४९६ दिन में बन गई थी इमारत
अंग्रेजों के आर्कीटेक्ट सर मैरीकॉट की देखरेख में कानपुर सेंट्रल की बिल्डिंग मात्र 496 दिनों में बनकर तैयार हो गई थी। उत्तर मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी अजीत कुमार सिंह ने बताया कि मौजूदा कानपुर सेंट्रल की बिल्डिंग का निर्माण 16 नवंबर 1928 को बनना शुरू हुआ था और पूरी बिल्डिंग 27 मार्च 1930 को बनकर तैयार हो गई थी। इसकी भव्यता आज भी कायम है। इसके निर्माण में 20 लाख रुपए ही खर्च हुए थे। सर मैरीकॉट ने 222 दिनों तक कानपुर सेंट्रल पर रहकर निर्माण के दौरान बिल्डिंग की खास-खास चीजों पर नजर रखी थी।
अंग्रेजों के आर्कीटेक्ट सर मैरीकॉट की देखरेख में कानपुर सेंट्रल की बिल्डिंग मात्र 496 दिनों में बनकर तैयार हो गई थी। उत्तर मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी अजीत कुमार सिंह ने बताया कि मौजूदा कानपुर सेंट्रल की बिल्डिंग का निर्माण 16 नवंबर 1928 को बनना शुरू हुआ था और पूरी बिल्डिंग 27 मार्च 1930 को बनकर तैयार हो गई थी। इसकी भव्यता आज भी कायम है। इसके निर्माण में 20 लाख रुपए ही खर्च हुए थे। सर मैरीकॉट ने 222 दिनों तक कानपुर सेंट्रल पर रहकर निर्माण के दौरान बिल्डिंग की खास-खास चीजों पर नजर रखी थी।
अंग्रेज हो गए थे इसकी सुंदरता के कायल
बनकर तैयार होने के बाद इस खूबसूरत इमारत में बैठकर ही अंग्रेज शहर को निहारते थे। सेंट्रल स्टेशन की कैंट साइड बिल्डिंग में चौतरफा छत पर गुम्मदनुमा झरोखे बने हैं। इन्हीं झरोखों में ब्रिटिश इंडिया कंपनी के अफसर काफी समय बिताते थे। तब अनवरगंज स्टेशन इन झरोखों से साफ दिखता था।
बनकर तैयार होने के बाद इस खूबसूरत इमारत में बैठकर ही अंग्रेज शहर को निहारते थे। सेंट्रल स्टेशन की कैंट साइड बिल्डिंग में चौतरफा छत पर गुम्मदनुमा झरोखे बने हैं। इन्हीं झरोखों में ब्रिटिश इंडिया कंपनी के अफसर काफी समय बिताते थे। तब अनवरगंज स्टेशन इन झरोखों से साफ दिखता था।
स्टेशन की वाशिंग लाइन का भी होगा प्रदर्शन
कानपुर की वाशिंग लाइन में रिजर्व में ट्रेनें खड़ी तो रहती ही थी, साथ ही विशेष पर्वों पर एक नहीं कई स्पेशल ट्रेनें कानपुर से ही चलाई जाती थी। बाकी अन्य जगहों की ट्रेनों की सफाई कानपुर में करा ली जाती थी। न्यू कोचिंग कांप्लेक्स में बनी दोनों वाशिंग लाइनों का प्रदर्शन अंबाला में लगने वाले राष्ट्रीय रेल उत्सव में किया जाएगा।
देश के पांच बड़े स्टेशन में एक
कानपुर सेंट्रल देश के बड़े पांच सेंट्रल स्टेशन में से एक हैं। सेंट्रल स्टेशन कानपुर, मुंबई, चेन्नई, त्रिवेंद्रम और मंगलौर हैं। इसके बावजूद इन सभी सेंट्रल स्टेशनों पर कानपुर से कोई सीधी ट्रेन नहीं जाती हैं। 2010 में जरूर एक बार इन सभी सेंट्रल स्टेशनों से सभी सेंट्रल स्टेशनों के लिए सीधी ट्रेन चलाने का प्रस्ताव बोर्ड में पास हुआ था पर अमल नहीं हो सका।
कानपुर की वाशिंग लाइन में रिजर्व में ट्रेनें खड़ी तो रहती ही थी, साथ ही विशेष पर्वों पर एक नहीं कई स्पेशल ट्रेनें कानपुर से ही चलाई जाती थी। बाकी अन्य जगहों की ट्रेनों की सफाई कानपुर में करा ली जाती थी। न्यू कोचिंग कांप्लेक्स में बनी दोनों वाशिंग लाइनों का प्रदर्शन अंबाला में लगने वाले राष्ट्रीय रेल उत्सव में किया जाएगा।
देश के पांच बड़े स्टेशन में एक
कानपुर सेंट्रल देश के बड़े पांच सेंट्रल स्टेशन में से एक हैं। सेंट्रल स्टेशन कानपुर, मुंबई, चेन्नई, त्रिवेंद्रम और मंगलौर हैं। इसके बावजूद इन सभी सेंट्रल स्टेशनों पर कानपुर से कोई सीधी ट्रेन नहीं जाती हैं। 2010 में जरूर एक बार इन सभी सेंट्रल स्टेशनों से सभी सेंट्रल स्टेशनों के लिए सीधी ट्रेन चलाने का प्रस्ताव बोर्ड में पास हुआ था पर अमल नहीं हो सका।