. बीडी पांडेय ने बताया कि इस बार बीए, बीएससी में छोटे कारीगर, किसान व मजदूर के बेटों ने अधिक दाखिला लिया है। इनकी आय एक लाख रुपये से भी कम है। वहीं ऐसे छात्रों की संख्या में भी इजाफा हुआ है, जो खुद कमाई कर घर व पढ़ाई का खर्च निकालते हैं।
उच्च वर्ग के बच्चे नहीं करना चाहते बीए-बीएससी

पैरामीटर वर्ष 2020 वर्ष 2022

मुस्लिम लड़कियां 5 फीसदी 12 फीसदी

उच्च वर्ग 20 फीसदी 2 फीसदी

उच्च मध्यम वर्ग 30 फीसदी 3 फीसदी
प्राइवेट जॉब 30 फीसदी 30 फीसदी

मैकेनिक, दर्जी, किसान, लेबर 10 फीसदी 50 फीसदी

कम आय वालों के बच्चों ने लिए अधिक दाखिले

50 हजार रुपये से कम आय 25 फीसदी
50 हजार से अधिक व दो लाख से कम 50 फीसदी

दो लाख से अधिक आय 25 फीसदी

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