कानपुर

आतंकियों और नक्सलियों से निपटने के लिए अब इस कार्बाइन की मदद लेंगे सुरक्षाबल

देश की सीमा के भीतर घुसे आतंकवादियों और नक्सली हमलों से निपटने के लिये ज्वाइंट वेंचर प्रोटेक्टिव कार्बाइन यानि जेवीपीसी लाॅचिंग के लिये तैयार है।

कानपुरMar 17, 2018 / 04:08 pm

Laxmi Narayan Sharma

कानपुर. देश की सीमा के भीतर घुसे आतंकवादियों और नक्सली हमलों से निपटने के लिये बहुप्रतीक्षित मारक हथियार ज्वाइंट वेंचर प्रोटेक्टिव कार्बाइन यानि जेवीपीसी लाॅचिंग के लिये तैयार है। इसे कानपुर स्थित स्माल आर्म्स फैक्ट्री ने बनाया है और ये कार्बाइन 18 मार्च को आयुध निर्माणी दिवस के मौके पर देश के सामने लायी जायगी।
फायरिंग करते समय बिल्कुल नहीं हिलती

कानपुर की स्माल आर्म्स फैक्ट्री ने एक ऐसी कार्बाइन बनाई है जो ऐसे आतंकी और नक्सली हमलों से निपटने के लिए लिये काफी मददगार साबित होगी। ज्वाइंट वेंचर प्रोटेक्टिव कार्बाइन यानि जेवीपीसी की खूबी यह है कि फायरिंग करते समय ये बिल्कुल नहीं हिलती और स्थिर रहती है। इसका आपरेशन गैस और सेलेक्टिव फायर से होता है। स्माल आर्म्स फैक्ट्री कानपुर के महा प्रबंधक एच आर दीक्षित कहते हैं कि यह देश की सीमा के अन्दर घुसे आतंकवादियों और नक्सली हमलों से निपटने के लिये अर्द्ध सैनिक बलों और राज्य पुलिस बलों की जरूरतों को पूरा करेगी।
जर्मनी और बेल्जियम की कार्बाइनों को देगी टक्कर

इसके पहले जर्मनी ने ‘‘एचके’’ और बेल्जियम ने ‘‘एफएन’’ नाम से ऐसी की कार्बाइने बनायी हैं और उनकी मांग पूरी दुनिया के देशों से आती रहती हैं। अब भारत के पास पूर्णतया स्वदेशी तकनीक से बनी जेवीपीसी कार्बाइन है जो जर्मनी की “एचके ” और बेल्जियम की “एफएन” को टक्कर देगी। इस कार्बाइन की मारक क्षमता 200 मीटर है और यह एक मिनट में 900 राउण्ड फायर कर सकती है। केवल तीन किलो वजन वाली जेवीपीसी की लम्बाई इसके छोटे बट की वजह से अन्य कार्बाइनों से कम है। इसके अलावा बेल्ट फेड लाईट मशीन गन भी विकसित की गयी है जो जल्दी ही इण्डियन आर्मी का हिस्सा बन सकती है।
18 मार्च को प्रदर्शनी में होगी शामिल

18 मार्च को आयुध निर्माणी दिवस पर होने वाली प्रदर्शनी का एक और खास आकर्षण बनने वाली है प्वाईण्ट 38 एमएम रिवाल्वर। इसकी डिजायन तैयार करने में स्माल आर्म्स फैक्ट्री ने आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों की मदद ली है। एसएएफ की बड़े बैरल वाली अनमोल रिवाल्वर की धूम पहले से है। इस साल दस हजार रिवाल्वर बेचे जाने का लक्ष्य है। एसएएफ की जेवीपीसी की खूबियों को देखते हुए छत्तीसगढ़ पुलिस ने 640 और सीआरपीएफ ने पैंतीस हजार कार्बाइनों की माॅग की है। 20 मार्च को भारतीय सेना भी इसका तकनीकी परीक्षण करेगी जहाॅ इसके पास होने की उम्मीद की जा रही है।

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