रोबोटिक हैंड में क्या है खास एक्सोस्केलेटन को रोगी अपने हाथ पर पहन सकता है। यह मस्तिष्क संकेतों का उपयोग करता है। इसे मस्तिष्क कंप्यूटर इंटरफेस (बीसीआई) की मदद से सिर पर पहना जाता है। एक्सोस्केलेटन लकवाग्रस्त रोगियों को शारीरिक अभ्यास के लिए अपने अंगूठे और ऊंगलियों की गति को खेलने और बंद करने में मदद करता है। रोबोटिक हैंड बैटरी से चलता है और इसके लगातार काम के लिए के लिए बैटरी को समय-समय पर रीचार्ज करना होता है। वहीं, डिवाइस की कीमत लगभग 15 हजार रुपये है।
ये भी पढ़ें: अब कम चीर-फाड़ को होगा ऑपरेशन, रोबोटिक सर्जरी से कुछ ही समय में होगा इलाज बड़े पैमाने पर एक्सोस्केलेटन का असर प्रोफेसर आशीष दत्ता ने इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा कि ये बहुत गर्व की बात है। एक्सोस्केलेटन भारत और ब्रिटेन में बड़े पैमाने पर काम करेगा। इसेक लिए दोनो प्रोफेसर्स ने यूके स्थित उलेस्टर विश्वविद्यालय और इसके प्रोफेसर गिरिजेश प्रसाद के साथ मिलकर काम शुरू कर दिया है।