कानपुर

कुछ इस तरह थी विक्रम की प्यारी फूलन, थर-थर कांपता था बीहड़ और चंबल

लालाराम को मारने की खाई खसम, बंदूक लेकर चबंल में उतरी कहलाई बैडिंड क्वीन, फूलन देवी के डकैत बनने की कहानी किसी के भी रोंगटे खड़ी कर सकती है।

कानपुरJul 25, 2018 / 02:59 pm

Vinod Nigam

कुछ इस तरह थी विक्रम की प्यारी फूलन, थर-थर कांपता था बीहड़ और चंबल

कानपुर। वो बहुत मासूम थी और पढ़ लिखकर अपने माता-पिता के सपने को पूरा करना चाहती थी, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया और सीधी-सीधी लड़की चंगल की सबसे खुंखार डकैत बन गई। फूलन देवी के डकैत बनने की कहानी किसी के भी रोंगटे खड़ी कर सकती है। चंबल के साथ ही कानपुर देहात के लोग आज भी फूलन का नाम सुनते ही डर जाते हैं। फूलन इतनी खुंखार थी कि जब वह अपने शिकार को हलाल करती तो तड़पा तड़पा कर मारती थी। कुछ ऐसा ही उसने बेहमई गांव में किया, यहां एक साथ 22 क्षत्रीय समाज के लोगों को खड़ा कर उनके सीने में गोली दाग दी थी। इस हत्याकांड के बाद फूलन का नाम देश ही नहीं विदेश में गूंजा। सरकार ने फूलन को पकड़ने के लिए कई जिलों में फोर्स को उतार दिया, पर कामयाबी नहीं मिली। दस्यू सीमा परिहार बताती हैं कि पुरूष डकैतों के चलते कई महिलाएं बागी बनी और फूलन भी उन्हीं में से एक भी। फूलन की पूरी जिंदगी कांटों भरी रही। उसे सिर्फ विक्रम से प्यार मिला। विक्रम ने उसे बचाया और शादी की, लेकिन जंगल में बैठे फूलन के दूश्मनों ने उसके प्यार का कत्ल कर दिया और फिर वो बीहड़ और चंबल की सबसे खतरनाक डकैत कहलाई।
मल्लाह के घर में लिया था जन्म
10 अगस्त 1963 को जालौन जिले के गांव गोरहा के मल्लाह देवी दीन के घर में फूलन देवी का जन्म हुआ था। अपने मां-बाप के छः बच्चों में फूलन दूसरे नंबर पर थी। आमतौर पर उसे गांव की लड़कियों की तरह दब्बू और शांत होना चाहिए था, मगर वह एकदम अलग थी। इतनी अलग कि सही गलत की लड़ाई के लिए वह किसी से भी भिड़ जाती थी। पूर्व दस्यू सीमा परिहार ने फूलन की जिंदगी के कुछ राज खोले। सीमा बताती हैं कि पिता की मौत के बाद उनके चाचा घर के मुखिया बन गए और वो मासूम फूलन को प्रताड़ित करने लगे। फूलन इसी तरह के दमघोंटू माहौल में पलते-पलते अंदर से बदले की आग से जल रही थी । उसकी इस जलन को सुलगाने में उसकी मां ने भी आग में घी का काम किया। बताया, जब फूलन 11 साल की हुई, तो उसके चाचा ने उसकी शादी पुट्टी लाल नाम के बूढ़े आदमी से करवा दी गई। फूलन के पति ने शादी के तुरंत बाद ही उसका रेप किया और उसे प्रताडित करने लगा। परेशान होकर फूलन पति का घर छोड़कर वापस मां-बाप के पास आकर रहने लगी।
विक्रम मल्लाह को दे बैठी दिल
अपने गांव वापस लौटने पर फूलन को सभी के तिरस्कार को सहना पड़ा। गांव के लोग अपनी घर की बेटी बहुओं को फूलन के पास भी नहीं फटकने देते थे। वहीं गांव के किशोर लड़के फूलन को आते जाते छेडते। फूलन जब उन पर छेड़छाड़ का आरोप लगाती तो पंचायत हमेशा फूलन के खिलाफ ही फैसला सुनाती । फूलन की वजह से उसके पिता का गांव में रहना मुशिकल हो गया था। गांव से जुड़े बीहड़ों में अकेले घूमना फूलन को अच्छा लगने लगा। एक रोज बीहड़ों में टहलते हुए डाकुओं के एक गैंग से फूलन का परिचय हुआ। गैंग के सरदार बाबू गुज्जर को फूलन से प्यार हो गया। मगर फूलन उसे पसंद नहीं करती थी। सरदार ने फूलन को उसके घर से किडनैप कर लिया। इसके बाद सरदार ने फूलन का रेप किया। सरदार के ही गैंग में शामिल एक डाकू विक्रम को भी फूलन से प्यार था। सरदार जब फूलन का रेप करता विक्रम का खून खौल जाता। एक दिन उसने सरदार की हत्या कर दी और खुद गैंग का सरदार बन बैठा। विक्रम ने फूलन से शादी भी की। मगर वे दोनों ज्यादा दिन साथ नहीं गुंजार पाए। बाबू गुज्जर की गैंग के कुछ लोगों ने एक दूसरी ठाकुर डाकुओं की गैंग के साथ मिल कर विक्रम की हत्या कर दी।
बारी-बारी से किया था रेप
गांव के पूर्व प्रधान के बेटे रजत मल्लाह बताते हैं कि विक्रम की हत्या के बाद ठाकुर गैंग के लोगों ने फूलन पर बहुत अत्याचार किए। सबसे खौफनाक घटना का जिक्र करते रजत बताते हैं कि फूलन को 2 हफ्तों से भी ज्यादा समय तक नग्न अवस्था में रखा गया था। हर दिन गैंग के 22 लोग फूलन का बारी बारी से तब तक बलात्कार करते थे इसके बाद एक दिन फूलन को गैंगे के सरदार ने न्यूड कर पूरे गांव के आगे बाल पकड़ घुमाया। इतना अत्याचार सहने के बाद भी फूलन ने जिंदगी से हार नहीं मानी बल्कि अपनी डाकुंओं की एक गैंग तैयार कर लिया और बंदूक लेकर जंगल में उतर गई। फूलन लालाराम को मारना चाहती थी और इसी के चलते उसने चंबल से निकल कर कानपुर देहात की तरफ कदम बढ़़ा दिए। लोगों ने फूलन को जानकारी दी थी की लालाराम बेहमई गांव में छिपा है और इसी के बाद बैडिड क्वीन का गैंग गांव में आ धकमा।
22 लोगों को मारी थी गोली
सबसे पहली बार 26 जुलाई 1981 में वे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सुर्खियों में तब आई जब उन्होने ऊंची जातियों के बाइस लोगों का एक साथ तथाकथित (नरसंहार) किया जो (ठाकुर) जाति के (ज़मींदार) लोग थे। यूपी के इतिहास में एक डकैत द्वारा इतनी बड़ी संख्या में लोगों की निर्मम हत्या के बाद वह सुर्खियों में आ गई। फूलन ने फिर मुड़कर नहीं देखा। 1976 को जंगल में पैर रखने वाली फूलनदेवी को आज भी जालौन कानपुर नगर व देहात के लोग रॉबिनहुड के नाम लेकर पुकारते हैं। बेहमई निवाली अजय सिंह ने बताते हैं कि वो लालाराम को मारने के लिए आई, पर उसके नहीं मिलने से उग्र हो गई और मेरी आंखों के सामने पिता और चाचा की निर्णम हत्या कर दी थी। उस समय मेरी उम्र महज 12 साल की था । 22 लोगों में से एक बलराम सिंह थे, जो गांव के बच्चों को पढ़ाया करते थे, लेकिन बदकिस्मत थे कि वह भी फूलन की गोली के शिकार हुए।बलराम के भाई ने बताया कि भइया की शादी को महज पांच दिन ही हुए थे कि फूलन ने भाभी को विधवा कर दिया।
शेर सिंह राणा ने की हत्या
1994 में जेल से रिहा होने के बाद वे 1996 में सांसद चुनी गईं। समाजवादी पार्टी ने जब उन्हें लोक सभा का चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया तो काफ़ी हो हल्ला हुआ कि एक डाकू को संसद में पहुँचाने का रास्ता दिखाया जा रहा है। वह दो बार लोकसभा के लिए चुनी गईं। पर शेर सिंह राणा ने फूलन की हत्या कर दी। राणा 25 जुलाई 2001 को विक्की, शेखर, राजबीर, उमा कश्यप, उसके पति विजय कुमार कश्यप के साथ दो मारूति कारों में दिल्ली आया। राणा फूलन के संसद से घर लौटने का इंतजार कर रहा था। फूलन के गाड़ी से उतरते ही राणा ने उनके सिर में गोली मारी जबकि विक्की ने उनके पेट में कई गोलियां उतार दी। आरोप-पत्र के मुताबिक, बाद में राणा ने जमीन पर गिर चुकीं फूलन पर अंधाधुंध गोलियों की बरसात कर दी। विक्की ने फूलन के अंगरक्षक पर गोलियां चलाई। इसके जवाब में फूलन के अंगरक्षक ने भी उस पर गोलियां चलाई। फूलन के शरीर से दर्जनभर गोलियां पोस्टमार्टम के दौरान निकली थी।

Hindi News / Kanpur / कुछ इस तरह थी विक्रम की प्यारी फूलन, थर-थर कांपता था बीहड़ और चंबल

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.