कानपुर

वेस्पा स्कूटर बनाने वाली एलएमएल कंपनी हुई नीलाम, 243 करोड़ में रिमझिम इस्पात ने खरीदा

वेस्पा के नाम से स्कूटर बनाने वाली कंपनी के नए मालिक हैं रिमझिम इस्पात के मालिक योगेश अग्रवाल।

कानपुरFeb 06, 2018 / 02:30 pm

आलोक पाण्डेय

कानपुर. अस्सी के दशक में देश की सबसे बड़ी स्कूटर कंपनी बजाज को धराशाई करने वाली एलएमएल यानी लोहिया मशीन्स लिमिटेड कंपनी आखिरकार नीलाम हो गई। वेस्पा के नाम से स्कूटर बनाने वाली कंपनी के नए मालिक हैं रिमझिम इस्पात के मालिक योगेश अग्रवाल। शहर के पांच बड़े व्यापारियों ने कंपनी की नीलामी में हिस्सा लिया था, लेकिन योगेश ने 243 करोड़ की सबसे ऊंची बोली लगाकर एलएमएल को खरीद लिया। अब एलएमएल को नए सिरे से खड़ा करने की तैयारी है। उम्मीद है कि जल्द ही कानपुर की माटी से स्कूटर और मोटरसाइकिल बाजार में नया धमाका होगा।

10 लाख रुपए से खड़ी हुई थी कंपनी

वर्ष 1983 की बात करें तो एलएमएल की गिनती देश की 10 टॉप कंपनियों में होती थी। कंपनी के वेस्पा स्कूटर को देश में सबसे लोकप्रिय ब्रांड का खिताब भी हासिल हुआ था। एलएमएल कंपनी को समझने के लिए इतिहास में झांकना जरूरी है। लोहिया मशीन्स लिमिटेड का अतीत बेहद गौरवशाली रहा है। एलएमएल के संस्थापक लोहिया परिवार की मूल जड़ें फरुखाबाद में हैं, जहां 1850 तेल का छोटा व्यापार शुरू किया था। आजादी के बाद हालात बदले तो ऋषभ लोहिया ने 1955 में कानपुर को अपना ठिकाना बना लिया। उद्योगों की नगरी में उन्होंने जितेन्द्र राइस एंड ऑयल मिल की नींव रखी। तकनीक की ओर रुझान के चलते 1963 में भाई के साथ लोहिया इंजीनियरिंग वक्र्स की बुनियाद रखकर कूलर के पम्प बनाना शुरू किया। कारोबार बढऩे पर फर्रुखाबाद की दौड़ कम हुई तो 1965 में पूरा लोहिया परिवार कानपुर में बस गया। कुछ वक्त बाद यानी 19 नवम्बर 1972 में लाला सोहन लाल सिंघानिया के साथ साझेदारी के चलते लोहिया मशीन्स का जन्म हुआ। इस कंपनी पर दोनों ने दस लाख रुपए की पूंजी लगाई थी।

तीन साल में छीनी थी बजाज की बादशाहत

एलएमएल स्कूटर के जरिए ऑटो मोबाइल बाजार में बजाज जैसे दिग्गज कारोबारी घराने की बादशाहत को चुनौती देने का माद्दा कानपुर की मिट्टी और पानी में खुली उद्यमिता की एक मिसाल है। स्टाइल, पिकप, कलर और स्पीड के दम पर एलएमएल देश की पहली ऐसी कंपनी थी, जिसने बजाज स्कूटर का अस्तित्व उस समय खतरे में डाल दिया था। फैक्ट्री में स्कूटर उत्पादन की इकाई लगाई गई। उस समय स्कूटर की दुनिया में बजाज का एकछत्र राज था। किस्मत और मेहनत ने साथ दिया और नए डिजायन और स्टाइल के एलएमएल स्कूटर देखते ही देखते देशभर में छा गए। 1983 में लोहिया मशीन्स का नाम शीर्ष 10 कंपनियों में शामिल हो गया। उसी साल एलएमएल को देश के सासे लोकप्रिय ब्रांड का दर्जा दिया गया। सफलता के चरम दौर में साझेदारों में विवाद हुआ। नतीजे में लोहिया मशीन्स लिमिटेड से लोहिया परिवार ने नाता तोड़ लिया।
 

टेक्नोलॉजी में पिछडऩे से लग गया ताला

यह भी अजब संयोग है कि एलएमएल जैसी कंपनी ने बजाज स्कूटर को मात केवल टेक्नोलॉजी व स्टाइल के दम पर दी थी। आज वही कंपनी टेक्नोलॉजी अपग्रेड न करने की वजह से बाजार से बाहर हो गई और आखिरकार नीलाम हो गई। घाटे के कारण फैक्ट्री में कई बार ले-आफ का नोटिस चस्पा किया गया। प्रबंधन ने इसका कारण आर्डर न मिलने से उत्पादन प्रभावित होना बताया गया। आखिरी समय में फैक्ट्री में उत्पादन विदेश से मिलने वाले ऑर्डरों पर ही निर्भर था। एनसीएलटी में मामला जाने से पहले फैक्ट्री ने सिक यूनिट (बीमार) बताकर बाइफर में मामला दाखिल किया था। फैक्ट्री ने बैंकों और सरकार से मदद भी मांगी थी।

नीलामी में शामिल हुए पांच कारोबारी घराने

दोपहिया वाहन बनाने वाली दिग्गज ऑटोमोबाइल कंपनी एलएमएल की नीलामी में शहर के पांच बड़े उद्योगपतियों ने हिस्सा लिया। इसमें रिमझिम इस्पात लिमिटेड के मालिक योगेश अग्रवाल ने सबसे ऊंची बोली लगाकर 243 करोड़ में एलएमएल का मालिकाना हक हासिल कर लिया। कंपनी की सुनवाई एनसीएलटी (नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल) में चल रही थी। इनसॉल्वेंसी और बैंकरप्सी कोड के तहत रिकवरी की प्रक्रिया छह महीने पहले शुरू हुई थी। अब एलएमएल को नए सिरे से खड़ा किया जाएगा। छह महीने में औपचारिकताएं पूरी कर फैक्ट्री को अपडेट कर फिर से एलएमएल स्कूटर देशभर के बाजारों में कानपुर का नाम रोशन करेगा। कंपनी की स्थापना 1982 में की गई थी। इसका विधिवत उद्घाटन 1985 में हुआ था।

कंपनी पर फिलहाल 350 करोड़ की बकायेदारी

दोपहिया वाहन कंपनी पर कर्मचारियों, बैंकों और अन्य 10 वित्तीय संस्थानों का करीब 350 करोड़ रुपए बकाया है। इसमें 105 करोड़ मूलधन और शेष ब्याज की रकम है। दिवालिया होने के बाद पिछले साल 20 मई को बैंकिंग दिवालिया कोड के तहत एलएमएल का मामला एनसीएलटी गया। एनसीएलटी ने समाधान के लिए 24 फरवरी 2018 तक का समय निर्धारित किया था। 22 जनवरी को नीलामी का प्रथम चरण और 2 फरवरी को दूसरा व अंतिम चरण था। इसमें रिमझिम के एमडी योगेश अग्रवाल ने 243 करोड़ रुपए की बोली लगाकर एलएमएल को खरीद लिया। फैक्ट्री में करीब दस महीने से उत्पादन बंद था जबकि एक्सपोर्ट ऑर्डर पिछले साल अक्तूबर तक पूरे किए गए।

बैंकों और फाइनेंस कंपनियों ने बनाया ग्रुप

नौ वित्तीय संस्थानों ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व में एक कंसोर्टियम बना लिया है। इसके अलावा एडिलवाइस एसेट रीकंस्ट्रकशन कंपनी, बैंक ऑफ इंडिया और स्ट्रेस्ड एसेट्स स्टेबलाइजेशन फंड (एसएएसएफ) का भी कंपनी पर बकाया है। एनसीएलटी इलाहाबाद बेंच की तरफ से नियुक्त सीए अनिल अग्रवाल के मुताबिक नीलामी में शामिल होने वाली कंपनियों के साथ उन्हें 25 बार बैठक हुई और एलएमएल की संपत्ति व शर्तों के बारे में विस्तार से जानकारी मुहैया कराई गई। इसके बाद दो फरवरी को नीलामी की अंतिम प्रक्रिया पूरी हुई।

फिर खड़ी होगी एलएमएल, बढ़ेगी शहर की शान

रिमझिम इस्पात एलएमएल को नए सिरे से खड़ा करने की तैयारी में है। पूरी कंपनी का रिवाइवल प्लान बनाया गया है। एलएमएल की सबसे बड़ी पूंजी उसका ‘ब्रांड नेम’ है, जोकि किसी परिचय का मोहताज नहीं है। रिमझिम इस्पात के पास एलएमएल के सारे एसेट्स, संपत्ति और कंपनी ब्रांड का भी मालिकाना हक आ गया है। यही वजह है कि कोलेब्रेशन के साथ नए सिरे से कंपनी को खड़ा किया जाएगा। नए सिरे से एलएमएल स्कूटर और कंपोनेंट्स का उत्पादन किया जाएगा।

इन पांच उद्योगपतियों ने लगाई बोली

1-रिमझिम इस्पात लि., प्रबंध निदेशक योगेश अग्रवाल – 243 करोड़ रुपए

2-नील इंडस्ट्रीज, निदेशक, सुबोध अग्रवाल – 241 करोड़ रुपए

3-पैनम स्टील, प्रबंध निदेशक प्रवीण नेमानी – 180 करोड़ रुपए
4-लोहिया स्टारलिंगर, प्रबंध निदेशक राजीव लोहिया – 151 करोड़ रुपए

5-डाल्फिन डेवलपर्स लि., प्रबंध निदेशक विश्वनाथ गुप्ता – 142 करोड़

 

अरबों की संपत्ति है एलएमएल की

 

दादानगर में एलएमएल के पास 70 एकड़ जमीन है।
जमीन की अनुमानित कीमत 400 करोड़ रुपए है।

नरीमन प्वाइंट मुंबई में 2500 वर्गफिट का ऑफिस है।

फैक्ट्री में करोड़ों की मशीनरी और 100 कर्मचारी हैं कार्यरत।

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