कौन थी फूलन देवी
जालौन जिले Jalon district के ग्रामपंचायत गोरहा के पूर्वा गांव में 10 अगस्त 1963 को फूलन देवी Phoolan Devi ने मल्लाह के घर में जन्म लिया। फूलन की उम्र में जब 8 साल की हुई तो उसके साथ गांव के दबंगों ने अत्याचार और उत्पीड़न शुरू कर दिया। फूलन जब 11 साल की हुई, तो उसके चचेरे भाई मायादिन ने उसकी शादी पुट्टी लाल नाम के बूढ़े आदमी से करवा दी। फूलन के पति ने शादी के तुरंत बाद ही उसका रेप किया और उसे प्रताडित करने लगा। परेशान होकर फूलन पति का घर छोड़कर वापस मां-बाप के पास आकर रहने लगी। फूलन देवी के करीबी राघव मल्लाह बताते हैं कि गांव में फूलन नेPhoolan Devi मजदूरी की। मकान मालिक से पैसा मांगा, बदले में उसे पीटा गया। गुस्से में लाल फूलन ने उसके घर की एक दीवार को अकेल जमींदोज कर दिया।
गांव में हुआ था गैंगरेप
राघव मल्लाह बताते हैं कि गांव के दबंगों ने 15 साल की उम्र में फूलनदेवी Phoolan Devi के साथ गैंगरेप किया। इसके बाद उन्होंने फूलन को अगवा कर डकैतों को बेंच दिया। कहते हैं, इसी कांड के बाद फूलन के डकैत बनने की कहानी शुरू हो जाती है। राघव मल्लाह बताते हैं कि केस के सुनवाई के वक्त एक बार फूलन कानपुर आई थीं। उन्होंने बताया था कि लालाराम ने उसके साथ ज्यादती की थी। उससे बदला लेने के लिए मैं बेहमई गांव पहुंची। क्षत्रीय समाज के लोगों से लालाराम को घर से बाहर लाने को कहा। लेकिन उन्होंने बात नहीं मानीं। लालाराम उस वक्त गांव में मौजूद था और उसे छिपा दिया गया था। जब लालाराम बाहर नहीं आया तो गुस्से में फूलन ने 21 लोगों की हत्या कर दी थी।
इसलिए किया था समपर्ण
राघव बताते हैं कि फूलन देवी का निशाना बड़ा अचूक था और उससे भी ज़्यादा कठोर था उनका दिल। बेहमई हत्याकांड के बाद जहां पुलिस फूलन के पीछे पड़ी तो क्षत्रीय समाज के डकैत भी उसे मारने के लिए जंगल में खोज रहे थे। जिसमें फक्कड़ बाबा, कुसुमानाइन समेत कई अन्य गैंग शामिल थे। चंबल के बीहड़ों में पुलिस और ठाकुरों से बचते-बचते शायद वह थक गईं थीं इसलिए उन्होंने हथियार डालने का मन बना लिया। मध्य प्रदेश madhya pradesh के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह Arjun Singh के सामने फूलन देवी ने एक समारोह में हथियार डाले और उस समय उनकी एक झलक पाने के लिए हज़ारों लोगों की भीड़ जमा थी।
25 जुलाई 2001 को शेर सिंह ने की थी हत्या
1994 में जेल से रिहा होने के बाद वे 1996 में सांसद चुनी गईं। वह दो बार लोकसभा के लिए चुनी गईं। 25 जुलाई 2001 को शेर सिंह राणा Sher singh rana ने दिल्ली स्थित उनके निवास पर अपने साथियों के साथ फूलने देवी की हत्या कर दी थी। फूलन देवी की मौत के बाद उन पर कई फिल्में बनीं। कोई उन्हें बैंडिड क्वीन के नाम से पुकारता है तो कोई खतरनाक डकैत बताता है। फूलन देवी पर अभी कानपुर की अदालत में बेहमई कांड का केस चल रहा है। वादी, कातिल की मौत के बाद मृतकों के परिजन आज भी इंसाफ के लिए कोर्ट के चक्कर लगा रहे हैं।